Pakistan Child Marriage New Law: शादी करो या जेल जाओ! पाक में बाल विवाह पर बवाल, इस्लाम के नाम पर धमकी

Pakistan Child Marriage New Law: पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने भी इस कानून पर आपत्ति जताई है.

By Aman Kumar Pandey | June 4, 2025 4:36 PM

Pakistan Child Marriage New Law: पाकिस्तान में बाल विवाह पर सख्ती से रोक लगाने के लिए नया कानून पास किया गया है, जिसे संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल चुकी है और राष्ट्रपति भी इस पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. इस नए कानून के तहत अब 18 साल से कम उम्र की किसी भी लड़की की शादी को गैरकानूनी माना जाएगा. कानून के अनुसार यदि कोई बालिग व्यक्ति किसी नाबालिग लड़की से शादी करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वहीं यदि शादी में दोनों पक्ष नाबालिग हैं, तो उनके माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

हालांकि इस कानून को लेकर देश के भीतर तीखा विरोध शुरू हो गया है. खासकर इस्लामिक धार्मिक समूहों और कट्टरपंथी संगठनों ने इसे शरीयत के खिलाफ बताया है. मामला अब इस्लामाबाद की शरिया अदालत तक पहुंच चुका है, जहां इस कानून को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कानून इस्लामिक शिक्षाओं के खिलाफ है, क्योंकि इस्लाम में निकाह के लिए आयु नहीं, बल्कि ‘यौवन’ यानी शारीरिक परिपक्वता को आधार माना गया है.

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याचिका में दावा किया गया है कि कुरान और हदीस में विवाह के लिए न्यूनतम आयु का कोई उल्लेख नहीं है, बल्कि यह ज़ोर दिया गया है कि जब कोई युवक या युवती यौवन प्राप्त कर ले, तब वह शादी के लिए योग्य हो जाता है. इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि इस तरह का कानून नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन करता है, क्योंकि इसमें एक व्यक्ति को अपनी मर्जी से शादी करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है.

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पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने भी इस कानून पर आपत्ति जताई है. काउंसिल का कहना है कि 18 साल से कम उम्र की शादी को ‘बलात्कार’ के बराबर मानना इस्लामिक सिद्धांतों के खिलाफ है और यह शरीयत को चुनौती देने जैसा है. गौरतलब है कि यह काउंसिल देश में बनाए जाने वाले कानूनों पर इस्लामिक नजरिए से राय देने का अधिकार रखती है.

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इस पूरी स्थिति ने पाकिस्तान में बाल विवाह के मुद्दे को एक नई बहस में ला दिया है, जहां एक तरफ आधुनिक कानून व्यवस्था और बच्चों के अधिकारों की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक परंपराओं और शरीयत कानून की व्याख्या का मामला गर्मा गया है. अब देखना होगा कि अदालत इस पर क्या फैसला सुनाती है.