Chanakya Niti: बोलने की कला में महारथ बनने के 9 शक्तिशाली नियम – बच्चों को जरूर बताएं
आचार्य चाणक्य के 9 शक्तिशाली नियम आपकी वाणी को प्रभावशाली बनाने में मदद करते हैं. इन सूत्रों से आप बेहतर वक्ता बनकर जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं.
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों में बताते है कि – प्रभावी संवाद (Effective Speaking) वह शक्ति है, जो बिना हथियारों के विजय दिला देता है. आज के समय में, चाहे लीडरशिप की बात हो, रिलेशनशिप की या पर्सनल डेवलपमेंट की – बोलने की कला (आर्ट ऑफ स्पीकिंग) ही व्यक्ति का प्रभाव, व्यक्तित्व और सफलता तय करती है. चाणक्य के ये 9 नियम आपको न केवल बेहतर वक्ता बनाते हैं, बल्कि आपको समझदार, संयमी और प्रभावशाली व्यक्तित्व भी देते हैं.
Chanakya Niti on Art of Speaking: बोलने की कला में निपुण बनने के लिए चाणक्य के 9 सुनहरे नियम
1. जो सुनना जानता है, वही बोलने में सफल होता है. चाणक्य नीति के अनुसार सुनना विश्वास बनाता है और सामने वाले को आपकी बातों के प्रति अधिक ग्रहणशील बनाता है.
2. कम बोलो, पर सार्थक बोलो -यही प्रभाव का मूल मंत्र है. संक्षिप्त और प्रभावी वाक्य, लंबे भाषण से अधिक असर डालते हैं.
3. अस्पष्ट वाणी विवाद लाती है और स्पष्ट वाणी समाधान इसलिए बोलने में स्पष्टता कार्य को सरल और परिणामों को मजबूत बनाती है.
4. शब्द वही चुनें जो श्रोता आसानी से समझ सके. यानि परिस्थिति और समय के अनुसार कहा गया सही वचन ही सफल होता है.
5. भावनाओं पर नियंत्रण रखने वाला व्यक्ति ही सच्चा वक्ता है. क्रोध या जल्दबाजी में कहा गया वचन संबंधों और छवि दोनों को नुकसान पहुंचाता है.
6. कम बोलने वाला प्रभावशाली, अधिक बोलने वाला उपहास का पात्र बनता है. अक्सर जो अधिक बोलते हैं, लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते.
7. जिसने अपने शब्दों पर नियंत्रण पा लिया, उसने जीवन जीत लिया. संयमित वाणी सफलता का द्वार खोलती है.
8. अत्यधिक बोलना शब्दों का मूल्य घटाता है. ज़्यादा बोलकर व्यक्ति अपनी ही बात का असर कम कर देता है.
9. जिस शब्द का उद्देश्य नहीं, वह शब्द शक्तिहीन है. हर शब्द बोलने से पहले उसके उद्देश्य को समझें यही बुद्धिमानी है.
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