Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में नया दांव! प्रशांत किशोर की पार्टी बांट रही ATM कार्ड, कांग्रेस दे रही चेकबुक…

Bihar Election 2025: बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने प्रचार का नया अंदाज अपनाया है. परंपरागत पोस्टर-पंपलेट की जगह अब वादों की जंग ATM कार्ड बनाम चेकबुक के बीच सिमट गई है. जनसुराज और कांग्रेस दोनों बड़े-बड़े लाभ के दावे कर रहे हैं, जबकि भाजपा इसे चुनावी शिगूफा बता रही है.

By Abhinandan Pandey | September 12, 2025 5:06 PM

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल भले ही आधिकारिक तौर पर नहीं बजा हो, लेकिन चुनावी मैदान गर्माना शुरू हो चुका है. इस बार वादों की होड़ ने नया मोड़ लिया है. परंपरागत पंपलेट और पोस्टर गायब हो रहे हैं, उनकी जगह ATM जैसे कार्ड और चेकबुक जैसे कूपन ने ले ली है.

जनसुराज का ‘परिवार लाभ कार्ड’ बनाम कांग्रेस का ‘चेकबुक कूपन’

प्रशांत किशोर की नई पार्टी जनसुराज ने पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरते ही “PLC- परिवार लाभ कार्ड” लॉन्च किया है. पार्टी का दावा है कि इस कार्ड के जरिए परिवारों को पांच बड़ी योजनाओं से 20 हजार रुपये मासिक का फायदा होगा. इसमें रोजगार गारंटी, पेंशन, सस्ती दर पर कर्ज, बच्चों की शिक्षा और खेती-मजदूर व्यवस्था जैसी सुविधाएं शामिल हैं.

दूसरी ओर, कांग्रेस ने चेकबुक जैसा कूपन बांटना शुरू किया है. पार्टी का वादा है कि इसकी मदद से परिवारों को 28 लाख रुपये सालाना तक का लाभ मिल सकता है. इसमें 25 लाख तक मुफ्त इलाज, पेंशन में बढ़ोतरी, मुफ्त टैबलेट, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को मासिक 2500 रुपये और भूमिहीन परिवारों को जमीन देने जैसी योजनाएं शामिल हैं.

नेताओं का दावा, जनता का आकर्षण

जनसुराज चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष किशोर कुमार का कहना है कि कार्ड से जनता के बीच सीधे वादे पहुंचाए जा रहे हैं. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन इसे जनता की नाराजगी का लाभ बताते हुए कहते हैं कि एनडीए से परेशान लोग अब “अधिकार का गुलदस्ता” चुनेंगे.

भाजपा का पलटवार

बीजेपी ने दोनों दलों के वादों को महज चुनावी शिगूफा बताया है. प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि “जनसुराज और कांग्रेस दोनों फ्रॉड की राजनीति कर रहे हैं. कांग्रेस ने देश को पहले ही धोखा दिया और प्रशांत किशोर उसी राह पर चल रहे हैं.”

एनडीए का तुरुप का पत्ता- DBT

जहां विपक्ष एटीएम और चेकबुक के सहारे वोटरों को लुभा रहा है, वहीं एनडीए सरकार पहले से ही महिला रोजगार योजना के तहत 10 हजार रुपये की राशि सीधे महिलाओं के खाते में भेजने की तैयारी कर चुकी है. यह सीधा लाभ चुनावी मैदान में सत्ताधारी दल का सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है.

अब लड़ाई केवल नारों और पंपलेट्स की नहीं…

बिहार में चुनावी तस्वीर साफ है. अब लड़ाई केवल नारों और पंपलेट्स की नहीं, बल्कि ATM कार्ड और चेकबुक के जरिए करोड़ों के वादों की जंग बन चुकी है. असली परीक्षा तब होगी जब जनता तय करेगी कि कौन सा कार्ड या कूपन वोट में तब्दील होगा.

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