Dhurandhar: मां का कत्ल, 3 शादियां-13 बच्चे, पाकिस्तान के कराची का गैंगस्टर रहमान कैसे बना डकैत?

Dhurandhar: फिल्म धुरंधर में अक्षय खन्ना का किरदार असल जिंदगी के गैंगस्टर रहमान डकैत से प्रेरित है. ल्यारी का यह कुख्यात अपराधी कम उम्र में हिंसा की राह पर चला और आखिरकार पुलिस मुठभेड़ में मारा गया जिसकी कहानी सच्ची है. पढ़ें इसके जीवन के बारे में…

By Aniket Kumar | December 16, 2025 12:54 PM

Dhurandhar: फिल्म धुरंधर में अक्षय खन्ना जिस किरदार में नजर आ रहे हैं, वह किसी काल्पनिक कहानी से नहीं बल्कि असल जिंदगी के कुख्यात गैंगस्टर रहमान डकैत से प्रेरित है. रहमान का असली नाम सरदार अब्दुल रहमान बलूच था. वह पाकिस्तान के कराची के ल्यारी इलाके का रहने वाला था, जिसे अपराध और हिंसा का गढ़ माना जाता है. रहमान बहुत कम उम्र में ही गलत रास्ते पर चल पड़ा था. महज 13 साल की उम्र में उसने एक व्यक्ति पर चाकू से हमला कर दिया था. इसके कुछ साल बाद उसने आपसी दुश्मनी में दो ड्रग डीलरों की हत्या कर दी. साल 1995 में पुलिस से बचकर भागते वक्त उसने अपने ही घर में मां खदीजा को गोली मार दी. पुलिस के सामने उसका कहना था कि मां पुलिस को जानकारी दे रही थीं, हालांकि कई लोग मानते हैं कि उसे अपनी मां पर किसी दुश्मन गैंग से रिश्ते का शक था.

गैंगस्टर से इलाके का बॉस बनने तक

इसके बाद रहमान हथियार और ड्रग्स के मामलों में कई बार पकड़ा गया, जेल गया और वहां से भाग भी निकला. वक्त के साथ उसने इतना बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया कि 2000 के दशक की शुरुआत तक वह पूरे ल्यारी इलाके का सबसे ताकतवर गैंगस्टर बन गया. उसके पास पैसा, जमीन और राजनीतिक पहुंच थी. उसने तीन शादियां की थीं और उसके 13 बच्चे बताए जाते हैं.

ल्यारी की गैंगवार और पुलिस का एक्शन

ल्यारी में चल रही गैंगवार में हजारों लोग मारे गए. रहमान और दूसरे गैंग्स के बीच लगातार खून-खराबा होता रहा. हालात काबू में करने के लिए 2006 में ल्यारी टास्क फोर्स बनाई गई. पुलिस ने रहमान को पकड़ा, लेकिन वह एक बार फिर फरार हो गया. आखिरकार 2009 में पुलिस मुठभेड़ में रहमान डकैत और उसके कुछ साथी मारे गए. पुलिस के मुताबिक वह कई संगीन मामलों में वांछित था.

मौत के बाद क्या हुआ

रहमान की मौत के बाद उसके जनाजे में भारी भीड़ उमड़ी. उसकी पत्नी ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन मामला किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सका. जिस पुलिस अफसर चौधरी असलम के नेतृत्व में यह एनकाउंटर हुआ था, उनकी भी 2014 में एक अलग हमले में मौत हो गई.

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