लोकसभा से फैक्टर विनियमन संशोधन बिल पास, देश के लाखों MSME को अब आसानी से मिल सकेगा कर्ज, जानिए कैसे…?

लोकसभा में फैक्टर विनियमन (संशोधन) बिल-2020 सदन से पारित करने की अपील करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2011 में बनाए गए फैक्टर विनियमन बिल में केवल संशोधन कर रही है.

By Prabhat Khabar Print Desk | July 26, 2021 5:16 PM

नई दिल्ली : पेगासस जासूसी मामले में विपक्षी दलों के भारी हंगामे के दौरान सोमवार को लोकसभा में सरकार की ओर से पेश ‘फैक्टर विनियमन (संशोधन) बिल-2020′ को पास कर दिया गया है. सरकार के इस बिल से देश के लाखों सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एमएसएमई) उद्यमियों के लिए लाभदायक होगा. इस कारण यह है कि लोकसभा से पास यह बिल राज्यसभा से पास होने के बाद अगर कानून बनकर लागू हो जाता है, तो आने वाले दिनों में एमएसएमई उद्यमियों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा.

लोकसभा में फैक्टर विनियमन (संशोधन) बिल-2020 सदन से पारित करने की अपील करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2011 में बनाए गए फैक्टर विनियमन बिल में केवल संशोधन कर रही है. उन्होंने कहा कि यूके सिन्हा समिति की सिफारिशों के आधार पर इस बिल में तीन संशोधन किए जाने हैं. उन्होंने कहा कि 14 सितंबर, 2020 में इस विधेयक को पेश किया गया था. 24 सितंबर को इसे संसद की स्थायी समिति को भेजा गया था. स्थायी समिति की सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है.

वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा सदस्यों से कहा कि फैक्टर विनियमन (संशोधन) बिल में संशोधन किए जाने से देश के लाखों एमएसएमएई उद्यमियों को इससे लाभ मिलेगा. मैं अपील करती हूं कि आप लोग इस संशोधन बिल को पारित करें. उनकी अपील के बाद लोकसभा में इस बिल को पास कर दिया गया.

क्या है फैक्टरिंग

बता दें कि जब एक पक्ष अपनी प्राप्तियां, जिनका भुगतान अभी नहीं किया गया है, उसे किसी दूसरे पक्ष को बेच देता है, तो उसे फैक्टरिंग कहा जाता है. इस बिल के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि इस बारे में वर्ष 2019-20 तथा वर्ष 2020-21 के बजट संबोधन में घोषणा की गई थी. इन संशोधनों के माध्यम से एमएसएमई उपक्रमों की प्रत्यय सुविधा प्राप्त करने के लिए और रास्ते उपलब्ध कराकर खासतौर पर व्यापार से प्राप्त होने वाली आमदनी के माध्यम से सहायता प्रदान करने की बात कही गई है.

क्या है नए संशोधन बिल में

नए संशोधन बिल में कहा गया है कि इसके तहत कार्यशील पूंजी की उपलब्धता में वृद्धि से एमएसएमई उपक्रमों से जुड़े क्षेत्र के कारोबार में वृद्धि और देश में रोजगार को बढ़ावा मिल सकेगा. इसमें अन्य बातों के अलावा ‘प्रेषण’, ‘फैक्टर कारोबार’ और ‘प्राप्तव्यों’ की परिभाषा में संशोधन करने की बात कही गई है, ताकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की परिभाषा के अनुरूप लाया जा सके.

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Posted by : Vishwat Sen

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