अमेरिका ने 2 श्रीलंकाई सैन्य अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों की एंट्री पर लगाया बैन, जानिए वजह

US Bans Sri Lanka Army Officers मानवाधिकारों के उल्लंघन मामले में अमेरिका ने श्रीलंकाई सेना के दो अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों का अपने यहां एंट्री पर बैन लगा दिया है. इन श्रीलंकाई सैन्य अधिकारियों में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे द्वारा क्षमादान दिया गया एक हत्या अपराधी भी शामिल है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2021 5:46 PM

US Bans Sri Lanka Army Officers मानवाधिकारों के उल्लंघन मामले में अमेरिका ने श्रीलंकाई सेना के दो अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों का अपने यहां एंट्री पर बैन लगा दिया है. इन श्रीलंकाई सैन्य अधिकारियों में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे द्वारा क्षमादान दिया गया एक हत्या अपराधी भी शामिल है. नौसेना अधिकारी चंदना हेत्तियाराची और श्रीलंकाई सेना के पूर्व स्टाफ सर्जेंट सुनील रत्नायके उन 12 देशों के कई अधिकारियों में शामिल थे, जिन्हें अमेरिका ने मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के लिए प्रतिबंधित किया था.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि 2008 से 2009 तक कम से कम आठ ट्रिंकोमाली ग्यारह पीड़ितों की स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन में हेत्तियाराची शामिल था. त्रिंकोमाली 11 मामला त्रिंकोमाली जिले से 11 तमिल युवकों के अपहरण और हत्या से संबंधित है.

एक न्यूज वेबसाइट की खबर के अनुसार, कथित तौर पर जबरन वसूली के लिए उनका अपहरण करने के बाद उन्हें नौसेना की हिरासत में मार दिया गया था. बयान में कहा गया है कि रत्नायके दिसंबर 2000 में कम से कम 8 तमिल ग्रामीणों की न्यायेतर हत्याओं में शामिल था. श्रीलंका की अदालत ने आठ तमिल नागरिकों की हत्या के लिए रत्नायके को सजा ए मौत दिया था, जिसे उसने 2019 में शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी.

हालांकि, रत्नायके की अपील को शीर्ष अदालत ने खारिज करते हुए सजा बरकरार रखी थी. हालांकि, राष्ट्रपति राजपक्षे ने पिछले साल रत्नायके को क्षमादान दिया था और जेल से उसकी रिहाई का आदेश दिया था. अमेरिकी विदेश विभाग ने 2020 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानि लिट्टे के साथ सशस्त्र संघर्ष के अंतिम चरण के दौरान 2009 में किए गए युद्ध अपराधों के आरोपों पर वर्तमान श्रीलंकाई सेना प्रमुख जनरल शैवेंद्र सिल्वा पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.

लिट्टे ने एक अलग तमिल राष्ट्र बनाने के लिए श्रीलंकाई सरकार के साथ युद्ध छेड़ दिया था और सरकारी बलों द्वारा लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन को मार गिराये जाने के बाद 2009 में संघर्ष समाप्त हो गया था. श्रीलंका सरकार के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर और पूर्व में लिट्टे के साथ तीन दशक के भीषण युद्ध सहित विभिन्न संघर्षों के कारण 20 हजार से अधिक लोग लापता हुए हैं, जिनमें से कम से कम एक लाख लोग मारे गए थे.

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