GST Rate Cut Benefit: जीएसटी दरों में कटौती से खपत में जोरदार उछाल, आदमी से लेकर कंपनियों तक को फायदा

GST Rate Cut Benefit: सितंबर 2025 की जीएसटी दरों में कटौती से सभी सेक्टरों में खपत तेज हुई है. टैक्सेबल वैल्यू 15% बढ़ी, ऑटो, सीमेंट, फार्मा और एफएमसीजी जैसे सेक्टरों में मजबूत ग्रोथ दिखी. कम टैक्स रेट से उपभोक्ता खर्च बढ़ा और अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिली.

By KumarVishwat Sen | December 1, 2025 7:22 PM

GST Rate Cut Benefit: सरकार की ओर से सितंबर 2025 को जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) दरों में कटौती से उद्योग में सभी सेक्टर की खपत में जोरदार उछाल दर्ज किया गया है. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि जीएसटी दरों में की गई कटौती का असर अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है. कई प्रमुख सेक्टरों में खपत में तेज उछाल दर्ज किया गया है. कंजम्पशन इंडिकेटर्स के अनुसार जरूरी और मास-मार्केट कैटेगरी में उपभोक्ता खर्च में मजबूत बढ़ोतरी देखने को मिली है. इससे संकेत मिलता है कि जीएसटी रेट में कमी ने आम उपभोक्ताओं की जेब में ज्यादा पैसा छोड़ा है, जिसका असर सीधे खरीदारी पर पड़ा है.

टैक्सेबल वैल्यू में 15% की ग्रोथ

सूत्रों के मुताबिक, सितंबर–अक्टूबर 2025 के दौरान जीएसटी के तहत चीजों और सेवाओं की टैक्सेबल वैल्यू पिछले साल की तुलना में 15% बढ़ी, जबकि 2024 की इसी अवधि में यह वृद्धि सिर्फ 8.6% थी. यानी जीएसटी बचत का फायदा इस बार लगभग दोगुना दिखा. जीएसटी काउंसिल द्वारा रेट में कटौती को सरकार ने जीएसटी बचत उत्सव का नाम दिया था, जिसका मकसद लोगों के हाथों में ज्यादा बचत देना और खपत को बढ़ावा देना था.

कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में सबसे तेज रफ्तार

जीएसटी दरों में कटौती का सबसे बड़ा असर कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर दिखा. सीमेंट और उससे जुड़े उत्पादों में इस साल 19% की ग्रोथ दर्ज की गई, जबकि पिछले साल यह सिर्फ 2% थी. यह बदलाव बताता है कि कम जीएसटी दरों ने इस कैटेगरी की मांग को नए स्तर पर पहुंचा दिया है.

ऑटोमोबाइल सेक्टर में जबरदस्त बढ़त

ऑटोमोबाइल कैटेगरी में भी जोरदार सुधार देखने को मिला. बसों और पैसेंजर कारों की ग्रोथ 12% से बढ़कर 20% हो गई. गुड्स कैरियर और कमर्शियल व्हीकल की वृद्धि 2% से बढ़कर 12% हो गई. ट्रैक्टर की ग्रोथ 11% से 17% दर्ज की गई. ये आंकड़े बताते हैं कि वाहन सेक्टर में खरीदी फिर से तेजी पकड़ रही है.

फार्मा, रेडी-टू-ईट फूड और लेदर सेक्टर की ग्रोथ दोगुनी

कुछ प्रमुख सेक्टरों में साल-दर-साल ग्रोथ तीन गुना तक बढ़ गई.

  • फार्मास्यूटिकल्स: 5% से 13%
  • रेडी-टू-ईट फूड: 11% से 17%
  • लेदर इंडस्ट्री: 9% से 18%
  • मेडिकल डिवाइस: 16% से 19%

कुछ सेक्टर्स में मिला-जुला प्रदर्शन

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में मिले-जुले नतीजे सामने आए हैं. इनमें टेक्सटाइल में 12% से गिरकर 8% की ग्रोथ रही. वहीं, टू-व्हीलर और साइकिल की मांग 23% से घटकर 18% हुई. विशेषज्ञ मानते हैं कि यहां उपभोक्ता की पसंद बड़े और अधिक वैल्यू वाले फोर-व्हीलर की ओर थोड़ा शिफ्ट हुई है. इसके बावजूद अधिकांश अन्य कैटेगरी में कुल मिलाकर 28% की ग्रोथ देखने को मिली, जो पिछले साल के 12% की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा है.

कम जीएसटी दरों ने बढ़ाई अर्थव्यवस्था की रफ्तार

सरकार का कहना है कि जीएसटी दरों में कटौती करने का उद्देश्य आम उत्पादों पर टैक्स का बोझ घटाना, उपभोक्ताओं की बचत बढ़ाना और खपत को तेज करना है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि जीएसटी कलेक्शन का यह डेटा खपत के रियल-टाइम ट्रेंड के लिए सबसे भरोसेमंद संकेतक है. कम जीएसटी दरों के बावजूद टैक्सेबल वैल्यू बढ़ना यह दर्शाता है कि कुल मांग बढ़ी है और इंडस्ट्री इस बचत को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में सक्रिय रही है.

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लैफर कर्व सिद्धांत हुआ साबित

सूत्रों ने बताया कि जीएसटी दरों में कटौती ने एक बार फिर कम टैक्स रेट, ज्यादा खपत और सबसे अधिक कुल टैक्सेबल वैल्यू को साबित किया है. इसी सिद्धांत को आर्थिक भाषा में लैफर कर्व कहा जाता है.

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