Bihar Election 2025: गया के बेलागंज में राजद के कोर वोट में जदयू की सेंधमारी
Bihar Election 2025: जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई सीट पर महेश सिंह यादव चुने गये. लेकिन, टर्म पूरा होते ही पुन: सुरेंद्र प्रसाद यादव ही विधायक हो गये. वे दूसरी बार नवंबर 2024 में जहानाबाद संसदीय सीट से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे, तब हुए उपचुनाव में जदयू की मनोरमा देवी ने उनके बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह को मात दी और पहली बार जदयू की विधायक बनीं.
Bihar Election 2025| गया, कंचन : गया जिले की बेलागंज सीट काफी चर्चा में है. यहां दोनों गठबंधनों के प्रत्याशी एक ही जाति के हैं, जिनके बीच सीधी टक्कर होने की संभावना है. जन सुराज से अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्याशी खड़े हैं, जो लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं. इस सीट पर करीब 24 वर्षों से राजद का कब्जा था, जो नवंबर, 2024 में हुए उप चुनाव में जदयू के कब्जे में आया. मसलन राजद के कोर वोट बैंक में जदयू ने सेंधमारी. फिलहाल बेलागंज विधानसभा क्षेत्र से महागबंधन के राजद प्रत्याशी विश्वनाथ कुमार सिंह परेशानी में हैं, तो एनडीए के जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी को सीट बचाने की चुनौती है.
जन सुराज के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शहाबउद्दीन
यहां से जन सुराज के प्रत्याशी मो शहाबउद्दीन हैं, जो अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं और राजद के माय समीकरण में सेंध लगा कर दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के निर्णायक साबित हो सकते हैं. गया व जहानाबाद की सीमा से लगे जिले की बेलागंज विधानसभा क्षेत्र की सीट इसलिए हॉट है कि 1962 से यहां अधिकतर बार कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीतते रहै हैं. 1990 से पासा पलटा और डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव पहली बार जनता दल की टिकट पर चुनाव जीते और 2020 तक प्रतिनिधित्व करते हैं.
- कुल मतदाता : 275570
- पुरुष : 146467
- महिला : 129101
- अन्य : 01
- प्रत्याशी : 14
Bihar Election 2025: फिर सुरेंद्र यादव ही विधायक चुने गये
जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई सीट पर महेश सिंह यादव चुने गये. लेकिन, टर्म पूरा होते ही पुन: सुरेंद्र प्रसाद यादव ही विधायक हो गये. वे दूसरी बार नवंबर 2024 में जहानाबाद संसदीय सीट से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे, तब हुए उपचुनाव में जदयू की मनोरमा देवी ने उनके बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह को मात दी और पहली बार जदयू की विधायक बनीं.
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सामाजिक समीकरण के टूटने से बिगड़ा ताना-बाना
दोनों गठबंधनों के प्रत्याशी एक ही जाति के हैं. यहां कुल मतदाताओं की एक चौथाई यादव जाति के हैं. दूसरे पर मुसलमान व तीसरे पर भूमिहार वोटर हैं. मुसलमानों का वोट पहले कांग्रेस के खाते में जाता था. समय के साथ वे राजद के साथ आ गये. मैं बेलागंज स्थित प्रसिद्ध मां काली मंदिर के पास पहुंचा, जहां रंजीत पासवान मिले. उन्होंने कहा कि संघर्ष जबरदस्त है. लेकिन, महज 11 माह ही सही जिन्हें मौका मिला वह कसौटी पर खरा उतरीं. विकास की गति बढ़ी है.
मतदाता बोले – हमें सिर्फ विकास चाहिए
दूसरी तरफ काली स्थान कोरमा गांव के दिनेश प्रसाद ने कहा कि 24 वर्षों से वे एक ही दल को वोट करते आ रहे हैं. वे एकजुट हैं. वहीं, व्यवसायी देवांशु कुमार, कमलेश कुमार व बाजार में खरीदारी करने पहुंची सोनमा देवी ने कहा कि जाति-पांति के चक्कर में वे नहीं हैं, उन्हें विकास चाहिए. इधर, यादवों के भीतर भी दो खेमा हो गया है. एक खेमा विधायक मनोरमा देवी व दूसरा खेमा जहानाबाद सांसद सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह के साथ है.
पटवन व यातायात का साधन मुख्य समस्या
बेलागंज कृषि प्रधान क्षेत्र है. जमुने-दसइन पइन, बड़की आहर की बदहाली के कारण यहां के किसान बदहाल हैं. अगर इन्हें दुरुस्त कर पानी आता, तो किसानों के खेत लहलहाते रहते. डोभी-पटना नेशनल हाइवे 22 पर बसे बेलागंज बाजार तक आने के लिए बाइपास नहीं निकालने से हादसे की खतरा हमेशा बना रहता है. इसकी सख्त जरूरत है.
जदयू प्रत्याशी को भितरघात का डर
जदयू प्रत्याशी व निवर्तमान विधायक मनोरमा देवी सक्रिय रही हैं. शिव दयाल कहते हैं- विधायक जी की सक्रियता रही या नहीं रही. इससे मतलब नहीं. नीतीश सरकार ने क्षेत्र में काफी काम किया है. नीतीश बाबू के पार्टी से जिन्हें टिकट मिला है, हमलोग उसी को वोट देंगे. जदयू प्रत्याशी विकास के भरोसे है, पर भितरघात खा खतरा है. उनके बाहरी होने की बात भी उठ रही है. अभी बेलागंज में पैर जमाये महज 11 माह हुए हैं. इसलिए उन्हें अधिक मेहनत करने व लोगों का विश्वास जीतने की जरूरत है.
राजद को विरासत बचाने की चिंता
राजद उम्मीदवार विश्वनाथ कुमार सिंह को अपने पिता की विरासत बचाने की चिंता है. सिरोही यादव ने कहा कि वह पढ़े-लिखे हैं. उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि है. युवा हाने के साथ पिता से राजनीति सीखी है. अनुभव व संगठनात्मक नेटवर्क मिला है, पर उसे वह कितना सहेज पाते हैं. यह उनकी वाकपटुता व चपलता पर निर्भर करता है. जाति के अधिकतर लोग आज भी उनके पिताजी से प्रभावित हैं. इसे वह कैसे कैश करते हैं. यह देखना है.
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