100 करोड़ के नोटिस पर प्रशांत किशोर का पलटवार, जानिए मंत्री अशोक चौधरी को क्या लिखा

Bihar Elections: प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी के 100 करोड़ मानहानि नोटिस पर जवाब दिया है. वकील देवाशीष गिरि ने इसे निराधार और राजनीतिक प्रेरित करार दिया. प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने शांभवी चौधरी की संपत्ति, आय और भुगतान पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

By Paritosh Shahi | September 27, 2025 8:30 PM

Bihar Elections: जन सुराज नेता प्रशांत किशोर ने मंत्री अशोक चौधरी के मानहानि के नोटिस का जवाब भेजा है. अशोक चौधरी द्वारा भेजी गयी 100 करोड़ की मानहानि के नोटिस के जवाब में प्रशांत किशोर के वकील देवाशीष गिरि ने जवाब भेजते हुए नोटिस को पूरी तरह से निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया. पार्टी के प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने बताया कि अशोक चौधरी को भेजे गये जवाब में कहा गया है कि उन्होंने गलत तरीके से सही तथ्यों को छिपाकर कानून का सहारा लेने की कोशिश की है. इससे उनके खिलाफ जनता के बीच उनके खिलाफ उठ रहे सवालों को दबाया जा सके.

किशोर कुमार ने क्या सवाल उठाया

किशोर कुमार ने बताया कि योगेंद्र दत्त ने 2021 में अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को जिन प्लॉट को बेचा, उनकी डीड (संख्या-2705) में लिखा है कि योगेंद्र दत्त को 34.14 लाख रुपये चेक, डिमांड ड्राफ्ट और कैश के माध्यम से दे दिया गया है. अब वो एक पैसा मांगने के हकदार नहीं हैं. ऐसे में सवाल है कि यह रकम किस चेक और डिमांड ड्राफ्ट से दी गयी , इसकी जानकारी भी नहीं है. तब शांभवी की उम्र सामान्य जानकारी में 23 साल की थी और वो किसी भी प्रोफेशन में नहीं थीं.

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शांभवी की इनकम पर भी सवाल

किशोर कुमार ने आगे बताया कि जून 2024 में उनके सांसद बनने के बाद जब अप्रैल 2025 में 25 लाख रुपये योगेंद्र दत्त को दिये गये वो भी शांभवी चौधरी की अपनी इनकम नहीं मानी जा सकती. वजह कि इस अंतराल में सांसद के तौर पर उनकी आय इससे कम थी. किशोर कुमार ने बताया कि दिये गये जवाब में विस्तार से उन जमीनों और इमारतों का पूरा ब्यौरा दिया गया है जो कथित तौर पर अशोक चौधरी की पत्नी, बेटी शांभवी चौधरी और दामाद के परिवार के नाम पर खरीदी गयी.

इन सौदों में भुगतान के तरीकों और घोषित रकम में बड़ी असमानताएं मिली हैं और कई सौदों की बाजार मूल्य से काफी कम कीमत दिखाकर रजिस्ट्री करायी गयी है. स्थानीय लोगों और स्रोतों से प्राप्त जानकारी तथा सार्वजनिक दस्तावेजों से पता चलता है कि ये सभी संपत्तियां दरअसल चौधरी की ही हैं और इन्हें परिवारजनों और संबंधित न्यास के नाम पर खरीदा गया है.

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