Bihar Election 2025: बिहार की इन 15 पॉलिटिकल पार्टियों पर चलेगा चुनाव आयोग का डंडा, देखिए पूरी लिस्ट
Bihar Election 2025: बिहार में छह साल से चुनावी मैदान से नदारद 15 राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग ने सख्ती शुरू कर दी है. नोटिस का जवाब नहीं देने वाले इन दलों का पंजीकरण रद्द करने की तैयारी है. आयोग ने रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी है.
Bihar Election 2025: बिहार की सियासत में केवल कागजों पर सक्रिय रहने वाले राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है. पिछले छह वर्षों से एक भी चुनाव में हिस्सा न लेने वाली पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है. चुनाव आयोग ने स्पष्ट संकेत दिया है कि ऐसे दलों का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा, जो केवल नाम मात्र के लिए मौजूद हैं और जनता से पूरी तरह कटा हुआ राजनीतिक अस्तित्व बनाए हुए हैं.
चुनाव आयोग ने मांगा था जवाब
चुनाव आयोग ने इन दलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन समयसीमा बीत जाने के बाद भी अधिकांश दलों ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की. कुछ दलों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के समक्ष उपस्थित होकर सफाई दी, लेकिन अधिकांश अनुपस्थित रहे. सीईओ कार्यालय ने अब उनकी रिपोर्ट तैयार कर चुनाव आयोग को भेज दी है.
2019 से अब तक एक भी चुनाव में नहीं उतरे
आयोग के अनुसार, 2019 से अब तक इन दलों ने न तो विधानसभा और न ही लोकसभा चुनाव में कोई प्रत्याशी खड़ा किया है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत दलों को कई विशेषाधिकार और सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन निष्क्रिय रहने की स्थिति में उनकी मान्यता और लाभ दोनों खत्म हो सकते हैं.
15 दलों पर गिरी गाज
जिन दलों पर शिकंजा कसा गया है, उनमें भारतीय आवाम एक्टिविस्ट पार्टी, भारतीय जागरण पार्टी, भारतीय युवा जनशक्ति पार्टी, एकता विकास महासभा पार्टी, गरीब जनता दल (सेक्युलर), जय जनता पार्टी, जनता दल हिंदुस्तानी, लोकतांत्रिक जनता पार्टी (सेक्युलर), मिथिलांचल विकास मोर्चा, राष्ट्रवादी युवा पार्टी, राष्ट्रीय सद्भावना पार्टी, राष्ट्रीय सदाबहार पार्टी, वसुधैव कुटुंबकम पार्टी, वसुंधरा जन विकास दल और यंग इंडिया पार्टी शामिल हैं.
आयोग का अगला कदम
आयोग अब इस रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय लेगा कि इन दलों को निबंधित गैर-मान्यताप्राप्त दलों की सूची में रखा जाए या सीधे बाहर कर दिया जाए. बीते महीने भी आयोग ने बिहार की कई निष्क्रिय पार्टियों का पंजीकरण खत्म कर दिया था.
सियासी संदेश
चुनाव आयोग की इस सख्ती से यह साफ संदेश गया है कि केवल नाम के लिए राजनीति करने वाले और जनता से कटे दलों को कोई छूट नहीं मिलेगी. अब ऐसे दलों का भविष्य आयोग के फैसले पर टिका है, जो जल्द ही सामने आएगा.
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