World Grand Parents Day: पोती की प्रेरणा ने दादी को बनाया बिजनेस वुमेन

कई लोग अपने घर के बड़े-बुजुर्गों को बोझ समझते हैं, वहीं कई ऐसे भी हैं जो उनके अनुभवों व उनके हुनर से न सिर्फ अपनी जिंदगी संवार लेते हैं, बल्कि उन्हें भी जीने की एक नयी वजह दे देते हैं. दिल्ली निवासी युक्ति और उनकी दादी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

By Prabhat Khabar | September 11, 2022 12:22 PM

World Grand Parents Day: 26 साल की युक्ति बजाज को बचपन से ही अपनी दादी शीला बजाज (79) से बेहद लगाव रहा. उनकी दादी हमेशा से ही उनके अकेलेपन की सबसे बड़ी हमराज रहीं, पर बड़ी होने पर पढ़ाई और फिर जॉब में बिजी होने की वजह से युक्ति अपनी दादी को पहले जितना समय नहीं दे पा रही थीं, जिससे दादी काफी अकेला महसूस करने लगी थी. ऐसी स्थिति में युक्ति ने दादी को अकेलेपन से बचाने के लिए उन्हें उनके पुराने शौक को फिर से रिवाइव करने के लिए प्रेरित किया. नवंबर, 2020 में शुरू हुए ‘कॉट क्राफ्ट हैंडेड’ के बाद से आज युक्ति की दादी मां एक सफल बिजनेस वुमेन के तौर पर जानी जाती हैं.

बोरियत दूर करना था उद्देश्य

युक्ति की दादी मां शीला बजाज काफी लंबे समय से बुनाई और क्रोशिया का काम करती रही हैं. वह परिवार के बच्चों के लिए अक्सर कपड़े और स्वेटर बनाया करती थीं. युक्ति बताती हैं कि ”अपने जॉब के सिलसिले में अक्सर मेरा बाहर आना-जाना लगा रहता था, लेकिन कोविड के बाद जब लंबे समय तक मुझे घर में रहना पड़ा, तब एहसास हुआ कि घर में अकेले समय काटना कितना बोरिंग होता है. तब मेरे मन में यह ख्याल आया कि क्यूं न मैं अपनी दादी को उनके बचपन के शौक की तरफ लेकर जाऊं, ताकि उन्हें अकेले बैठ कर बोरियत महसूस न होना पड़े. इसी दिशा में मैंने एक कोशिश की, जो बेहद कामयाब रही. आज लोग भी मेरी पहल को देखकर काफी मोटिवेट हो रहे हैं.

ऐसे शुरू हुआ ‘कॉट क्राफ्ट हैंडेड’

आज शीला बजाज क्रोशिए से बुन कर बुकमार्क, बच्चों के लिए कपड़े, स्वेटर, मग वार्मर आदि तरह-तरह के प्रोडक्ट तैयार करती हैं, जिन्हें युक्ति ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. इसके लिए उन्होंने बाकायदा इंस्टाग्राम पेज भी बना रखा है. इस पेज पर वह अपने हाथों से बने सामान, लोगों के सामने रखती हैं ओर फिर जिसे जो अच्छा लगता है, वह उस चीज का आर्डर देता है. युक्ति के अनुसार, अधिकांश उत्पाद कस्टमर डिमांड के आधार पर तैयार किये जाते हैं. शुरुआत में महीने में आठ से दस ऑर्डर ही आते थे, जो अब बढ़ कर तकरीबन 20 से 25 हो गये हैं.

बिजनेस ने बदल दिया दादी का नजरिया

युक्ति की मानें, तो “इस काम को शुरू करने के बाद से उनकी दादी का नजरिया बदल गया. आज वह काफी पॉजिटिव हो गयी हैं और खुश नजर आती हैं. पहले दादी पूरे दिन यूं ही घर में इधर-उधर घूमती रहती थीं. कोशिश करती थीं कि उन्हें कोई काम नजर आ जाये और उनका टाइम पास हो जाये, लेकिन आज उन्हें यह सोचने की फुरसत नहीं है. उनकी दिनचर्या में यह बदलाव अच्छा लगता है.

नये जमाने की तकनीक का लिया सहारा

युक्ति बताती हैं कि ”शुरुआत में दादी ट्रेडिशनल चीजें, जैसे- तकिया, कुशन कवर आदि ही बनाया करती थीं, पर धीरे-धीरे उन्होंने यूट्यूब वीडियो देख कर बहुत कुछ बनाना सीख लिया. आज वह बुकमार्क, बच्चों के लिए कपड़े. स्वेटर, बोतलों के कवर, मग वॉर्मर, स्कार्फ, हेडबैंड और यहां तक कि पैर और टखने को गर्म करने के लिए कैप भी बनाती हैं. कोई भी व्यक्ति अपने बजट और पसंद के हिसाब से उन्हें ऑर्डर दे सकता है.

Next Article

Exit mobile version