अयोध्या और भगवान राम को लेकर PM ओली का बेतुका बयान, बैकफुट पर नेपाल, दी सफाई

नयी दिल्ली : नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के भगवान श्रीराम में पर दिये विवादित बयान के बाद अब नेपाल के विदेश मंत्रालय ने सफाई दी है. मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री ओली का बयान किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है. इससे पहले अपने बयान को लेकर पीएम ओली आपने ही देश के बड़े नेताओं की आलोचना झेल चुके हैं. उनके बयान की नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2020 7:29 PM

नयी दिल्ली : नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के भगवान श्रीराम में पर दिये विवादित बयान के बाद अब नेपाल के विदेश मंत्रालय ने सफाई दी है. मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री ओली का बयान किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है. इससे पहले अपने बयान को लेकर पीएम ओली आपने ही देश के बड़े नेताओं की आलोचना झेल चुके हैं. उनके बयान की नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी.

मंगलवार को नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘टिप्पणी किसी भी राजनीतिक विषय से जुड़ी नहीं है. किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है. इसका उद्देश्य अयोध्या के सांकेतिक और सांस्कृतिक मूल्य को कम करना भी नहीं है.’ सोमवार को नेपाल के कई नेताओं ने खुलकर ओली के बयान का विरोध किया था. नेताओं ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच वैसे भी तनाव की स्थिति बनी हुई है ऐसे में कोली को ऐसे दावों से बचना चाहिए.

प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने एक नया विवाद खड़ा करते हुए सोमवार को दावा किया कि था कि वास्तविक अयोध्या नेपाल में है, भारत में नहीं. उन्होंने कहा कि भगवान राम का जन्म दक्षिणी नेपाल के थोरी में हुआ था. ओली के बयान की आलोचना करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि भारत में भी वामपंथी पार्टियों ने लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया था.

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उन्होंने कहा कि नेपाल में वामपंथियों को लोग उसी प्रकार नकार देंगे जैसे यहां किया गया. शास्त्री ने नयी दिल्ली में कहा, ‘भगवान राम हमारी आस्था के प्रतीक हैं और लोग किसी को भी इससे खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं देंगे, भले ही वह नेपाल के प्रधानमंत्री हों या कोई और.’

काठमांडू में प्रधानमंत्री आवास में नेपाली कवि भानुभक्त की जयंती के अवसर पर ओली ने कहा कि नेपाल सांस्कृतिक अतिक्रमण का शिकार हुआ है और इसके इतिहास से छेड़छाड़ की गयी है. भानुभक्त का जन्म पश्चिमी नेपाल के तानहु में 1814 में हुआ था और उन्होंने वाल्मीकि रामायण का नेपाली में अनुवाद किया था. उनका देहांत 1868 में हुआ था.

इसी बीच ओली ने आगे कहा था कि हालांकि वास्तविक अयोध्या बीरगंज के पश्चिम में थोरी में स्थित है, भारत अपने यहां भगवान राम का जन्मस्थल होने का दावा करता है. ओली ने कहा कि इतनी दूरी पर रहने वाले दूल्हे और दुल्हन का विवाह उस समय संभव नहीं था जब परिवहन के साधन नहीं थे. उन्होंने कहा, वाल्मीकि आश्रम भी नेपाल में है और जहां राजा दशरथ ने पुत्र के लिए यज्ञ किया था वह रिडी में है जो नेपाल में है.

Posted by: Amlesh Nandan Sinha.

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