प्रवासी श्रमिकों की संख्या में आयी कमी

ममता सरकार का दावा

By SANDIP TIWARI | August 31, 2025 11:26 PM

ममता सरकार का दावा 2011 में 24.05 लाख, अब 22.40 लाख रह गये पंजीकृत श्रमिक ‘श्रमश्री’ योजना से लौटने वालों को मिलेगा पांच हजार रुपये भत्ता कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार का दावा है कि राज्य में प्रवासी श्रमिकों की संख्या बीते 14 वर्षों में घटी है. वामपंथी शासन के अंतिम चरण की तुलना में अब प्रवासी श्रमिक कम हो गये हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, उस समय पश्चिम बंगाल में प्रवासी श्रमिकों की संख्या 24.05 लाख थी. इनमें 14.52 लाख महिलाएं और 9.53 लाख पुरुष शामिल थे. वहीं, राज्य सरकार की ‘कर्मसाथी योजना’ के आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान में पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों की संख्या 22.40 लाख है. यानी सरकार के अनुसार इनकी संख्या में 1.65 लाख की कमी आयी है. हालांकि श्रम विभाग मानता है कि वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है, क्योंकि कई प्रवासी कामगार पंजीकृत नहीं हैं. लॉकडाउन के बाद पंजीकरण की प्रवृत्ति बढ़ी है, जिससे अनुमानित अंतर दो से चार लाख तक का हो सकता है. गौरतलब रहे कि 2001 से 2011 के बीच वामपंथी शासन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की संख्या में 45% की वृद्धि हुई थी. इस पर तत्कालीन श्रम मंत्री अनादि साहू का कहना है कि प्रवासी श्रमिक पहले भी थे और भविष्य में भी रहेंगे, लेकिन अब किसान भी खेती छोड़कर मजदूरी के लिए बाहर जा रहे हैं, जो नयी प्रवृत्ति है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रवासी कामगारों को राज्य में लौटने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु ‘श्रमश्री योजना’ शुरू करने की घोषणा की है. इसके तहत लौटने वाले श्रमिकों को हर माह 5,000 रुपये का भत्ता मिलेगा. पंजीकरण श्रमश्री पोर्टल पर कराया जायेगा. प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इससे प्रवासी श्रमिकों की वास्तविक संख्या का आकलन करना संभव होगा. वहीं, सरकार लगातार आरोप लगाती रही है कि बंगाली प्रवासी कामगारों को भाजपा-शासित राज्यों में निशाना बनाया जा रहा है. कई मामलों में उन्हें गलत तरीके से गिरफ्तार करने और बांग्लादेशी बताकर निर्वासित करने की शिकायतें भी सामने आयी हैं.

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