IIT की राह अब होगी आसान, हिंदी मीडियम स्टूडेंट्स को मिलेगा बड़ा सहारा
IIT जोधपुर ने हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए “हिंदी मॉडल” लॉन्च किया है. इसके तहत इंजीनियरिंग की पढ़ाई मातृभाषा में कराई जाएगी, साथ ही अंग्रेजी पर भी जोर दिया जाएगा. इस सफल मॉडल को अब देशभर के 23 IITs में लागू करने की तैयारी की जा रही है.
IIT Jodhpur Hindi Model: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जोधपुर ने शिक्षा को लेकर एक बड़ा प्रयोग शुरू किया है, जिसकी पूरे देश में चर्चा हो रही है. संस्थान ने एक नया “हिंदी मॉडल” तैयार किया है, जिसके तहत प्रथम वर्ष के छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई मातृभाषा हिंदी में कराई जा रही है. इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भाषा शिक्षा में बाधा न बने, बल्कि उसे आसान बनाए.
हिंदी माध्यम के छात्रों को राहत
IIT जोधपुर के निदेशक डॉ. अविनाश कुमार अग्रवाल ने बताया कि IIT में दाखिला लेने वाले कई छात्र हिंदी माध्यम से पढ़ाई करके आते हैं. ऐसे छात्रों को अंग्रेजी आधारित शिक्षा प्रणाली में क्लास समझने, नोट्स बनाने और लैब में काम करने में कठिनाई होती है. परिणामस्वरूप वे आत्मविश्वास खो बैठते हैं. इस चुनौती को देखते हुए संस्थान ने हिंदी मॉडल तैयार किया, जिसमें छात्रों को उनकी समझ की भाषा में पढ़ाई कराई जाती है.
अंग्रेजी पर भी ध्यान
इस मॉडल के तहत छात्रों को इंजीनियरिंग विषय हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी में भी पढ़ाए जाते हैं. साथ ही, उनकी अंग्रेजी भाषा को मजबूत बनाने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित की जाती हैं. इस योजना की शुरुआत एक साल पहले हुई थी और अब तक इसके नतीजे सकारात्मक रहे हैं.
पूरे देश में लागू होगी योजना
हिंदी मॉडल की सफलता को देखते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की तैयारी की जा रही है. सभी IITs की बैठक में इस मॉडल को सराहा गया है. योजना है कि भारत के 23 IITs में छात्रों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई का अवसर दिया जाए. उदाहरण के तौर पर बंगाल में बांग्ला, तमिलनाडु में तमिल, कर्नाटक में कन्नड़, महाराष्ट्र में मराठी और राजस्थान में हिंदी में पढ़ाई कराई जाएगी.
शिक्षक प्रशिक्षण पर जोर
IIT जोधपुर ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विशेष शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया है. इसके तहत 12वीं पास छात्रों को चार वर्षीय बीएससी-बीएड कोर्स कराया जा रहा है. प्रशिक्षित शिक्षक आगे चलकर ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में स्कूली छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देंगे.
इस पहल को शिक्षा सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भाषा की बाधा दूर होगी, छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उच्च शिक्षा तक पहुंच आसान बनेगी.
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