RBI का मास्टरस्ट्रोक: मुसीबत में फंसे exporters को मिली बड़ी राहत, बदले गए कई अहम नियम
RBI Helps Exporters: भारत के एक्स्पोर्टर्स के लिए यह समय किसी तूफान से कम नहीं है. वैश्विक व्यापार में मंदी और अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ की मार से कई सेक्टर डगमगा गए हैं. ऐसे में RBI ने एक बड़ा कदम उठाते हुए कई राहत के उपायों का ऐलान किया है, जो संघर्ष कर रहे उद्योगों को नई उम्मीद दे सकते हैं. ज्यादा समय, आसान लोन और बढ़ी हुई क्रेडिट सुविधाओं के साथ अब सवाल यह है कि क्या ये कदम भारतीय एक्सपोर्टस को फिर से रफ्तार दे पाएंगे? क्या यह बदलाव लाखों नौकरियों को बचाने का रास्ता बन सकता है?
RBI Helps Exporters: भारत में एक्सपोर्ट करने वाले उद्योग इन दिनों वैश्विक मंदी और अमेरिकी टैरिफ के कारण बड़े संकट से गुजर रहे हैं. ऐसी स्थिति में RBI ने एक बड़ा फैसला लेते हुए उन सेक्टर्स को राहत देने का ऐलान किया है जो इस समय सबसे ज्यादा दबाव में हैं. इन फैसलों का मकसद यह है कि एक्स्पोर्टर्स को काम जारी रखने में आसानी हो और उनकी वित्तीय दिक्कतें कम हों.
क्या बदला है एक्सपोर्ट के नियमों में?
अब एक्स्पोर्टर्स को अपने एक्सपोर्ट की कमाई वापस लाने के लिए पहले के 9 महीनों की जगह 15 महीनों का समय दिया जाएगा. साथ ही, जिन सौदों में एडवांस पेमेंट मिल चुका है, उनके माल की शिपमेंट के लिए एक साल की जगह पूरे तीन साल मिलेंगे. इससे उन कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी जिनके ऑर्डर लेट हो रहे हैं या सप्लाई चेन में दिक्कतें आ रही हैं.
किन सेक्टर्स को मिलेगा ज्यादा फायदा?
RBI ने ऐसे 20 सेक्टर्स चुने हैं जो इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. इनमें टेक्सटाइल, फुटवियर, मरीन प्रोडक्ट्स, ज्वेलरी, आयरन-स्टील, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, प्लास्टिक, कार्पेट और व्हीकल्स जैसे सेक्टर्स शामिल हैं. इन उद्योगों के लिए टर्म-लोन की किस्तें और ब्याज भुगतान को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है, जिससे उनके कैश-फ्लो पर तुरंत दबाव नहीं पड़ेगा.
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बिजनेस चलाने के लिए बढ़ाया गया क्रेडिट समय क्या है?
प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट क्रेडिट का समय 270 दिनों से बढ़ाकर 450 दिन कर दिया गया है. अगर किसी कारण माल की शिपमेंट तय समय पर नहीं हो पाई तो बैंक अब उस लोन को घरेलू बिक्री से भी एडजस्ट करने की अनुमति देंगे. यह नियम तुरंत लागू हो चुका है.
क्यों हटाए गए कई Quality Control Orders?
सरकार ने 14 QCOs वापस ले लिए हैं जो केमिकल्स, प्लास्टिक और फाइबर बनाने वाली इंडस्ट्री पर लागू थे. ऐसा करने से कच्चा माल सस्ता होगा और भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री का मुकाबला चीन और वियतनाम जैसे देशों से बेहतर तरीके से हो सकेगा. MSMEs को भी कम नियम और ज्यादा
सोर्सिंग ऑप्शन मिलेंगे, जिससे उनका खर्च कम होगा.
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