Stress Free Wall: चिखती हैं दीवारें…बताती हैं छात्रों का दर्द, ये है ‘स्ट्रेस फ्री वॉल’

Stress Free Wall: राजस्थान का कोटा शहर को इंजीनियरिंग और मेडिकल स्टडी का हब कहा जाता है. लाखों की संख्या में छात्र यहां JEE और NEET की तैयारी के लिए यहां आते हैं. हालांकि, पिछले कुछ सालों से कोटा अब 'सुसाइड हब' के रूप में बदनाम हो रहा है. इस शहर के बीचों बीच एक स्ट्रेस फ्री वॉल है जो काफी चर्चा में रहता है.

By Ravi Mallick | June 15, 2025 1:49 PM

Stress Free Wall: राजस्थान का कोटा शहर जो कभी शिक्षा नगरी के रूप में जाना जाता था, अब ‘सुसाइड हब’ के रूप में बदनाम हो रहा है. यहां छात्रों के आत्महत्या का आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि समाज, शिक्षा व्यवस्था और अभिभावकों के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है. कोटा, जो मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी का केंद्र है, वहां छात्र अपनी तकलीफ बयां करने के लिए दीवारों का सहारा ले रहे हैं.

Stress Free Wall: क्या है कोटा का स्ट्रेस फ्री वॉल?

हाल ही में कोटा के एक मंदिर की दीवारों पर लिखे छात्रों के संदेशों ने उनके मानसिक दबाव और दर्द को उजागर किया है. इन संदेशों में पढ़ाई का तनाव, असफलता का डर और परिवार की अपेक्षाओं का बोझ साफ झलकता है. कोटा के तलवंड़ी इलाके में स्थित राधाकृष्ण मंदिर की ये दीवार छात्रों पर्सनल और पढ़ाई के हर बात को बताने की जगह बन गई है.

छात्रों पर पढ़ाई का प्रेशर

छात्रों पर अत्यधिक शैक्षणिक दबाव, कोचिंग संस्थानों की प्रतिस्पर्धी संस्कृति और अभिभावकों की अपेक्षाएं इस समस्या की जड़ में हैं. कोटा में हर साल लाखों छात्र नीट और जेईई जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं, लेकिन कठिन प्रतियोगिता और निरंतर दबाव कई छात्रों को मानसिक रूप से तोड़ देता है.

मंदिर की दीवारों पर लिखे संदेश जैसे “मैं हार गया”, “मम्मी-पापा, मैं आपका सपना पूरा नहीं कर सका” जैसे वाक्य उनके अंदर की बेबसी को दर्शाते हैं. प्रशासन ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे एंटी-हैंगिंग डिवाइस, हॉस्टल वार्डन के लिए प्रशिक्षण को बढ़ा दिया है. इसके अलावा ‘कोटा केयर्स’ जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

अभिभावकों को देना चाहिए ध्यान

हमें शिक्षा के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी. अभिभावकों को बच्चों की क्षमता के अनुसार अपेक्षाएं रखनी चाहिए. सरकार और कोचिंग संस्थानों को काउंसलिंग और तनाव प्रबंधन पर ध्यान देना होगा. कोटा को फिर से शिक्षा का गौरवशाली केंद्र बनाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं, ताकि बच्चे सपनों को बोझ न समझें, बल्कि उन्हें उड़ान दें.

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