हेल्थ सर्विसेज पर खर्च बढ़ाकर जीडीपी का 2.5% करने की मांग, बजट-पूर्व चर्चा में सरकार से सिफारिश
Pre-Budget Discussion: नैटहेल्थ ने बजट-पूर्व चर्चा में सरकार से स्वास्थ्य सेवाओं पर सार्वजनिक व्यय बढ़ाकर जीडीपी का 2.5% करने की मांग की है. संगठन का कहना है कि गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए मजबूत स्वास्थ्य ढांचे और दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता है. नैटहेल्थ ने 10,000 रुपये तक की निवारक स्वास्थ्य जांच पर कर कटौती, 50,000 करोड़ रुपये के स्वास्थ्य अवसंरचना फंड और नवाचार-आधारित सुधारों को भी बजट में शामिल करने की सिफारिश की है.
Pre-Budget Discussion: भारत में हेल्थ सेक्टर लगातार दबाव और चुनौतियों का सामना कर रहा है. ऐसे में आगामी बजट से पहले स्वास्थ्य सेवा उद्योग निकाय नैटहेल्थ (NATHEALTH) ने सरकार से स्वास्थ्य खर्च को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की सिफारिश की है. संगठन का मानना है कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य संरचना पर निवेश में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी जरूरी है.
स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाने की मांग
नैटहेल्थ ने अपनी प्री-बजट सिफारिशों में सरकार से सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को जीडीपी के 2.5% से अधिक तक ले जाने का आग्रह किया है. फिलहाल, यह आंकड़ा 1.9% (वित्त वर्ष 2023–24) है, जिसे विशेषज्ञ भारत जैसे बड़े और तेजी से बदलते देश के लिए अपर्याप्त मानते हैं. नैटहेल्थ के अनुसार, स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च बढ़ाने से स्वास्थ्य अवसंरचना मजबूत होगी, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी और गंभीर एवं गैर-संचारी रोगों से निपटना आसान होगा. नैटहेल्थ के अनुसार, यह समय की महत्वपूर्ण जरूरत है.
गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ पर गंभीर चिंता
भारत में गैर-संचारी रोग (एनसीडी) (डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर और हाइपरटेंशन) तेजी से बढ़ रहे हैं. नैटहेल्थ का कहना है कि देश में कुल मौतों में करीब 65% मौत पुरानी बीमारियों के कारण होती है. मौजूदा स्वास्थ्य ढांचा तेजी से बढ़ते गैर-संचारी रोगों के बोझ को संभालने में सक्षम नहीं है. सरकार को गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए अधिक संसाधन और दीर्घकालिक नीति की जरूरत है. गैर-संचारी रोग भारत की आर्थिक उत्पादकता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं. इसलिए यह केवल स्वास्थ्य नहीं बल्कि राष्ट्रीय विकास का प्रमुख मुद्दा बन चुका है.
10,000 रुपये तक की स्वास्थ्य जांच पर टैक्स कटौती
नैटहेल्थ ने निवारक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है. संगठन ने आग्रह किया है कि निवारक स्वास्थ्य जांच (प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप) पर 10,000 रुपये तक टैक्स कटौती दी जाए. भारत में लोग आमतौर पर बीमारी के बाद उपचार कराते हैं, जबकि रोकथाम पर कम ध्यान दिया जाता है. ऐसे में टैक्स इंसेंटिव से शुरुआती जांच को बढ़ावा मिलेगा. रोगों के गंभीर रूप लेने से पहले निदान संभव होगा और स्वास्थ्य प्रणाली पर लंबी अवधि का दबाव कम होगा. यह कदम देश में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका माना जा रहा है.
हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने का प्रस्ताव
नैटहेल्थ ने सरकार के सामने एक बड़ा वित्तीय मॉडल रखने की सिफारिश की है. इसमें कहा गया है कि 50,000 करोड़ रुपये का हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया जाए. अस्पतालों और डायग्नोस्टिक्स केंद्रों को कम लागत वाली दीर्घकालिक पूंजी उपलब्ध कराई जाए. नई स्वास्थ्य परियोजनाओं को शुरू करने में लगने वाला समय और जोखिम कम किया जाए. अस्पतालों को अभी कम लागत वाली पूंजी आसानी से उपलब्ध नहीं होती. इससे स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में सहयोग नहीं हो पाता. हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड इस कमी को दूर कर सकता है.
भविष्य के लिए तैयार स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण
नैटहेल्थ की सिफारिशों में यह भी कहा गया है कि भारत को अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को “फ्यूचर रेडी” बनाना होगा. इसमें डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, टेलीमेडिसिन और एआई-आधारित चिकित्सा समाधान, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा और सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग (पीपीपी मॉडल) शामिल हैं. सरकार से अनुरोध किया गया है कि स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक संतुलित नीति अपनाई जाए, जिसमें राजकोषीय सहायता, संरचनात्मक सुधार और नवाचार-आधारित रणनीतियां शामिल हों.
क्या कहती हैं नैटहेल्थ की प्रेसिडेंट अमीरा शाह
नैटहेल्थ की प्रेसिडेंट अमीरा शाह ने कहा, “सरकार को विकसित भारत 2047 विजन पूरा करने के लिए स्वास्थ्य सेवा को राष्ट्र निर्माण के एक रणनीतिक स्तंभ के रूप में मान्यता देनी होगी. इसके लिए राजकोषीय दूरदर्शिता और नवाचार आधारित सुधार जरूरी हैं, जो सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करें.” उनके अनुसार, स्वास्थ्य व्यय बढ़ाना सिर्फ सामाजिक जरूरत नहीं, बल्कि आर्थिक विकास की अनिवार्य शर्त है.
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बजट 2025 में बड़े बदलावों की उम्मीद
स्वास्थ्य क्षेत्र की मांगें दर्शाती हैं कि भारत को अब अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च में भारी बढ़ोतरी करनी होगी. अगर सरकार नैटहेल्थ की सिफारिशों को अपनाती है, तो स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी, इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और गैर-संचारी रोगों से लड़ना आसान होगा. इसके साथ ही, भारत एक दीर्घकालिक, टिकाऊ स्वास्थ्य प्रणाली बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगा. आगामी बजट में सरकार क्या निर्णय लेती है, पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र की इस पर नजरें टिकी रहेंगी.
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