सीटों पर बात नहीं बनी तो क्या होगा? ‘हम’ नेता ने इशारों-इशारों में बता दिया प्लान बी

NDA Seat Sharing: जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सीट बंटवारे पर BJP को कड़ा संदेश दिया है. पार्टी के नेता राजेश पांडे ने साफ कहा कि विकल्प हमेशा खुले हैं, क्योंकि राजनीति में कोई परमानेंट दोस्त या दुश्मन नहीं होता.

By Anshuman Parashar | October 11, 2025 7:20 PM

NDA Seat Sharing: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं के साथ बातचीत के बाद, HAM पार्टी के नेता राजेश पांडे ने एक बड़ा और सीधा संदेश दिया है.

HAM और BJP के बीच क्या बात हुई

मीडिया से बात करते हुए राजेश पांडे ने बताया कि हमने BJP के सामने अपनी सारी बातें रख दी हैं. उन्होंने कहा कि बातचीत जारी रहेगी, लेकिन उनकी पार्टी का रुख एकदम स्पष्ट है. HAM पार्टी की तरफ से यह बताया गया कि बैठक बहुत अच्छी और सकारात्मक माहौल में हुई है और जल्द ही इस बातचीत का नतीजा सामने आएगा.

हमारे पास और भी ऑप्शन हैं

HAM नेता राजेश पांडे ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी राजनीतिक फैसले लेने में लचीलापन रखती है. उन्होंने एक बड़ा राजनीतिक बयान देते हुए कहा, “राजनीति में कोई भी हमेशा के लिए दोस्त या दुश्मन नहीं होता.” उन्होंने साफ इशारा किया कि उनकी पार्टी के लिए सभी रास्ते खुले हैं और वे अपनी स्थिति पर मजबूती से टिके रहेंगे.

गठबंधन को दी चेतावनी

इस बयान से HAM पार्टी ने BJP और NDA गठबंधन को यह बता दिया है कि वे सीटों के बंटवारे में अपनी हिस्सेदारी को लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे. इस संकेत से यह भी साफ हो गया है कि अगर उन्हें उनके हिसाब से सीटें नहीं मिलीं, तो वे गठबंधन से बाहर जाकर भी चुनाव लड़ने या किसी और दल के साथ जाने का विकल्प खुला रखेंगे.

Also Read: बिहार की सियासत में ‘भूमिहार’ समीकरण, अरुण कुमार JDU में शामिल, तेजस्वी की ‘A to Z’ चुनौती का मुकाबला

HAM पार्टी ने अपनी मांगों की जानकारी BJP के बड़े नेताओं को दे दी है. इस पूरे मामले से स्पष्ट है कि जीतन राम मांझी अपनी पार्टी की ताकत को साबित करने और चुनाव में मजबूत तालमेल बिठाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. यह बात NDA के लिए थोड़ी मुश्किल पैदा कर सकती है, क्योंकि उन्हें अब मांझी की पार्टी को खुश करने के लिए सम्मानजनक सीटें देनी पड़ेंगी.