”जब देश में कानून लागू है और कानून का रक्षा तंत्र मौजूद है, तो घर खरीदारों को मुश्किल में कैसे छोड़ें?”

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम्रपाली समूह मामले में अपना फैसला देते वक्त टिप्पणी की है कि जब देश में कानून लागू है और कानून की रक्षा का तंत्र मौजूद है, तो घर खरीदारों को मुश्किल में नहीं छोड़ा जा सकता है. अदालत ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया कि गड़बड़ी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2019 9:57 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम्रपाली समूह मामले में अपना फैसला देते वक्त टिप्पणी की है कि जब देश में कानून लागू है और कानून की रक्षा का तंत्र मौजूद है, तो घर खरीदारों को मुश्किल में नहीं छोड़ा जा सकता है. अदालत ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया कि गड़बड़ी करने और समय पर परियोजनाओं को पूरा नहीं करने वाले बिल्डरों के खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाये.

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम्रपाली समूह की परियोजनाओं में घर खरीदने के लिए धन लगाने वाले हजारों मकान खरीदारों को बड़ी राहत दी है. उसने भवन निर्माण के क्षेत्र में सक्रिय इस समूह का पंजीकरण रद्द करने के साथ ही उसकी सभी लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को नियुक्त किया है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा आम्रपाली समूह को दी गयी संपत्तियों के पट्टे भी रद्द कर दिये हैं.

अदालत ने कहा कि बिल्डरों और प्राधिकरणों के बीच सांठगाठ के चलते किसानों को उनसे ली गयी जमीन का मुआवजा तक नहीं दिया गया है. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि परियोजनाओं को कानून के तहत समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाये और फ्लैट खरीदारों के साथ किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं हो सके.

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