Bihar Election Result: बिहार में टूटा मंडल युग का जातीय समीकरण, 2025 में नजर आया MY का नया ट्रेंड

Bihar Election Result: बिहार के किसी भी चुनाव में जाति की भूमिका अहम मानी जाती है. राजनीतिक दलों से लेकर मतदाता तक टिकट तय करने से लेकर वोट देने तक जाति को ध्यान में जरूर रखते हैं. इस चुनाव में न केवल जातीय समीकरण पूरी तरह ध्वस्त हो गये हैं, बल्कि 2025 के चुनाव में MY का नया ट्रेंड देखने को मिला है. MY का यह नया ट्रेंड मुस्लिम और यादव का गठजोर नहीं है बल्कि महिला और युवा का गठबंधन है.

By Ashish Jha | November 14, 2025 7:46 PM

Bihar Election Result: पटना. हर राज्य की राजनीती में जाति और धर्म का प्रभाव दिखता है. उसी हिसाब से वहां की राजनीति तय की जाती है. बिहार विधानसभा में पार्टी को जीतने या हारने में जातीय राजनीति की अहम भूमिका रही है. जातीय राजनीति का ध्यान रखते हुए ही उम्मीदवार तय किये जाते हैं और जातीय समीकरण देखकर ही मतदाता मताधिकार का प्रयोग करते रहे हैं. खासकर 90 के दशक में बिहार में जातीय समीकरण जीत की गारंटी बन गयी थी. लालू प्रसाद वर्षों तक MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण के आधार पर जीतते रहे. नीतीश कुमार ने इस समीकरण को कमजोर किया और मोदी राज में यह समीकरण बहुत हद तक बेदम हो गया.

Bihar Election Result: युवाओं ने जाति से बाहर जाकर किया मतदान

2025 के चुनाव में MY का नया ट्रेंड देखने को मिला है. MY का यह नया ट्रेंड मुस्लिम और यादव का गठजोर नहीं है बल्कि महिला और युवा का गठबंधन है. इस बार महिलाओं की बंपर वोटिंग के साथ-साथ युवाओं ने भी बढ़-चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया. 243 सीटों पर आये परिणाम बताते हैं कि नीतीश कुमार न केवल महिला मतदाताओं को विश्वास में लेने में कामयाब रहे बल्कि युवाओं का वोट भी उन्हें मिला. जातीय आधार कई ऐसी सीटों में पूरी तरह ध्वस्त हो गया जहां अब तक जातीय आधार पर ही नतीजे तय होते रहे हैं. नौकरी, पलायन और रोजगार जैसे मुद्दे पर तेजस्वी यादव युवाओं को लामबंद करने में कामयाब नहीं हो पाये. युवाओं को इस मामले में भी नीतीश कुमार अधिक भरोसेमंद लगे.

Bihar Election Result: राजद के काम नहीं आये जातिगत उम्मीदवार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भी राजनीतिक दलों ने जातीय आधार को प्रमुखता दी. एक ओर बीजेपी ने किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया, तो दूसरी ओर राजद ने अन्य जातियों के मुकाबले यादवों पर अधिक भरोसा जताया. मतदाताओं के बीच जातीय समीकरण का प्रभाव तो आजादी के बाद ही बढ़ चुका था, लेकिन मंडल युग ने इसे और मजबूत किया. पिछले कुछ चुनावों में यह समीकरण कमजोर हुआ है. 2025 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग का एक नया ट्रेंड देखने को मिला है, जो जातीय समीकरण से अलग एक समूह तैयार करता है.

Bihar Election Result: ओबीसी को मिली थी आधी हिस्सेदारी

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जातीय ट्रेंड काफी महत्वपूर्ण था. इस चुनाव में ऊंची जाति के विधायकों की संख्या 23.9% से बढ़कर 29.2% हो गई, जबकि ओबीसी की हिस्सेदारी 48.6% से घटकर 40.7% हो गई. 17वीं विधानसभा में हर चौथा विधायक अगड़ी जाति से था. यह चुनाव बिहार की जातीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसमें जातीय समीकरणों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे आने के बाद पता चला है कि ऊंची जाति में सबसे ज्यादा राजपूत विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं यादवों की हिस्सेदारी 2015 के मुकाबले कम हुई है.

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दलगत जातीय समीकरण

राजद: मुस्लिम और यादव समीकरण के साथ, लगभग 30% वोट बैंक पर राजद की पकड़ रही
जदयू: कुर्मी और कुशवाहा जातियों पर निर्भर, लगभग 15% वोट बैंक पर पार्टी का दबदबा दिखा
भाजपा: ऊंची जातियों पर निर्भर, लगभग 25% वोट बैंक पर कब्जा
कांग्रेस: ऊंची जातियों और मुस्लिम वोटों पर निर्भर, लगभग 20% वोट बैंक पर पकड़

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2020 के परिणाम

एनडीए: 125 सीटें (बीजेपी 74, जेडीयू 43, अन्य 8)
महागठबंधन: 110 सीटें (आरजेडी 75, कांग्रेस 19, अन्य 16)
लोक जनशक्ति पार्टी: 1 सीट
एआईएमआईएम: 5 सीटें
विकासशील इंसान पार्टी: 4 सीटें

Bihar Election Result: बिहार में कब हुआ था जातीय सर्वेक्षण

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 2023 में बिहार की तत्कालीन महागठबंधन सरकार ने दो चरण में जातीय सर्वेक्षण कराया था. इस सर्वेक्षण का पहला चरण सात जनवरी से 21 जनवरी के बीच और दूसरा चरण 14 अप्रैल से अगस्त के पहले हफ्ते तक चला था. इस दौरान दो करोड़ 83 लाख 44 हजार 107 घरों का सर्वे हुआ था. इस सर्वेक्षण से पता चला था कि बिहार में कुल 203 नोटिफाइड जातिया रहती हैं. इनमें से हिंदुओं की चार जातियों- ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ और भूमिहार और मुसलमानों की तीन जातियों शेख, पठान और सैयद को अनारक्षित या सामान्य श्रेणी में रखा गया था.

Bihar Election Result: बिहार में कितनी है पिछड़ी जातियों की आबादी

अगर हम बिहार की आबादी में श्रेणीवार जनसंख्या देखें तो पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 27.12 फीसदी, अति पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 36.01 फीसदी, अनुसूचित जाति की 19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की 1.68 फीसदी और अनारक्षित वर्ग की आबादी करीब 15.52 फीसदी है. इस सर्वे में 196 जातियों को आरक्षित श्रेणी में रखा गया है. इन 196 जातियों में से 112 अति पिछड़ी जातियों की सूची में, 30 पिछड़ी जातियों की सूची में, 22 अनुसूचित जाति की श्रेणी में और 32 अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में हैं. 10 ऐसी जातियां भी रिपोर्ट की जिन्हें न तो राष्ट्रीय और न ही प्रदेश की सूची में नोटिफाइड किया गया है. ये जातियां हैं- बंगाली कायस्थ, खत्री, धारामी, सुतिहार, नवेसूद, भूमिज, बहेलिया, रस्तोगी, केवानी और दर्जी.

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