BharOS : धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव ने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम का किया टेस्ट, जानें क्या है ‘भरोस’

मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस नो डिफॉल्ट ऐप्स (एनडीए) के साथ आता है. इसमें मोबाइल उपभोक्ताओं को उन ऐप्स का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, जिनसे वे परिचित न हों या जिन्हें वे अपने मोबाइल डिवाइस में इंस्टॉल्ड ऐप्स के लिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से पूरी तरह सुरक्षित नहीं मानते.

By KumarVishwat Sen | January 24, 2023 1:19 PM

नई दिल्ली : केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस (BharOS) का परीक्षण किया. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) के इन्क्यूबेटेड फर्म की ओर से विकसित किया गया है. इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम की खासियत यह है कि इसके सॉफ्टवेयर को कॉमर्शियल ऑफ दर शेल्फ हैंडसेट पर भी इंस्टॉल किया जा सकता है.

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस सफर में मुश्किलें आएंगी और दुनिया भर में कई लोग मुश्किलों को लेकर आएंगे. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग नहीं चाहेंगे कि ऐसा कोई सिस्टम सफल हो सके. उन्होंने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस पर भरोसा जताते हुए कहा कि इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को बहुत सावधानी और कठिन परिश्रम से सफल बनाने की दिशा में काम करना है.

क्या है ‘भरोस’

‘भरोस’ एक स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है. इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को आईआईटी मद्रास ने विकसित किया है. इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को लेकर भारत के 100 करोड़ मोबाइल फोन के उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. इस ऑपरेटिंग सिस्टम की खासियत यह है कि यह हाईटेक सिक्योरिटी और प्राइवेसी के साथ आता है. इस मतलब यह हुआ कि मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम में उपभोक्ताओं को उनकी जरूरतों के अनुरूप मोबाइल ऐप चुनने और उनका इस्तेमाल करने के लिए अधिक फ्रीडम, कंट्रोंल और लचीलापन मिलता है. भरोस को कॉमर्शियल ऑफ द शेल्फ डिवाइस पर भी आसानी से इंस्टॉल किया जा सकता है.

Also Read: 100 करोड़ MDM घोटाले का आरोपी जेल में कर रहा मोबाइल का इस्तेमाल, एजेंसियों को धोखा देने के लिए अपनाया ये तरीका
कैसे होता है इस्तेमाल

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस नो डिफॉल्ट ऐप्स (एनडीए) के साथ आता है. इसमें मोबाइल उपभोक्ताओं को उन ऐप्स का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, जिनसे वे परिचित न हों या जिन्हें वे अपने मोबाइल डिवाइस में इंस्टॉल्ड ऐप्स के लिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से पूरी तरह सुरक्षित नहीं मानते. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्वदेश निर्मित मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम उपभोक्ताओं को उन ऐप्स पर अधिक कंट्रोल देता है, जो उनके डिवाइस में इंस्टॉल है. सरल शब्दों में कहा जाए, तो इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम में उपभोक्ताओं का कंट्रोल ज्यादा होता है, वे जिसे चाहेंगे, उसे अपने मोबाइल ऐप्स में एक्सेस दे सकेंगे.

Next Article

Exit mobile version