ट्रंप के टैरिफ से शेयर बाजार धड़ाम, जीएसटी और जियो का मिला सहारा

Stock Market: डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50% टैरिफ लागू करने के ऐलान का असर भारतीय शेयर बाजार पर साफ दिखा. सेंसेक्स 849 अंक और निफ्टी 255 अंक गिरकर बंद हुए, जिससे निवेशकों की जेब से करीब 5 लाख करोड़ रुपये एक दिन में साफ हो गए. हालांकि, जीएसटी सुधार, कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता और त्योहारी सीजन की खपत ने बाजार को गहरी गिरावट से बचाया. विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ का असर निर्यात आधारित सेक्टर पर लंबे समय तक दिखाई देगा.

By KumarVishwat Sen | August 26, 2025 9:30 PM

Stock Market: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 50% टैरिफ लागू करने के ऐलान का असर मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार पर साफ तौर पर दिखाई दिया. बाजार खुलते ही सेंसेक्स लगभग 700 अंक लुढ़ककर 80,940 के स्तर तक आ गया, जबकि निफ्टी भी करीब 200 अंक गिरकर 24,755 पर पहुंच गया. बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी करीब डेढ़ प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई. कारोबार के आखिर में बीएसई सेंसेक्स 849.37 अंक की बड़ी गिरावट के साथ 80,786.54 अंक और एनएसई निफ्टी 255.70 अंक के नुकसान से 24,712.05 अंक पर बंद हुआ.

निवेशकों की जेब से 5 लाख करोड़ रुपये साफ

शेयर बाजार के इस झटके ने निवेशकों को बड़ा नुकसान पहुंचाया. बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मार्केट कैप एक दिन में ही 455 लाख करोड़ रुपये से घटकर 450 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. इसका सीधा मतलब है कि निवेशकों की जेब से लगभग 5 लाख करोड़ रुपये एक ही दिन में निकल गए. विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिका की ओर से 27 अगस्त से लागू होने वाले नए आयात शुल्क की घोषणा के कारण आई है.

अनुमानित स्तर से कम रही गिरावट

फिर भी बाजार की गिरावट अनुमानित स्तर से कम रही. सुबह जहां उम्मीद की जा रही थी कि सेंसेक्स 1000 से 1500 अंकों तक टूटेगा. वहीं, यह धीरे-धीरे संभलकर करीब 450 से 500 अंकों की गिरावट तक सीमित हो गया. इसके पीछे कई कारण रहे.

जीएसटी सुधार और त्योहारी सीजन का सहारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त को घोषित जीएसटी सुधार ने निवेशकों में भरोसा जगाया है. टैक्स स्लैब घटाने और खपत बढ़ाने की योजना ने बाजार को सहारा दिया. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें अभी भी 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बनी हुई हैं, जिससे भारत का आयात बिल नियंत्रण में है. इसी बीच त्योहारी सीजन में बढ़ती खपत का असर भी निवेशकों की उम्मीदों पर पड़ा.

फेडरल रिजर्व की उम्मीद और एफपीआई का संतुलन

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना जताई जा रही है. यदि ऐसा होता है तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का पैसा भारतीय बाजार में वापस लौट सकता है. इसके अलावा खुदरा निवेशकों का भरोसा भी बाजार को मजबूत बना रहा है. जनवरी से जुलाई तक उन्होंने लगभग 4 लाख करोड़ रुपये शेयर बाजार में लगाए हैं. यह राशि विदेशी निवेशकों की बिकवाली को संतुलित कर रही है.

रिलायंस एजीएम और जियो आईपीओ की चर्चा

रिलायंस की 27 अगस्त को होने वाली एजीएम में जियो के आईपीओ की उम्मीद ने भी बाजार में सकारात्मक ऊर्जा डाली है. विदेशी रेटिंग एजेंसियों द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था पर जताया गया भरोसा भी इस उथल-पुथल के समय बाजार को सहारा देने में मददगार साबित हुआ.

दिन के कारोबार में धीरे-धीरे संभला बाजार

सुबह के सत्र में जब बाजार गहरे गोते लगाता नजर आया, तो निवेशकों को बड़ा झटका लगा, लेकिन दोपहर तक यह धीरे-धीरे संभलने लगा. सेंसेक्स शुरुआती 700 अंकों की गिरावट से उबरकर 450-500 अंकों की गिरावट के दायरे में स्थिर हो गया और निफ्टी भी 165 अंकों की गिरावट के साथ सीमित नुकसान में कारोबार करता दिखा.

निर्यात आधारित सेक्टर पर दबाव

विशेषज्ञों का मानना है कि 27 अगस्त से लागू होने वाले टैरिफ का असर लंबे समय तक भारतीय बाजार और अर्थव्यवस्था दोनों पर दिखाई देगा. खासकर, निर्यात केंद्रित सेक्टर जैसे टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स एंड ज्वेलरी और फूड प्रोसेसिंग पर दबाव बढ़ेगा. रोजगार और उत्पादन पर असर पड़ सकता है और विदेशी निवेशक अभी भी सतर्क रुख अपनाए हुए हैं.

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संतुलन साधने की चुनौती

सरकार के जीएसटी सुधार, कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता और घरेलू निवेशकों की सक्रियता भारतीय शेयर बाजार को गहरी गिरावट से बचाने में अहम भूमिका निभा सकती है. हालांकि, टैरिफ का दबाव और वैश्विक आर्थिक माहौल आगे भी निवेशकों को अस्थिरता से जूझने पर मजबूर कर सकता है.

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