Parenting Tips: बच्चों की मन की बातों को पढ़ना है आसान, बस अपनाएं 6 तरीके, बेझिझक खोलेंगे अपनी राज
Parenting Tips: अक्सर बच्चे अपनी छोटी-बड़ी बातें माता-पिता से छिपाने लगते हैं. यह आदत डर, व्यवहार या कम्युनिकेशन गैप की वजह से हो सकती है. ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाएं, डांट-फटकार से बचें. जानें 6 आसान पेरेंटिंग टिप्स, जिनसे बच्चों की बातें छिपाने की आदत दूर की जा सकती है.
Parenting Tips: अक्सर देखा जाता है कि कई बच्चे अपने साथ होने वाली छोटी-बड़ी बातों को माता-पिता से छिपाने लगते हैं. धीरे-धीरे यह उनके हैबिट उनके व्यवहार का हिस्सा बन जाती है और माता-पिता को समझ नहीं आता कि उनके बच्चे खुलकर अपनी बातें क्यों नहीं शेयर कर रहे हैं. बच्चों की यह प्रवृत्ति कई वजहों से हो सकती है. जैसे- माता-पिता के व्यवहार, डर या कम्युनिकेशन गैप. अगर सही समय पर इस पर ध्यान दिया जाए, तो यह आदत बदली जा सकती है. आइए जानते हैं कुछ आसान पेरेंटिंग टिप्स, जिनसे बच्चों की बात छिपाने की आदत को दूर किया जा सकता है.
कम उम्र से ही बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार
माता-पिता को चाहिए वे अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें. अगर आप उनसे केवल आदेश देने वाले अंदाज में बात करेंगे, तो वह कभी भी खुलकर अपनी बातें शेयर नहीं करेंगे. बच्चों के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें, ताकि वे बिना झिझक अपनी बातें साझा कर सकें. कोशिश करें आप उन्हें अपनी स्कूल की कुछ शरारत भरी बातों के किस्से सुनाये, इससे उन्हें लगेगा कि आप भी बचपन में उन्हीं के जैसे थे. बीच बीच में उनके खेल का हिस्सा भी बनें. इससे उन्हें महसूस होगा आप उनके अच्छे फ्रेंड हो.
डांट-फटकार से बचें
अक्सर बच्चे डर की वजह से माता-पिता से अपनी बात छिपाते हैं. अगर वे कोई गलती करें, तो तुरंत डांटने की बजाय प्यार से समझाएं. अक्सर देखा जाता है कि मां-बाप हर गलतियों पर डांटने लगते हैं. ऐसे में बच्चे धीरे धीरे बात छुपाने लगते हैं. लेकिन हां, ऐसा भी न हो कि बच्चा हर बार वहीं गलती करता हो और आप उन्हें प्यार से समझाते जाते हो. कुछ मामले में सख्त होना जरूरी हो जाता है.
बच्चों को सुनने की आदत डालें
माता-पिता कई बार बच्चों की बातें नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन बच्चों को यह महसूस कराना जरूरी है कि उनकी राय और भावनाएं भी उनके लिए इंपोर्टेंट हैं. जब वे आपसे कुछ कहना चाहें, तो उनकी बातों को ध्यान से सुनें.
बच्चों को भरोसा दिलाएं कि आप उनकी हर समस्याओं में साथ देंगे
अगर घर का माहौल विश्वास से भरा हो, तो कोई भी बच्चे आपसे अपनी बातें नहीं छिपाएंगे. उन्हें यह भरोसा होना चाहिए कि उनकी हर छोटी-बड़ी समस्याओं को न आप केवल आप सुन रहे हैं बल्कि पर उनकी समस्याओं को आप अपनी समस्या सुनकर साथ भी देंगे.
बच्चों की प्राइवेसी का सम्मान करें
जिस तरह आपकी प्राइवेसी होती है उसी तरह आपके बच्चे की भी प्राइवेसी हो सकती है. इसलिए बेवजह बच्चों की न तो डायरी पढ़नी चाहिए, न ही उनके मोबाइल की तलाशी लेन चाहिए. अगर आपने कभी भी इसका उल्लंघन किया तो वह और भी ज्यादा आपसे बातें छिपाने लगेंगे. इसलिए उनके स्पेस का सम्मान करें और भरोसा जताएं.
रोजाना बातचीत का समय तय करें
हर दिन बच्चों के साथ 15-20 मिनट का समय जरूर बिताएं. इस दौरान उनसे पढ़ाई, दोस्तों और उनकी भावनाओं के बारे में पूछें. धीरे-धीरे वे अपनी बातें खुलकर साझा करने लगेंगे. ध्यान रखें बच्चों की बात छिपाने की आदत को बदलने के लिए धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है. अगर उनके साथ विश्वास और प्यार वाला रिश्ता बनाएंगे, तो धीरे-धीरे बच्चे भी अपनी आदत बदलने लगेंगे और हर छोटी-बड़ी बात खुलकर साझा करेंगे.
