Bettiah Vidhan Sabha Chunav 2025: एनडीए की वापसी के रास्ते में निर्दलीय अटका रहे रोड़े!

Bettiah Vidhan Sabha: लौरिया, सिकटा में पूर्व मंत्रियों वाली सीटें हैं. बेतिया और सिकटा में निर्दलीय उम्मीदवार भी कड़ी चुनौती दे रहे हैं और संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं. इन सीटों पर जनसुराज के उम्मीदवार भी दमखम दिखा रहे हैं. जबकि लौरिया में हर बार के मुकाबले अबकी आरपार की लड़ाई दिख रही है.

By Mithilesh Jha | November 8, 2025 5:32 PM

Bettiah Vidhan Sabha Chunav Ground Report| बेतिया, गणेश : पश्चिम चंपारण के राज कचहरी परिसर के सामने सजने वाली मजदूरों की मंडी में और दिनों से कम गहमागहमी है. लेकिन, सभी दिहाड़ी की तलाश में आये हैं. चुनाव को लेकर सभी की राय जुदा है. तुरहापट्टी के लक्ष्मण पटेल कहते हैं अबकी तो परिर्वतन होगा, जबकि लालगढ़ के दिनेश महतो अपना भरोसा नीतीश पर ही जताते हैं.

वोटर बोले- पार्टियों से मतलब नहीं, उम्मीदवार को देंगे वोट

संतघाट के इरफान का कहना है कि इस बार उन्हें पार्टियों से कोई मतलब नहीं है, वे स्थानीय उम्मीदवार को अपना वोट देंगे. लक्ष्मण, दिनेश और इरफान की इन बातों में ही पश्चिम चंपारण की पूरी सियासी लड़ाई छिपी है. वैसे तो जिले की सभी नौ सीटों पर लड़ाई कांटे की है. लेकिन एनडीए का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में फिलहाल महागठबंधन खासकर कांग्रेस अपने पुराने वजूद को लौटाने की जद्दोजहद में जुटी है.

Bettiah Vidhan Sabha Chunav: कांग्रेस को पुराने दिन लौटने की उम्मीद

यह लाजिमी भी है, क्योंकि यहां 6 सीटों पर कांग्रेस और 3 सीटों पर राजद व वीआइपी के उम्मीदवार हैं. कांग्रेस को यहां 1990 के पहले वाले यानि पुराने दिनों के लौटने की आस है. जबकि एनडीए पिछली बार की तरह इस बार भी परिणाम दोहराने की जुगत में हैं. जबकि कुछ सीटों पर निर्दलीय भी कड़ी चुनौती दे रहे हैं.

बेतिया : भाजपा के बागी प्रत्याशी ने पूर्व डिप्टी सीएम की बढ़ायी परेशानी

पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी की सीट बेतिया में इस बार वोटों के बिखराव का खतरा बढ़ गया है. भाजपा प्रचार कोर कमेटी की मेंबर सह नगर निगम की महापौर गरिमा देवी सिकारिया के पति रोहित सिकारिया निर्दलीय मैदान में हैं. कांग्रेस ने यहां से नये चेहरे वसी अहमद को उतारा है. ऐसे में भाजपा के वोटों के बिखराव का खतरा बढ़ गया है. हालांकि भाजपा के स्थानीय से लेकर प्रदेश तक के नेता यहां डेरा जमाये हुए हैं और वोटों को सहेजने में जुटे हैं.

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लौरिया, सिकटा, चनपटिया व नौतन में लड़ाई दिलचस्प

लौरिया, सिकटा में पूर्व मंत्रियों वाली सीटें हैं. बेतिया और सिकटा में निर्दलीय उम्मीदवार भी कड़ी चुनौती दे रहे हैं और संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं. इन सीटों पर जनसुराज के उम्मीदवार भी दमखम दिखा रहे हैं. जबकि लौरिया में हर बार के मुकाबले अबकी आरपार की लड़ाई दिख रही है. वहीं, चनपटिया, नौतन और नरकटियागंज सीट पर भी लड़ाई दिलचस्प मानी जा रही है. कारण कि चनपटिया और नौतन में एनडीए व महागठबंधन के बीच आरपार की लड़ाई को जनसुराज त्रिकोणीय बनाने के लिए संघर्ष करती दिख रही है.

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नटकटियागंज : कांग्रेस व राजद में फ्रेंडली फाइट

नरकटियागंज में राजद और कांग्रेस के बीच दोस्ताना लड़ाई से महागठबंधन के वोटों के बीच बिखराव का खतरा बढ़ गया है. शेष वाल्मीकिनगर, बगहा और रामनगर में भी लड़ाई आरपार की मानी जा रही है.

2020 में आठ सीटों पर एनडीए को मिली थी जीत

पश्चिम चंपारण में पिछली बार 2020 के चुनाव में एनडीए को 9 में से आठ सीटों पर जीत मिली थी. इसमें से अकेले भाजपा के सात विधायक जीते थे, वाल्मीकिनगर से जदयू ने जीत दर्ज की थी. जबकि महागठबंधन में शामिल सीपीआई एमएल को महज एक सिकटा सीट पर जीत मिली थी. 2020 के मुकाबले कांग्रेस अबकी सात के बजाय 6 सीटों पर लड़ रही है. राजद ने एक के मुकाबले अपने तीन उम्मीदवार दिये हैं. एक पर सीपीआई एमएल के विधायक ही लड़ रहे हैं.

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