Ramdas Soren Education: 62 वर्ष की उम्र में रामदास सोरेन का निधन, पढ़ाई-लिखाई से लेकर राजनीति तक ऐसा रहा सफर
Ramdas Soren Education: झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का 62 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से स्नातक सोरेन ने शिक्षा सुधारों में अहम योगदान दिया. वे घाटशिला से लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए थे और आदिवासी समाज के प्रखर नेता थे.
Ramdas Soren Education: झारखंड के शिक्षा मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता रामदास सोरेन का शुक्रवार को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह 62 वर्ष के थे. उनके निधन की पुष्टि पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुणाल सरांगी ने की. सरांगी ने बताया कि सोरेन की स्थिति गंभीर थी और उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था.
रामदास सोरेन को 2 अगस्त को जमशेदपुर से एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाया गया था. उनके आवास के बाथरूम में गिरने से सिर और शरीर में गंभीर चोटें आई थीं. इसके बाद उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वरिष्ठ चिकित्सकों की एक टीम उनकी सेहत पर लगातार नजर रख रही थी.
शिक्षा से राजनीति तक का सफर
1 जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोराबांधा गांव में जन्मे रामदास सोरेन ने जमशेदपुर के को-ऑपरेटिव कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी. शिक्षा के प्रति उनकी गहरी समझ और लगाव ने ही उन्हें झारखंड में शिक्षा सुधारों का मजबूत पैरोकार बनाया. मंत्री बनने के बाद उन्होंने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने और आदिवासी अंचलों में शिक्षा का दायरा बढ़ाने पर विशेष जोर दिया.
उनकी राजनीतिक यात्रा ग्राम प्रधान से शुरू हुई. घोराबांधा पंचायत के ग्राम प्रधान बनने के बाद वे लगातार जनता से जुड़े रहे और धीरे-धीरे राज्य की राजनीति में अपनी पहचान बनाई. शिक्षा मंत्री के रूप में वे न केवल नीति निर्माण में सक्रिय रहे, बल्कि स्वयं मैदान में उतरकर स्कूलों की स्थिति का जायजा लेते थे.
लगातार तीसरी बार विधायक
रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे. 2024 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन (पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र) को हराकर तीसरी बार जीत हासिल की थी.
आदिवासी समाज की आवाज बनने वाले सोरेन को उनके जमीन से जुड़े स्वभाव और शिक्षा सुधारों के प्रति समर्पण के लिए हमेशा याद किया जाएगा.
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