बोले आमिर खान- पुरुष प्रधान सोच के कारण समाज महिलाओं को…

नयी दिल्ली: हिंदी फिल्म अभिनेता आमिर खान ने बॉलीवुड में अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के मेहनताने में अंतर की समस्या होने की बात मानते हुए कहा कि इसका कारण समाज में व्याप्त पुरुष प्रधान सोच है जो महिलाओं को नायक मानने को तैयार नहीं होता. सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2017 10:49 AM

नयी दिल्ली: हिंदी फिल्म अभिनेता आमिर खान ने बॉलीवुड में अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के मेहनताने में अंतर की समस्या होने की बात मानते हुए कहा कि इसका कारण समाज में व्याप्त पुरुष प्रधान सोच है जो महिलाओं को नायक मानने को तैयार नहीं होता. सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता ने कहा कि वह समानता में पूरी तरह से विश्वास करते हैं लेकिन बदलाव तब ही होगा जब समाज के रवैये में एक आमूलचूल परिवर्तन हो.

उन्होंने कहा, बदकिस्मती से ऐसा हुआ है कि हमारे ज्यादातर स्टार पुरुष हैं. जो लोग दर्शकों को सिनेमाघरों की तरफ खींचकर लाते हैं वे पुरुष हैं और यह हमारे समाज पर पितृसत्तात्मक प्रभाव का परिणाम है.

उन्होंने कहा, हम महिलाओं को नायकों के तौर पर नहीं देखते. हम इस तरह की सोच बचपन से ही अपने दिमाग में भरना शुरु कर देते हैं. इसे लेकर एक आमूलचूल बदलाव लाना पडेगा. मैं समानता में विश्वास करता हूं चाहे आप पुरुष हों या महिला. लेकिन आखिरकार सिनेमा की अर्थव्यवस्था में, जो भी दर्शकों को सिनेमाघर की तरफ खींचकर लाता है, उसे ज्यादा मेहनताना दिया जाएगा. इसे लेकर कोई सवाल नहीं उठता.

आमिर की आखिरी फिल्म दंगल में मजबूत महिला किरदार थे और उनकी आगामी फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ भी एक किशोरी के ईद गिर्द घूमती है. उन्होंने कहा कि उन्हें बुरा नहीं लगेगा अगर उनकी सह कलाकारों को उनके ज्यादा मेहनताना दिया जाए. सीक्रेट सुपरस्टार में आमिर के साथ जाहिरा वसीम मुख्य भूमिका में हैं.

अभिनेता ने कहा, कोई भी व्यक्ति, जिसमें सिनेमाघरों में ज्यादा लोगों को आकर्षित करने की क्षमता है, उसे ज्यादा पैसे मिलते हैं. इसलिए जिस दिन वह मुझसे ज्यादा लोगों को सिनेमाघरों में खींचने में सक्षम होंगी, मुझे अपने मुकाबले उन्हें ज्यादा मेहनताना दिए जाने का बुरा नहीं लगेगा.

उन्होंने कहा, और यह बात उनके लिंग से तय नहीं होगी, यह चीज बाजार तय करेगा. अगर उनसे मेरी फिल्म को फायदा होता है तो एक निर्माता के तौर पर मैं उन्हें इसमें लेना चाहूंगा, लिंग मायने नहीं रखता. मैं एक विशुद्ध आर्थिक नजरिये से उन्हें महत्व दूंगा.