#RAYMOND : अरबपति विजयपत सिंघानिया बेटे के सामने इसलिए हुए मोहताज…? कोर्ट ने दी यह सलाह…!

एक जमाने में 12 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक रहे विजयपत सिंघानिया ने जब बेटे और रेमंड लिमिटेड के चेयरपर्सन सह प्रबंध निदेशक गौतम सिंघानिया पर संपत्ति मिल जाने के बाद उन्हें माेहताज बना डालने का आरोप लगाया, तो एकाएक इस खबर से कारोबार जगत हैरत में पड़ गया. विजयपत सिंघानिया ने बॉम्बे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 11, 2017 4:34 PM

एक जमाने में 12 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक रहे विजयपत सिंघानिया ने जब बेटे और रेमंड लिमिटेड के चेयरपर्सन सह प्रबंध निदेशक गौतम सिंघानिया पर संपत्ति मिल जाने के बाद उन्हें माेहताज बना डालने का आरोप लगाया, तो एकाएक इस खबर से कारोबार जगत हैरत में पड़ गया.

विजयपत सिंघानिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जेके हाउस में अपना हिस्सा मांगा है. इस याचिका में उनका पक्ष रखते हुए सिंघानिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने कंपनी में अपने सारे शेयर फरवरी 2015 में बेटे के हिस्से में दे दिये थे.

खबरों के मुताबिक, इन शेयर्स की कीमत लगभग 1000 करोड़ रुपये थी. लेकिन अब गौतम ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है. वह किराये के घर मेें रहने लगे हैं. उनसे गाड़ी और ड्राइवर भी छीन लिये गये हैं.

पिता द्वारा लगाये गये आरोपों का जवाब देते हुए गौतम सिंघानिया ने कहा है, रेमंड ग्रुप के चुयरमैन और एक बेटा होने के नाते मेरी जिम्मेवारियां अलग-अलग हैं. गौतम ने कहा कि कंपनी के शेयरधारकों के हित परिवार के हित से बड़े हैं.

उन्होंने आगे कहा, दुनियाभर में उद्योग तेजी से बदल रहे हैं. ऐसे में अगर आपको रेस में बने रहना है, तो खुद में बदलाव करना बहुत जरूरी है. हमने रेमंड को एक नया अवतार दिया, प्रबंधन में बड़ा बदलाव किया और आनेवाले 20 सालों के लिए रेमंड की जगह पक्की की.

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पिता के रवैये पर गौतम ने कहा कि बेटे के तौर पर उन्होंने बातचीत कर मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश की. लेकिन वह अपनी शर्तों पर अड़े रहे.

गौतम ने कहा कि अगर आप एक पेड़ की तरह कठोर और अड़े रहे, तो गिरा दिये जायेंगे या फिर तोड़ दिये जायेंगे. जो वक्त के साथ नहीं बदलते, वे खाक हो जाते हैं.

कॉर्पोरेट गवर्नेंस के नियमों के तहत प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन शेयरधारकों ने प्रस्ताव नामंजूर कर दिया. उन्होंने कहा है कि मामला कोर्ट में है, इसलिए ज्यादा नहीं कह सकते.

इस बीच अद्यतन स्थिति यह है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने उद्योगपति विजयपत सिंघानिया और उनकेबेटे गौतम सिंघानिया को अपने संपत्ति विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की सलाह दी है.

न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी ने इसी सप्ताह याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, सबसे पहले तो इस तरह के मामले अदालतों में नहीं आने चाहिए. यह पिता और पुत्र के बीच का विवाद है. इसे मिल-बैठकर सुलझाने का प्रयास करें. इस पर दोनों पक्षों के वकीलों ने कहा कि वे अदालत के सुझाव पर विचार को तैयार हैं.

यहां जानना गौरतलब है कि परिवार के बीच 2007 के करार के तहत विजयपत सिंघानिया, उनकेबेटे गौतम सिंघानिया, विजयपत के भाई अजयपत सिंघानिया की विधवा और उनके दो पुत्रों में प्रत्येक को जेके हाउस में एक-एक ड्यूप्लेक्स मिलना है.

अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 22 अगस्त तय की है. अदालत ने कहा है कि रेमंड को अगले आदेश तक जेके हाउस की दो मंजिलों पर किसी तरह का तीसरे पक्ष का अधिकार नहीं बनाना है.

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