स्टॉक मार्केट में महिलाओं का जोरदार धमाका, शेयरों में धड़ाधड़ लगा रहीं पैसा

Investment: भारतीय शेयर बाजार में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है, जबकि युवा निवेशकों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है. महाराष्ट्र 28.4% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर है, गुजरात दूसरे और उत्तर प्रदेश 18.7% हिस्सेदारी के साथ पीछे है. गोवा, मिजोरम, चंडीगढ़, दिल्ली और सिक्किम राष्ट्रीय औसत से आगे हैं. महिलाओं के निवेश रुझान में वृद्धि वित्तीय जागरूकता और डिजिटल ट्रेडिंग के कारण है, जबकि युवाओं की कमी आर्थिक अनिश्चितता और पूंजी अभाव से जुड़ी है.

By KumarVishwat Sen | August 11, 2025 6:53 PM

Investment: शेयर बाजारों में पैसा लगाने के मामले में देश की महिलाओं ने धमाकेदार एंट्री मारी है. खबर है कि शेयर बाजार में विभिन्न राज्यों की महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार तेजी से बढ़ रही है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि भारतीय शेयर बाजार में महिलाओं की भागीदारी विभिन्न राज्यों में निरंतर बढ़ रही है. एनएसई के जून 2025 तक के आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश राज्यों में इक्विटी बाजारों में महिला निवेशकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है.

महाराष्ट्र की महिलाएं टॉप पर

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल विशिष्ट निवेशक पंजीकरण के मामले में शीर्ष पांच राज्यों में महाराष्ट्र सबसे आगे है, जहां महिलाओं की हिस्सेदारी 28.4% तक पहुंच गई है, जो वित्त वर्ष 2023 में 25.6% थी. यह आंकड़ा बताता है कि पिछले दो वर्षों में राज्य में महिला निवेशकों की रुचि लगातार बढ़ी है.

गुजरात दूसरे स्थान पर

महिला निवेशकों की भागीदारी के मामले में गुजरात दूसरे स्थान पर है. यहां वित्त वर्ष 2023 में 26.6% हिस्सेदारी थी, जो जून 2025 में बढ़कर 27.8% हो गई है. हालांकि, उत्तर प्रदेश का देश में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक आधार है. हालांकि, लैंगिक प्रतिनिधित्व के मामले में यह अब भी पीछे है. यहां महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 18.7% है, जो राष्ट्रीय औसत 24.5% से काफी कम है. फिर भी, वित्त वर्ष 2023 के 16.9% से यह एक सराहनीय सुधार है, जो यह दर्शाता है कि राज्य में महिलाओं की निवेश में रुचि धीरे-धीरे बढ़ रही है.

राष्ट्रीय औसत से आगे निकलते राज्य

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के आधे से अधिक राज्यों में अब महिला निवेशकों की हिस्सेदारी राष्ट्रीय औसत 24.5% से अधिक हो गई है, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह अनुपात केवल 44 प्रतिशत राज्यों में था. कई छोटे क्षेत्र भी बाजारों में लैंगिक समावेशन के मामले में अग्रणी बनकर उभर रहे हैं. गोवा इस सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद मिजोरम का स्थान है. चंडीगढ़ में महिला निवेशकों की हिस्सेदारी 32%, दिल्ली में 30.5% और सिक्किम में 30.3% दर्ज की गई है. ये सभी राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर हैं और यह दिखाता है कि बड़े महानगरों के साथ छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी इस मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.

युवा निवेशकों की हिस्सेदारी में गिरावट

रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां महिलाओं की भागीदारी में सुधार देखा जा रहा है, वहीं युवा निवेशकों की हिस्सेदारी में कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 30 वर्ष से कम आयु के निवेशकों का अनुपात मार्च 2024 में 40% था, जो मार्च 2025 में घटकर 39.5% और जून 2025 में 39% रह गया. यह गिरावट मुख्य रूप से इस आयु वर्ग के नए निवेशकों के बाजार में प्रवेश में कमी के कारण आई है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. इनमें आर्थिक अनिश्चितता, निवेश के लिए प्रारंभिक पूंजी की कमी और पारंपरिक निवेश विकल्पों की ओर बढ़ता झुकाव शामिल है.

लैंगिक विविधता और बाजार का बदलता परिदृश्य

एनएसई के आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि भारतीय शेयर बाजार में लैंगिक विविधता में सुधार हो रहा है और महिलाएं अब पहले से अधिक सक्रिय रूप से बाजार में भाग ले रही हैं. वित्तीय जागरूकता कार्यक्रम, डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म और निवेश के आसान विकल्प इस बदलाव के पीछे अहम कारक हैं. हालांकि, युवा निवेशकों की घटती हिस्सेदारी एक चिंता का विषय है, क्योंकि इस वर्ग की भागीदारी बाजार के दीर्घकालिक विकास और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है.

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शेयर बाजार की दोहरी तस्वीर

एनएसई की यह रिपोर्ट भारतीय शेयर बाजार की दोहरी तस्वीर पेश करती है. एक तरफ महिलाओं की भागीदारी में लगातार वृद्धि से बाजार में सकारात्मक बदलाव हो रहा है, तो दूसरी तरफ युवा निवेशकों की हिस्सेदारी में गिरावट से संभावित चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. अगर इस गिरावट को रोकना है, तो युवा वर्ग को निवेश के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए विशेष योजनाएं और वित्तीय शिक्षा कार्यक्रम शुरू करना आवश्यक होगा. वहीं, महिलाओं के बढ़ते निवेश रुझान को और मजबूत बनाने के लिए उन्हें निवेश सुरक्षा और रिटर्न की बेहतर संभावनाएँ प्रदान करनी होंगी. इस संतुलन के साथ, भारतीय शेयर बाजार आने वाले वर्षों में और अधिक समावेशी और स्थिर बन सकता है.

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