Airbus Forecast: दो दशक में एशिया प्रशांत क्षेत्र को 19,560 नए विमानों की पड़ेगी जरूरत, एयरबस का पूर्वानुमान
Airbus Forecast: एयरबस के नए पूर्वानुमान के अनुसार अगले 20 वर्षों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र को 19,560 नए विमानों की जरूरत पड़ेगी, जिसमें सबसे बड़ा योगदान भारत और चीन की तेजी से बढ़ती विमानन मांग का होगा. यह क्षेत्र वैश्विक विमान आवश्यकता का 46% पूरा करेगा. बढ़ती यात्री संख्या, मजबूत हवाई यातायात वृद्धि और एयरलाइनों के बेड़े विस्तार के कारण छोटे और बड़े दोनों श्रेणियों के विमानों की मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है.
Airbus Forecast: एयरबस ने वैश्विक विमानन उद्योग को लेकर नया पूर्वानुमान जारी किया है, जिसमें एशिया–प्रशांत क्षेत्र की तेजी से बढ़ती मांग को प्रमुख कारक बताया गया है. कंपनी का आकलन है कि अगले 20 वर्षों में इस क्षेत्र को कुल 19,560 नए विमानों की आवश्यकता होगी, जिसमें भारत और चीन की भूमिका सबसे बड़ी रहेगी.
एशिया–प्रशांत का वैश्विक विमानन में बढ़ता दबदबा
एयरबस के अनुसार, विश्वभर में अगले दो दशकों में 42,520 नए विमानों की जरूरत पड़ेगी, जिनमें से 46% यानी लगभग आधे विमान केवल एशिया–प्रशांत क्षेत्र में उपयोग होंगे. यह आंकड़ा बताता है कि यह क्षेत्र भविष्य के वैश्विक विमानन उद्योग का केंद्र बनने जा रहा है. एयरबस एशिया–प्रशांत के अध्यक्ष आनंद स्टेनली ने कहा कि भारत और चीन में यात्रा की मांग तेजी से बढ़ रही है और एयरलाइंस इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपने बेड़े का विस्तार कर रही हैं.
यात्रियों की संख्या में तेज बढ़ोतरी
एयरबस ने अनुमान लगाया है कि एशिया–प्रशांत क्षेत्र में वार्षिक यात्री वृद्धि दर 4.4% रहेगी, जो वैश्विक औसत 3.6% से अधिक है. यह बढ़ोतरी क्षेत्र में बढ़ती आय, विस्तारित हवाई सेवाओं, बेहतर कनेक्टिविटी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के कारण हो रही है. भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते नागर विमानन बाजारों में शामिल है. इंडिगो और एयर इंडिया जैसी एयरलाइंस बड़े पैमाने पर ऑर्डर देकर बेड़े विस्तार में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं.
बड़े आकार के विमानों की भारी मांग
बैंकॉक में आयोजित एसोसिएशन ऑफ एशिया–पैसिफिक एयरलाइंस (एएपीए) के सम्मेलन के दौरान एयरबस ने बताया, एशिया-प्रशांत क्षेत्र को अगले 20 वर्षों में लगभग 3,500 बड़े आकार (वाइड-बॉडी) वाले विमान चाहिए होंगे. यह इस श्रेणी में वैश्विक मांग का 43% हिस्सा होगा. ये विमान लंबी दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं, और एशिया–प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल तेजी से बढ़ रहा है.
छोटे विमानों की सबसे अधिक जरूरत
एयरबस का अनुमान है कि क्षेत्र को लगभग 16,100 छोटे (नैरो-बॉडी) विमानों की जरूरत होगी. यह अकेले इस श्रेणी में कुल वैश्विक मांग का 47% है. भारत में घरेलू हवाई यात्रा की तेज वृद्धि और लो-कॉस्ट कैरियर के विस्तार से इस श्रेणी की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.
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बेड़े विस्तार और पुराने विमान बदले जाएंगे
एयरबस के अनुसार, 68% नए विमान एयरलाइंस बेड़े का विस्तार करने के लिए लेंगी. उसने कहा कि 32% विमान पुराने विमानों की जगह उपयोग किए जाएंगे. यह दर्शाता है कि एयरलाइंस भविष्य में अधिक ईंधन-कुशल, पर्यावरण-अनुकूल और तकनीकी रूप से एडवांस्ड विमानों को प्राथमिकता देंगी. एयरबस का यह पूर्वानुमान स्पष्ट संकेत देता है कि एशिया–प्रशांत क्षेत्र आने वाले वर्षों में वैश्विक विमानन उद्योग का सबसे मजबूत और तेजी से विकसित होने वाला बाजार बना रहेगा, जिसमें भारत और चीन उसकी रीढ़ साबित होंगे.
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