SBI चीफ ने कहा, कंपनियों की संपत्ति के बजाय प्रवर्तकों की व्यक्तिगत संपत्ति को कुर्क करें एजेंसियां

मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय और दूसरी केन्द्रीय प्रवर्तन एजेंसियों से कहा कि वह दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) प्रक्रिया के तहत आई कंपनी के प्रवर्तकों की जांच करते समय उस प्रवर्तक की व्यक्तिगत संपत्ति की ही कुर्की करें और कंपनी की संपत्ति से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 15, 2019 9:06 PM

मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय और दूसरी केन्द्रीय प्रवर्तन एजेंसियों से कहा कि वह दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) प्रक्रिया के तहत आई कंपनी के प्रवर्तकों की जांच करते समय उस प्रवर्तक की व्यक्तिगत संपत्ति की ही कुर्की करें और कंपनी की संपत्ति से दूर रहें. ब्लूमबर्ग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में रजनीश कुमार ने कहा कि कर्ज देने वाले बैंक का जिसे कर्ज दिया गया है, उसकी संपत्ति पर पहला अधिकार है. इस मामले में किसी को कोई एतराज नहीं होना चाहिए.

रजनीश कुमार का यह वक्तव्य ऐसे समय आया है, जब एक दिन पहले ही राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने ईडी से भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड की कुर्क की गयी संपत्ति को मुक्त करने का आदेश दिया. भूषण पॉवर एंड स्टील के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील ने बोली लगाई है और कंपनी का अधिग्रहण कर रही है. रजनीश कुमार ने कहा कि ईडी अथवा किसी भी अन्य केन्द्रीय एजेंसी को यदि कोई कार्रवाई करनी है, तो कंपनी के मौजूदा प्रवर्तक पर यह कर सकती है और उनकी व्यक्तिगत संपत्ति को कुर्क कर सकती है. ऐसा करते हुए एजेंसी को कंपनी से जुड़ी संपत्तियों को अलग रखना चाहिए.

कुमार ने कहा कि एजेंसियों को खासतौर से दिवाला प्रक्रिया के आई कंपनियों के मामले में इस नियम का अनुसरण करना चाहिए, क्योंकि कोई भी नया निवेशक जो कि ऐसी कंपनियों के लिए बोली प्रक्रिया में आ रहे हैं, अपने धन को जोखिम में नहीं डालना चाहेगा. उन्होंने कहा कि एस्सार स्टील के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दिवाला कानून से जुड़ी तमाम जटिलताओं का निराकरण हो जाना चाहिए.

रजनीश कुमार ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या एक बार जब घटकर 12 पर आ जायेगी, तो उसके बाद इस क्षेत्र के बैंकों में आगे कोई और विलय नहीं होगा. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के बैंकों को छोटे बैंकों का अधिग्रहण करना चाहिए. कुमार ने कहा कि सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल सफल नहीं रहा है. एक नया नमूना सामने आने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के मामले में सरकार ही लगातार वित्तीय बोझ नहीं उठा सकती है. यदि जरूरत पड़ती है, तो नया मॉडल उभरने तक हम बैंकरों को अल्पावधि के लिए इस मामले में बोझ उठाना चाहिए. पीएमसी बैंक घोटाले पर कुमार ने कहा कि सहकारी बैंकों की आवश्यकता है. इन बैंकों ने ग्राहकों को अच्छी सेवाएं दी हैं, लेकिन संचालन के मुद्दों ने इस क्षेत्र को परेशान रखा है.

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