अदालतों के लिए फंड नहीं मिलने से नाराज
राज्य सरकार को बुधवार को हाइकोर्ट और निचली अदालतों की परियोजनाओं के लिए बकाया राशि के भुगतान के बारे में सूचित करना था.
कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने बुधवार को हाइकोर्ट और निचली अदालतों के रखरखाव और निर्माण पर फंड को लेकर राज्य सरकार द्वारा कोई सार्थक जवाब न दिये जाने पर निराशा व्यक्त की. राज्य सरकार को बुधवार को हाइकोर्ट और निचली अदालतों की परियोजनाओं के लिए बकाया राशि के भुगतान के बारे में सूचित करना था. बुधवार को राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि उन परियोजनाओं पर चर्चा करने की आवश्यकता है. इसलिए बेहतर होगा कि उच्च न्यायालय राज्य सरकार को अनुमति प्रदान करे. यह सुनकर न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने कहा कि पूरे राज्य में प्रत्येक जिला न्यायाधीश के पास आवंटित पांच लाख रुपये में से अब फंड नहीं बचा है. अदालत ने कहा कि यह कैसी छवि पेश कर रहा है? मुख्य सचिव को बुलाकर इतनी बातें करने के बाद भी न्यायपालिका को लेकर कोई पहल नहीं की जा रही है. राज्य के कुल बजट का एक छोटा सा हिस्सा न्यायपालिका के लिए आवंटित होता है. अगर वह भी उपलब्ध नहीं होगा तो न्यायपालिका का क्या होगा?
अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि न्यायपालिका के लिए कितना फंड आवंटित किया गया है? क्या आपको नहीं लगता कि हम दया की भीख मांग रहे हैं? हालांकि, राज्य के अनुरोध को स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने आदेश दिया कि वित्त सचिव, न्यायिक सचिव और हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल पूजा की छुट्टी के दौरान 15 अक्टूबर को हाइकोर्ट में मिलेंगे. अगर उस दिन काम पूरा नहीं हुआ, तो राज्य 22 अक्टूबर को फिर से बैठक करेगा, ताकि सभी लंबित योजनाओं पर चर्चा हो सके और सारा पैसा जारी करने पर अंतिम निर्णय लिया जा सके. हाइकोर्ट ने कहा कि इसके बाद राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से 27 अक्टूबर को हाइकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश करनी होगी.
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