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समृद्ध भाषा है राजस्थानी : रतन शाह

कोलकाता : लकत्ता राजस्थानी भाषा का मुख्य केंद्र हुआ करता था. शुरू के दिनों में रामदेव चोखानी, रघुनाथ प्रसाद सिंघानिया, घनश्याम दास बिड़ला, भागीरथ कानोड़िया, सीताराम सेकसरिया, भंवरमल सिंघी आदि ने राजस्थानी भाषा को समृद्ध बनानें में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी लेकिन आज लोगों में राजस्थानी भाषा के प्रति अनुराग का अभाव दिखता है. सामाजिक […]

कोलकाता : लकत्ता राजस्थानी भाषा का मुख्य केंद्र हुआ करता था. शुरू के दिनों में रामदेव चोखानी, रघुनाथ प्रसाद सिंघानिया, घनश्याम दास बिड़ला, भागीरथ कानोड़िया, सीताराम सेकसरिया, भंवरमल सिंघी आदि ने राजस्थानी भाषा को समृद्ध बनानें में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी लेकिन आज लोगों में राजस्थानी भाषा के प्रति अनुराग का अभाव दिखता है.
सामाजिक उदासीनता को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. फिर से राजस्थानी भाषा को और समृद्ध बनाने के लिए कलकत्ता को कमान संभालनी चाहिए. ये बातें राजस्थानी प्रचारिणी सभा के तत्वावधान में राजस्थानी भाषा दिवस के उपलक्ष्य में भाषायी अर सांस्कृतिक योगदान समीक्षा-सुझाव विषयक संगोष्ठी का संचालन करते हुए संस्था के वरिष्ठ सदस्य रतन शाह ने भारतीय भाषा परिषद कक्ष सभागार में कहीं. इस अवसर पर पत्रकार विश्वंभर नेवर ने कहा कि भाषा का इस्तेमाल नहीं करने से देश की लगभग 200 भाषायें खत्म हो गयीं. यह आश्चर्य की बात है कि राजस्थानी भाषा मीठी है, व्याकरण से समृद्ध है, इसके बावजूद भाषा के प्रति लोगों में अनुराग नहीं है.
इस अवसर पर राजेंद्र केडिया, राजीव हर्ष, गौरीशंकर शारदा ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम को सफल बनाने में महेश लोधा, संदीप गर्ग, सालकिशन खेतान, अनुराधा सदानी, अजय अग्रवाल सहित अन्य सक्रिय थे. कार्यक्रम में ईश्वर प्रसाद तांतिया, शिव कुमार लोहिया, आत्माराम सोंथलिया, सूर्यप्रकाश बागला, श्रीराम चमड़िया, प्रमोद शाह और संजय बिनानी सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

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