कंगाली से कराह रही पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन, 100% हिस्सेदारी बेचने को मजबूर सरकार, शहबाज को मिलेगी सिर्फ इतनी ही नकदी

Pakistan National Airline PIA Privatization: पाकिस्तान अपनी राष्ट्रीय एयरलाइन PIA को पूरी तरह बेचने जा रहा है. लगातार घाटा, भारी कर्ज, राजनीतिक दखल और IMF दबाव के चलते सरकार ने 100% निजीकरण का फैसला लिया है. 23 दिसंबर को बोली होगी, जिसमें बड़े कारोबारी समूह शामिल हैं. जानिए क्यों शान की एयरलाइन अब बिकने को मजबूर हुई.

By Govind Jee | December 18, 2025 5:00 PM

Pakistan National Airline PIA Privatization: कभी पाकिस्तान की पहचान रही पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस यानी PIA, आज अपनी आखिरी उड़ान की तैयारी में है. एक समय था जब यह एयरलाइन एशिया की सबसे भरोसेमंद कंपनियों में गिनी जाती थी, लेकिन सालों की खराब नीतियों, राजनीतिक दखल और घाटे ने इसे ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया कि अब पाकिस्तान सरकार इसे पूरी तरह बेचने जा रही है. सवाल यह है कि सरकार को यह फैसला क्यों लेना पड़ा और इसमें ऐसा क्या हुआ कि 100 फीसदी हिस्सेदारी तक बेचने की नौबत आ गई.

Pakistan National Airline PIA Privatization in Hindi: सरकार ने 100% हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने यह फैसला तब लिया जब PIA को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे सभी निवेशकों ने साफ कह दिया कि वे एयरलाइन तभी खरीदेंगे जब सरकार का कोई दखल नहीं रहेगा. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, चारों बोलीदाताओं ने मांग रखी कि उन्हें पूरा या कम से कम इतना हिस्सा मिले जिससे वे एयरलाइन पर पूरा नियंत्रण रख सकें. इसके बाद सरकार ने तय किया कि PIA की पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी.

कब होगी बोली और सौदे का तरीका क्या होगा?

PIA की बोली 23 दिसंबर को होनी है. शुरुआत में सरकार 75 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी. जो कंपनी यह बोली जीतेगी, उसे एक महीने के भीतर बाकी 25 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का विकल्प मिलेगा. इस अतिरिक्त हिस्सेदारी पर खरीदार को 12 फीसदी ज्यादा कीमत चुकानी होगी. अधिकारियों के अनुसार, यह प्रीमियम इसलिए रखा गया है ताकि खरीदार को पूरी रकम एक साथ न देकर एक साल तक भुगतान टालने की छूट मिल सके.

यहां कहानी थोड़ा चौंकाती है. सरकार को इस सौदे से मिलने वाली रकम का सिर्फ 7.5 फीसदी हिस्सा नकद मिलेगा. बाकी 92.5 फीसदी पैसा सीधे PIA में डाला जाएगा, ताकि एयरलाइन को चलाया जा सके और उसे दोबारा खड़ा करने की कोशिश हो सके. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के हवाले से अधिकारियों ने बताया कि यह व्यवस्था एयरलाइन को बचाने के लिए की गई है, लेकिन इससे सरकार को तुरंत कोई बड़ा फायदा नहीं होगा.

PIA को खरीदने की दौड़ में कौन-कौन शामिल?

PIA को खरीदने में चार बड़े नाम सामने आए हैं लकी सीमेंट कंसोर्टियम, आरिफ हबीब कंसोर्टियम, फौजी फर्टिलाइजर (फौजी फाउंडेशन के तहत) और निजी एयरलाइन एयर ब्लू. निजीकरण पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मुहम्मद अली ने पुष्टि की कि सभी निवेशक कम से कम 75 फीसदी हिस्सेदारी चाहते हैं और कुछ तो पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी पर अड़े हुए हैं.

PIA को संभालने में इतनी मुश्किल क्यों?

मुहम्मद अली के अनुसार, PIA को दोबारा खड़ा करने के लिए भारी निवेश की जरूरत होगी. एयरलाइन के पास कुल 34 विमान हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 18 ही उड़ान के काबिल हैं. नए मालिक को पुराने जहाज हटाने, नए विमान लाने और संचालन सुधारने में बड़ी रकम लगानी पड़ेगी. PIA पर कभी करीब PKR 654 अरब का कर्ज था, जिसने किसी भी निवेशक को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था. सरकार ने इस कर्ज को एक अलग होल्डिंग कंपनी में डाल दिया, जिससे PIA की हालत कागजों पर सुधरी. अब PIA के पास करीब PKR 30 अरब की पॉजिटिव इक्विटी बताई जा रही है. हालांकि, नए मालिक को अब भी करीब PKR 26 अरब के टैक्स और एयरपोर्ट शुल्क चुकाने होंगे.

सरकार अब भी PIA पर खर्च क्यों कर रही है?

सरकार ने इस साल PIA को PKR 34.7 अरब देने का फैसला किया है. यह पैसा कर्ज की किश्तों, कर्मचारियों की पेंशन और मेडिकल खर्चों के लिए दिया जाएगा. इससे साफ है कि PIA सरकार के लिए अब भी एक बड़ा आर्थिक बोझ बनी हुई है. घाटे में होने के बावजूद PIA पूरी तरह बेकार नहीं है. इसके पास 97 देशों के साथ उड़ान समझौते. कई अहम अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग स्लॉट और एक पुराना लेकिन पहचाना हुआ ब्रांड है. यही वजह है कि निवेशक अब भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं. एक वक्त था जब PIA एशिया की बेहतरीन एयरलाइनों में गिनी जाती थी. इतना ही नहीं, PIA ने कभी एमिरेट्स एयरलाइन को खड़ा करने में भी मदद की थी. लेकिन समय के साथ राजनीतिक दखल, जरूरत से ज्यादा कर्मचारी, कमजोर प्रबंधन और पुराने जहाजों ने इस एयरलाइन को घाटे में धकेल दिया.

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