GDP Growth: भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार, दूसरी तिमाही में 8.2% बढ़ोतरी दर्ज
GDP Growth: भारत की जीडीपी दूसरी तिमाही में 8.2% की दर से बढ़ी, जो छह तिमाहियों में सबसे तेज है. विनिर्माण क्षेत्र में 9.1% की मजबूत बढ़त, कम महंगाई और बेहतर खपत ने रियल ग्रोथ को सपोर्ट किया. नॉमिनल ग्रोथ 8.7% रहने से टैक्स कलेक्शन और कॉर्पोरेट कमाई पर दबाव की आशंका है. सरकार जीडीपी का नया बेस ईयर 2022-23 करने की तैयारी में है, जिससे आर्थिक आंकड़ों में बदलाव संभव है.
GDP Growth: भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की जुलाई–सितंबर तिमाही में 8.2% की शानदार ग्रोथ दर्ज की, जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे तेज है. यह बढ़त अप्रैल–जून की 7.8% दर से भी अधिक है और पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में दर्ज 5.6% ग्रोथ से काफी बेहतर है. जीएसटी दरों में कटौती और मांग में सुधार के चलते उत्पादन गतिविधियां तेज रहीं, जिससे कुल आर्थिक गतिविधियों को गति मिली.
विनिर्माण क्षेत्र में जबरदस्त सुधार
शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन सबसे उल्लेखनीय रहा. आलोच्य तिमाही में इस सेक्टर में 9.1% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह वृद्धि केवल 2.2% थी. बेहतर खपत, अनुकूल लागत वातावरण और उत्पादन में तेजी ने विनिर्माण को मजबूत आधार दिया. जीडीपी में लगभग 14% हिस्सेदारी रखने वाला यह सेक्टर अब आर्थिक रिकवरी का प्रमुख इंजन साबित हो रहा है.
रियल और नॉमिनल ग्रोथ में घटती दूरी
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी के अनुसार, रियल जीडीपी ग्रोथ 8.2% के साथ उम्मीद से अधिक रही, वहीं नॉमिनल ग्रोथ 8.7% रही. रियल और नॉमिनल जीडीपी के बीच यह अंतर वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के बाद सबसे कम है. कम डिफ्लेटर और कम हुई महंगाई, विशेषकर खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी, ने रियल ग्रोथ को और मजबूत बनाया. इससे उपभोक्ताओं का विवेकाधीन खर्च बढ़ा, जो प्राइवेट कंजम्पशन ग्रोथ का मुख्य आधार रहा.
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज बने ग्रोथ ड्राइवर
धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि सप्लाई साइड से देखें तो विनिर्माण और सेवाओं दोनों में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला. सेवाओं का विस्तार और औद्योगिक उत्पादन में सुधार ने जीडीपी को मजबूत सहारा दिया. सांख्यिकीय लो-बेस इफेक्ट ने भी दूसरी तिमाही के आंकड़ों को बेहतर दिखाने में भूमिका निभाई, क्योंकि पिछले वर्ष इसी अवधि में विकास अपेक्षाकृत कमजोर था.
फिस्कल ईयर 2025 के लिए अनुमान बढ़ाया गया
उन्होंने कहा कि बेहतर ग्रोथ डेटा के आधार पर, इस वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया है. पहली छमाही में 8% तक की मजबूती और दूसरी छमाही में सरकारी कैपिटल खर्च के सामान्य होने तथा अमेरिकी टैरिफों के असर से विकास दर में मामूली नरमी की संभावना जताई गई है.
टैक्स कलेक्शन और नॉमिनल ग्रोथ की मंदी
धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि रियल ग्रोथ भले मजबूत दिख रही हो, लेकिन नॉमिनल ग्रोथ की सुस्ती भविष्य की चुनौतियां बढ़ा सकती है. टैक्स कलेक्शन अप्रैल से अक्टूबर के बीच केवल 4 प्रतिशत बढ़ा है, जो 11% के लक्ष्य से काफी कम है. नॉमिनल ग्रोथ का कमजोर रहना कॉर्पोरेट कमाई और क्रेडिट ग्रोथ को भी प्रभावित कर सकता है.
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नए बेस ईयर से जीडीपी आंकड़ों में बदलाव संभव
सरकार जल्द ही जीडीपी की बेस ईयर सीरीज को 2011–12 से बदलकर 2022–23 करने जा रही है. इससे अर्थव्यवस्था की वास्तविक तस्वीर को अधिक सटीक तरीके से दर्शाया जा सकेगा. हालांकि, इससे मौजूदा अनुमानों में आंशिक परिवर्तन की संभावना भी बनी रहती है.
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