शराब के बाद क्या खाते थे राजा-महाराजा? महाभारत से शाही दरबार तक खुल गया खान-पान का राज
Liquor Drinking Tips: आज के दौर में शराब का चलन बढ़ा है, लेकिन इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. राजा-महाराजा शराब के बाद क्या खाते थे, कैसे शाही खानसामे और वैद्य मिलकर संतुलित भोजन तय करते थे, इस लेख में इन्हीं चीजों के बारे में जानकारी दी गयी है. जानिए शाही दरबारों की वह परंपरा, जो सेहत और शिष्टाचार दोनों से जुड़ी थी.
Liquor Drinking Tips: आज के दौर में लोगों को कितना भी कहा जाए कि शराब स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है तो भी वह इसका सेवन करेगा ही. भले ही कभी कभार ही हो. लेकिन शराब का चलन अभी बढ़ जरूर गया है लेकिन इसे पीने की परंपरा दशकों पुरानी है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी दावा किया गया है कि वे शराब का सेवन करते ही करते थे. दावा तो यह तक है कि महाभारत काल में शकुनि और दुर्योधन शराब के नशे में खूब षड्यंत्र रचते थे. ऋषि भारद्वाज ने भी अपने आतिथ्य सत्कार में इसका उल्लेख किया है. तो सवाल ये है कि शराब पीने के बाद किस तरह का भोजन करना चाहिए जिससे कि नुकसान कम हो. इतिहास के पन्ने पलटने से इसे लेकर कई तथ्य सामने आते हैं, वे बताते हैं कि शाही दरबारों में यह कोई साधारण खान-पान नहीं, बल्कि सेहत, संतुलन और शिष्टाचार से जुड़ी परंपरा थी.
शाही दावत का अनुशासन
इतिहास से पन्ने पलटने से पता चलता है कि राजा-महाराजाओं की मदिरापान सभा में भोजन का चयन सोच-समझकर किया जाता था. उद्देश्य केवल स्वाद नहीं, बल्कि शरीर पर शराब के प्रभाव को संतुलित करना और लंबे समय तक दरबार या सभा में सक्रिय रहना होता था.
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शराब के बाद मांसाहार का संतुलित मात्रा में सेवन
कई राजघरानों में शराब के बाद भुना मांस, कबाब, तंदूरी शिकार परोसे जाते थे. माना जाता था कि प्रोटीन युक्त भोजन शरीर को स्थिर रखता है. आम तौर पर देखा जाता है कि इसमें हल्के मसालों का इस्तेमाल होता है, जिससे पाचन पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता है.
फल और मेवे भी थे जरूरी
शराब परोसने के बाद शाही थालियों में अंगूर, अनार, सेब, अंजीर जैसे फल सामान्य थे. साथ ही बादाम, पिस्ता, अखरोट जैसे सूखे मेवे परोसे जाते थे, जिन्हें ऊर्जा और संतुलन का स्रोत माना जाता है.
दही और छाछ का खास स्थान
कुछ राजवंशों में मदिरापान के बाद दही, छाछ या मठा दिया जाता था. आयुर्वेदिक दृष्टि से यह पेट को ठंडक देने और पाचन सुधारने के लिए अहम माना जाता था.
शहद और मिठाइयों की भी थी भूमिका
शराब के बाद शहद मिश्रित मिठाइयां या हल्की मिठास वाले पकवान परोसने की परंपरा भी थी. इससे स्वाद संतुलन बने रहने के साथ साथ थकान कम होती है.
शाही खानसामे और वैद्य तय करते मेनू
इतिहासकारों के अनुसार, राजा महराजाओं को शराब परोसने से पहले शाही खानसामे (मुख्य रसोइया) और वैद्य मिलकर मेनू तय करते थे. जिसमें त्रिदोष संतुलन वात, पित्त और कफ का ध्यान रखा जाता था, ताकि राजा अगले दिन भी प्रशासनिक कार्यों में सक्षम रहें.
आज भी दिखती है झलक
आज के हाई-प्रोफाइल डिनर में कुछ लोग चीज, नट्स और हल्के स्नैक्स का इस्तेमाल करते हैं, उनकी जड़ें कहीं न कहीं इसी शाही परंपरा में छिपी हैं.
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Disclaimer: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और सार्वजनिक रिपोर्ट्स पर आधारित है. इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार से शराब के सेवन को प्रोत्साहित करना नहीं है. कोई भी नुस्खा अपनाने से पहले विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह अवश्य लें. प्रभात खबर इस लेख में छपी रिपोर्ट की पुष्टि नहीं करता है.
