Iranian Currency Crash: ईरानी रियाल में मच गया हाहाकार, रिकॉर्ड गिरावट के साथ 12 लाख प्रति डॉलर पर पहुंचा
Iranian Currency Crash: ईरानी रियाल ऐतिहासिक गिरावट के साथ 12 लाख प्रति डॉलर पर पहुंच गया है. अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों, घटते तेल निर्यात और इजराइल-ईरान तनाव ने देश की अर्थव्यवस्था को गहरे दबाव में ला दिया है. रियाल के कमजोर होते ही मांस, चावल सहित रोजमर्रा की चीजों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे आम नागरिकों पर महंगाई का भारी बोझ बढ़ गया है.
Iranian Currency Crash: परमाणु प्रतिबंधों के दबाव से बदहाल ईरान की मुद्रा रियाल ने बुधवार 3 दिसंबर 2025 को इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की. यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 लाख रियाल प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर पहुंच गई. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने नई विनिमय दर मंगलवार को ही घोषित कर दी थी, जो अब देश के पूरे मुद्रा बाजार में लागू हो गई है. यह गिरावट बताती है कि ईरान की अर्थव्यवस्था किस हद तक दबाव में है।
रोजमर्रा की जरूरतों पर बेतहाशा महंगाई
रियाल की इस तेज गिरावट ने सीधे आम जनता की जेब पर असर डाला है. खाद्य पदार्थों और जीवन-जरूरत की चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. मांस, चावल और दूसरी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में आई उछाल से मध्यम और निम्न आय वर्ग की हालत और कठिन हो गई है. स्थानीय बाजारों में महंगाई की रफ्तार इतनी तेज है कि लोग रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल महसूस कर रहे हैं.
ईरान पर प्रतिबंधों का प्रहार
रियाल की इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह ईरान पर लगाए गए अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय परमाणु प्रतिबंध है. इन प्रतिबंधों ने न केवल ईरान की आर्थिक गतिविधियों को धीमा कर दिया, बल्कि उसके राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत तेल निर्यात पर भी गहरा प्रभाव डाला है. तेल बिक्री में कमी ने देश की विदेशी मुद्रा आमदनी को घटा दिया, जिससे रियाल पर दबाव और बढ़ गया. प्रतिबंधों के चलते निवेश, व्यापार और बैंकिंग प्रणाली भी बाधित हुई है.
भू-राजनीतिक तनाव से बढ़ी अनिश्चिता
आर्थिक संकट के बीच ईरान और इजराइल के बीच बढ़ता तनाव लोगों में भय पैदा कर रहा है. नागरिकों को आशंका है कि यदि संघर्ष दोबारा तेज होता है तो इसका असर अर्थव्यवस्था, आपूर्ति शृंखला और आम जनजीवन पर सीधा पड़ेगा. पिछले जून में दोनों देशों के बीच 12 दिन तक भीषण संघर्ष चला था, जिसे अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद रोका गया था. हालांकि, हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं, जिससे बाजारों में अनिश्चितता और बढ़ गई है.
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ईरान में गहराता जा रहा है संकट
ईरानी रियाल की रिकॉर्ड गिरावट दर्शाती है कि ईरान की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक मोड़ पर पहुंच चुकी है. महंगाई, प्रतिबंध और भू-राजनीतिक तनाव ने मिलकर स्थिति को और गंभीर बना दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक प्रतिबंधों में ढील नहीं मिलती या भू-राजनीतिक हालात स्थिर नहीं होते, रियाल की स्थिति में सुधार की संभावना कम है. इस संकट का सबसे बड़ा बोझ आम नागरिकों को उठाना पड़ रहा है, जिनके लिए रोजमर्रा की जिंदगी और कठिन होती जा रही है.
भाषा इनपुट के साथ
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