रिटायरमेंट के दिन पूर्व वित्त सचिव गर्ग का छलका दर्द, सीतारमण के साथ मतभेद न होता तो नहीं करना पड़ता वो काम…

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही वित्त मंत्रालय से हटाए गए पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शनिवार को कहा कि नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें वित्त मंत्रालय से बाहर किया. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अच्छे संबंध नहीं थे और इस कारण साल भर पहले उन्होंने समय से अपने पद से इस्तीफा देते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी.

By Agency | October 31, 2020 9:25 PM

नयी दिल्ली : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही वित्त मंत्रालय से हटाए गए पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शनिवार को कहा कि नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें वित्त मंत्रालय से बाहर किया. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अच्छे संबंध नहीं थे और इस कारण साल भर पहले उन्होंने समय से अपने पद से इस्तीफा देते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी.

बता दें कि गर्ग को जुलाई 2019 में वित्त मंत्रालय से बिजली मंत्रालय में स्थानातंरित किया गया था. इसके बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन किया था और उन्हें 31 अक्टूबर 2019 को कार्यमुक्त कर दिया गया. वित्त मंत्रालय और सीतारमण के कार्यालय ने गर्ग के ब्लॉग पर टिप्पणी करने से इनकार किया.

सामान्य तरीके से आज रिटायर हो जाते गर्ग

गर्ग ने एक ब्लॉग में लिखा कि श्रीमती सीतारमण ने वित्त मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने के एक महीने के भीतर ही जून 2019 में वित्त मंत्रालय से मेरे स्थानांतरण पर जोर देना शुरू कर दिया. गर्ग ने लिखा कि वह सामान्य रूप से सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होते, लेकिन उन्हें वीआरएस लेना पड़ा. सामान्य स्थिति में उनका सेवाकाल आज (31 अक्टूबर 2020) समाप्त होता. उन्होंने आगे कहा कि नई वित्त मंत्री के साथ मेरे अच्छे और परिणामदायक संबंध नहीं थे और मैं वित्त मंत्रालय के बाहर कहीं काम करना नहीं चाहता था.

पूर्व वित्त मंत्री जेटली की तारीफ की

सीतारमण 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद वित्त मंत्री बनीं. इससे पहले वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली के साथ गर्ग के अच्छे संबंध थे और गर्ग ने अपने ब्लॉग में उनकी तारीफ भी की है. हालांकि, नई वित्त मंत्री के साथ उनका वैसा तालमेल कायम नहीं रह सका. गर्ग ने ब्लॉग में लिखा कि ऐसा लगा कि उन्हें मुझ पर भरोसा नहीं था. यह बहुत पहले ही साफ हो गया कि उनके साथ काम करना काफी मुश्किल होने वाला था… वह मेरे प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त थीं. वह मेरे साथ काम करने में सहज नहीं थीं.

सीतारमण के साथ थे गहरे मतभेद

गर्ग ने आगे कहा कि आरबीआई के आर्थिक पूंजीगत ढांचे, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की समस्याओं के समाधान के लिए पैकेज, आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना और गैर बैंकों के पूंजीकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनके साथ गंभीर मतभेद भी सामने आने लगे. उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही हमारे व्यक्तिगत संबंधों में खटास आ गई और साथ ही आधिकारिक कामकाजी संबंध भी काफी अनुत्पादक हो गए.

मतभेद बढ़ने पर किया वीआरएस का फैसला

गर्ग ने कहा कि ऐसे हालात में उन्होंने काफी पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सरकार के बाहर व्यापक आर्थिक सुधार के लिए काम करने का फैसला कर लिया था. हालांकि, वह 5 जुलाई 2019 को पेश किए जाने वाले आम बजट की तैयारियों तक रुके रहे. उन्होंने लिखा कि सीतारमण उन्हें 5 जुलाई 2019 को पेश किए जाने वाले आम बजट से पहले जून 2019 में ही स्थानांतरित करवाना चाहती थीं. हालांकि, यह नहीं बताया कि सरकार ने उनकी यह मांग तुरंत क्यों नहीं मानी. उन्होंने आर्थिक मामलों पर गहरी पकड़ और समझ के लिए पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की तारीफ की.

पीके मिश्रा की सलाह पर नौकरी से लिया वीआरएस

गर्ग ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में तत्कालीन अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्रा के साथ सीतारमण से उनके संबंधों के बारे में कुछ अवसरों पर चर्चा की थी. उन्होंने कहा कि हम दोनों इस बात पर सहमत थे कि मेरे लिए सबसे बढ़िया रास्ता यही होगा कि नई वित्त मंत्री को सुचारु रूप से काम करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाए. मिश्रा ने मुझे सरकार में या सरकार के बाहर किसी नियामक संस्था या कहीं और कोई काम चुनने की पेशकश की. पूर्व वित्त सचिव ने हालांकि मिश्रा को बताया कि उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का मन बना लिया है.

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Posted By : Vishwat Sen

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