Premanand Ji Maharaj: क्या आपके घर में स्त्री का अपमान हो रहा है? जानिए इसका दंड
Premanand Ji Maharaj: घर में स्त्री का सम्मान क्यों जरूरी है? जानें संत प्रेमानंद जी महाराज के द्वारा बताए गए चौंकाने वाले परिणाम, जो आपके जीवन की सुख-समृद्धि तय कर सकते हैं.
Premanand Ji Maharaj: घर में स्त्री का सम्मान करना हर इंसान का पहला कर्तव्य है, क्योंकि जहां स्त्री का आदर होता है, वहां सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. लेकिन अगर परिवार में स्त्री का अपमान होता है, तो उसका दुष्परिणाम न सिर्फ परिवार बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक को झेलना पड़ता है. प्रख्यात संत प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचनों में स्पष्ट कहा है कि स्त्री के अपमान का दंड बहुत कठोर होता है और यह व्यक्ति के जीवन से सुख-समृद्धि छीन लेता है. आइए जानें महाराज जी के विचार से बताए गए इसके परिणाम.
प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि जिन घरों में स्त्रियों को सम्मान नहीं दिया जाता और उन्हें दुख पहुंचाया जाता है, उन घरों में मां लक्ष्मी कभी स्थायी रूप से निवास नहीं करतीं. घर का सुख-शांति और समृद्धि तभी संभव है, जब वहां स्त्रियों का आदर और स्नेह के साथ व्यवहार किया जाए. जहां स्त्रियों को मारा-पीटा जाता है, अपमानित किया जाता है या नीचा दिखाया जाता है, वहां सुख-समृद्धि और वैभव कभी स्थायी नहीं रह सकते.
उन्होंने विशेष रूप से सास-ससुर को समझाते हुए कहा कि बहू को हमेशा अपनी बेटी जैसा मानना चाहिए. जिस प्रकार आप अपनी बेटी से प्रेम करते हैं, उसी तरह बहू के साथ भी प्रेम और समानता का व्यवहार होना चाहिए. बहू को केवल दूसरे की बेटी समझकर अपमानित नहीं करना चाहिए और न ही उसका शोषण करना चाहिए. बहू घर की लक्ष्मी होती है और उसका सम्मान पूरे घर के वातावरण को सकारात्मक और सुखद बनाता है.
प्रेमानंद जी ने आगे कहा कि यदि आपके घर में विवाह के बाद कोई कन्या आई है और आप उसका आदर नहीं करते, उसके साथ कठोर, अपमानजनक या गलत व्यवहार करते हैं, तो उसका परिणाम बहुत बुरा होता है. ऐसी स्थिति में घर का सुख-समृद्धि नष्ट हो जाती है और परिवार कठिनाइयों में घिर जाता है. बहू के आंसू और दुख कभी व्यर्थ नहीं जाते, वे पूरे घर पर असर डालते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई अपने घर में स्त्रियों के साथ अन्याय करता है तो वह इसी जीवन में दुख भोगता है और फिर नरक की प्राप्ति करता है. इसलिए हर किसी को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए और अपनी बहू-बेटियों का मान-सम्मान करना चाहिए. यही परिवार की असली शक्ति और घर की वास्तविक लक्ष्मी है.
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