FILM REVIEW ”Vishwaroopam 2” : मनोरंजन कम कन्फ्यूजन ज़्यादा

II उर्मिला कोरी II... फ़िल्म: विश्वरूपम 2 निर्माता-निर्देशक: कमल हासन कलाकार: कमल हासन, पूजा कुमार, शेखर कपूर, वहीदा रहमान रेटिंग: दो 2013 में रिलीज हुई स्पाई थ्रिलर फिल्म ‘विश्वरूपम’ की सीक्‍वल ‘विश्वरूपम 2’ है. पहली फ़िल्म की कहानी जहां खत्म हुई थी रॉ एजेंट मेजर विशाम अहमद कश्मीरी (कमल हासन) की कहानी वहीं से शुरू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2018 1:50 PM

II उर्मिला कोरी II

फ़िल्म: विश्वरूपम 2

निर्माता-निर्देशक: कमल हासन

कलाकार: कमल हासन, पूजा कुमार, शेखर कपूर, वहीदा रहमान

रेटिंग: दो

2013 में रिलीज हुई स्पाई थ्रिलर फिल्म ‘विश्वरूपम’ की सीक्‍वल ‘विश्वरूपम 2’ है. पहली फ़िल्म की कहानी जहां खत्म हुई थी रॉ एजेंट मेजर विशाम अहमद कश्मीरी (कमल हासन) की कहानी वहीं से शुरू होती है. एक बार फिर आतंकवाद को रोकने की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है. मिशन में उसकी मुलाकात अलग अलग तरह के लोगों और घटनाओं से होती है.

ओमर कुरेशी (राहुल बोस) इस बार भी अपने साथी सलीम (जयदीप अहलावत) के ज़रिए आतंकवाद की जड़ें गहरी करने में जुटा है और उसे विशाम से बदला भी लेना है पहले पार्ट का।लंदन में बम धमाकों से लेकर भारत में होने वाले 66 बम धमाकों की साज़िश रची जाती है.
विशाम की माँ और पत्नी की जान भी इन सबके साथ दांव पर है. क्या विशाम बचा पाएगा।यही फ़िल्म की कहानी हैं.

फ़िल्म का स्क्रीनप्ले बेहद कमजोर है और फ़िल्म का नरेशन रही सही कसर पूरी कर देता है.कहानी के बार बार अतीत और वर्तमान में आते जाते रहने के चलते फ़िल्म दर्शकों को दुविधा में डालती हैं कि आखिर फ़िल्म दिखाना क्या चाहती है और कमल हासन के किरदार को फ़िल्म में करना क्या है.

फ़िल्म का क्लाइमेक्स बेहद साधारण है. स्पाई थ्रिलर ड्रामा जॉनर वाली इस फ़िल्म में थ्रिलर भी नदारद है जो भी सिचुएशन फ़िल्म की कहानी में दिखते हैं वो भी असाधारण नहीं है. आईएसआई के जमाने में फ़िल्म अलकायदा की बात करती है.

अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म पूरी तरह से कमल हासन की फ़िल्म है. वह अपनी भूमिका में फिट भी रहे हैं लेकिन बाकी के किरदारों को फ़िल्म में ज़्यादा मौके नहीं मिले हैं. अभिनय के कई बड़े नाम फ़िल्म में हैं लेकिन उन्हें वेस्ट किया गया है. शेखर कपूर एक अरसे बाद एक्टिंग करते देखना अच्छा लगता है मगर उनके किरदार को भी ठीक से स्थापित नहीं किया गया है. फ़िल्म के एक्शन दृश्य और संवाद अच्छे बन पड़े हैं.

सिनेमेटोग्राफी की विशेष तारीफ करनी होगी. कुलमिलाकर आतंकवाद की समस्या पर यह उलझी हुई फ़िल्म है. कमज़ोर कहानी और नरेशन की वजह से यह मनोरंजन कम कंफ्यूज़ ज़्यादा करती है.