सुंदर पिचाई को इस बात से लगता है डर, रातों की नींदें हैं हराम, इंटरव्यू में किया खुलासा
Sundar Pichai Nightmares: Google के CEO को तकनीक से डर लग रहा है. उन्होंने इसके एक पक्ष को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इस तरह की AI प्रगति से वास्तविक और नकली सामग्री की पहचान करना बेहद कठिन हो सकता है. उनके अनुसार, यह चुनौती लोगों को बड़े स्तर पर धोखाधड़ी का शिकार बना सकती है. इससे आम आदमी के साथ-साथ देश की राजनीति में भी छेड़छाड़ की जा सकती है. पिचाई का कहना है कि AI के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए तत्काल और सख्त उपाय जरूरी हैं.
Sundar Pichai Nightmares: गूगल के सीईओ को भी डर लगता है. वह भी तकनीक की पैदा की हुई चीज से. यह जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है, लेकिन उनकी बातें सुनने के बाद आप भी सकते में पड़ सकते हैं. फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में पिचाई ने बताया कि कौन-सी AI तकनीक वास्तव में उन्हें रातों को जगा देती है. यह न तो रोबोट हैं, न नियंत्रण खो चुके सिस्टम और न ही मशीन चेतना का कोई दूर खड़ा खतरा. यह उससे कहीं अधिक निकट और मानव-संबंधी है. इसे लेकर Google के CEO सुंदर पिचाई ने एक चेतावनी जारी की है, जिसे नजरअंदाज करना मुश्किल है.
सुंदर पिचई ने कहा कि यह अल्ट्रा-रियलिस्टिक डीपफेक्स हैं, जो सच और झूठ की रेखा को पूरी तरह धुंधला कर देते हैं. आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस बेहद तेजी से विकसित हो रही है. लगभग हर हफ्ते नई खोजें सामने आ रही हैं, नए टूल स्वास्थ्य सेवा और कामकाज को बदल देने का दावा कर रहे हैं. लेकिन जैसे-जैसे ये सिस्टम ज्यादा शक्तिशाली होते जा रहे हैं, उनका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है.
पिचाई ने सच और झूठ के धुंधले भविष्य पर चेतावनी दी
जब उनसे पूछा गया कि उन्हें सबसे ज्यादा किसकी चिंता है, तो पिचाई ने डीपफेक्स की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि तकनीक इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है कि जल्द ही विशेषज्ञों के लिए भी असली और नकली फुटेज के बीच फर्क करना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने एक ऐसे समय का जिक्र किया, जो ज्यादा दूर नहीं, जब ऑनलाइन दिखने वाली हर चीज पर भरोसा करना एक जोखिम की तरह होगा. उन्होंने कहा कि इस संभावना को ही वह कारण मानते हैं जो इंटरव्यू खत्म होने और कैमरे बंद होने के बाद भी उनके मन में बना रहता है. यह चिंता है कि एक ऐसी दुनिया जहाँ सच विकल्प जैसा हो जाएगा. यह बात उन्हें शांत पलों में भी परेशान करती है.
पिचाई के अनुसार AI का अंधेरा पक्ष इसके फायदों जितना ही तेजी से विकसित हो रहा है. वे साफ कहते हैं कि खतरा सिर्फ तकनीक से नहीं, बल्कि उनसे है जो इसे गलत मकसद से इस्तेमाल करेंगे. जैसे-जैसे जनरेटिव AI तेज, सस्ता और आसानी से उपलब्ध हो रहा है, धोखे की संभावनाएँ बढ़ती जा रही हैं. मिसइन्फॉर्मेशन, राजनीतिक तोड़फोड़, जान पहचान की नकल कर स्कैम और धोखाधड़ी, ये सब अत्यधिक खतरनाक हो जाते हैं, क्योंकि कोई भी कुछ ही मिनटों में बेहद विश्वसनीय वीडियो या ऑडियो बना सकता है.
पिचाई ने सकारात्मक पक्ष पर भी दिलाया ध्यान
हालांकि पिचाई इस तकनीक के सकारात्मक भविष्य को लेकर आशावादी हैं. उनका मानना है कि यह नई दवाएं खोजने, बेहतर कैंसर ट्रीटमेंट बनाने और वैज्ञानिक खोजों को तेज करने में मदद कर सकती है. उनका कहना है कि मानवता इससे पहले भी शक्तिशाली तकनीकों को काबू में कर चुकी है और इस बार भी कर सकती है.
पूरी दुनिया के लिए चेतावनी
पिचाई की चेतावनी ऐसे समय आई है जब सरकारें, टेक कंपनियाँ और समाज तीनों ही AI की तेजी से बदलती दुनिया के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. दुनिया भर में बड़े चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में एक भी सही समय पर जारी किया गया डीपफेक विनाशकारी परिणाम दे सकता है. उनकी चेतावनी घबराहट फैलाने के लिए नहीं है, यह स्पष्टता की मांग है, उस समय में जब हकीकत और झूठ के बीच की दीवार बेहद कमजोर हो चुकी है.
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