‘कोई सिलिकॉन वैली नहीं होती…’ मिचियो काकू का वीडियो वायरल, ट्रंप की नई फीस ने इंटरनेट पर मचाया तूफान

No Silicon Valley Without H1B Visa: अमेरिका ने H-1B वीजा फीस $100,000 कर दी, Silicon Valley और विदेशी इंजीनियरों में हलचल. Michio Kaku ने इसे “जादुई हथियार” बताया. ट्रंप के नए नियम, सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएं और गोल्ड कार्ड रेजिडेंसी प्रोग्राम की पूरी कहानी पढ़ें.

By Govind Jee | September 21, 2025 8:27 AM

No Silicon Valley Without H1B Visa: अमेरिका की टेक इंडस्ट्री और साइंस सेक्टर के लिए H-1B वीजा हमेशा से “जादुई हथियार” रहा है. लेकिन शुक्रवार को वॉशिंगटन से आई खबर ने विदेशी इंजीनियरों और अमेरिकी टेक कंपनियों की नींद उड़ाकर रख दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस अचानक बढ़ाकर $100,000 (लगभग 88 लाख रुपये) कर दी. सोशल मीडिया पर तुरंत ही हड़कंप मच गया और बहस छिड़ गई कि क्या अब Silicon Valley जैसी इंडस्ट्रीज खतरे में हैं.

नया नियम – वन-टाइम फीस या सालाना धमाका?

शुरुआत में अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि ये फीस हर साल देनी होगी. टेक कंपनियों और विदेशी कर्मचारियों की नींद उड़ी. इसके बाद वाइट हाउस ने सफाई दी कि ये सिर्फ वन-टाइम फीस है और सिर्फ नए वीजा अप्लिकेंट्स पर लागू होगी. पहले से H-1B पर रहने वाले लोग अमेरिका से बाहर जाकर वापस आ सकते हैं, उन पर कोई नया चार्ज नहीं.

Michio Kaku का वीडियो – H-1B, अमेरिका का “Secret Weapon”

इसी बीच इंटरनेट पर एक पुराना वीडियो वायरल हुआ, जिसमें अमेरिकी भौतिक विज्ञानी मिचियो काकू ने H-1B वीजा को “genius visa” और “America’s secret weapon” बताया. काकू का कहना था कि “अमेरिका के पास एक गुप्त हथियार है. वह गुप्त हथियार है H-1B. H-1B के बिना इस देश की वैज्ञानिक व्यवस्था ढह जाएगी. गूगल या सिलिकॉन वैली को भूल जाइए. H-1B के बिना सिलिकॉन वैली जैसी कोई जगह भी नहीं होती.”

वीडियो में काकू ने ये भी कहा कि अमेरिका में करीब 50% PhD उम्मीदवार विदेशी हैं और H-1B वीजा होल्डर्स ने Silicon Valley जैसी इंडस्ट्रीज खड़ी की हैं. उनका चेतावनी था कि अगर H-1B वीजा सख्त किया गया, तो टैलेंट भारत और चीन जैसे देशों को लौट सकता है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है.

No Silicon Valley Without H1B Visa: सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का तांडव

H-1B वीजा को लेकर ऑनलाइन बहस तेज हो गई. कुछ लोगों ने कहा कि ये वर्कर्स “अमेरिकी नौकरियां छीन रहे हैं”, जबकि कई ने इसे “अमेरिका के लिए टॉप ग्लोबल टैलेंट लाने का तरीका” बताया. एक यूजर ने लिखा कि कंपनियों को नुकसान होगा, लेकिन हमारे बेरोजगार ग्रेजुएट्स के लिए मौके आएंगे. दूसरे ने चेतावनी दी कि अमेरिकी टेक कंपनियां नियम से बचने के लिए ऑपरेशन्स विदेश ले जा सकती हैं.

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ट्रंप की तंज और नया ‘गोल्ड कार्ड’

ट्रंप ने H-1B प्रोग्राम पर निशाना साधते हुए कहा कि इसे गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया. विदेशी वर्कर्स को सस्ते में लाकर अमेरिकी वर्कर्स को रिप्लेस किया गया. अब ऐसा नहीं चलेगा. इसी मौके पर उन्होंने $1 मिलियन वाला ‘गोल्ड कार्ड’ रेजिडेंसी प्रोग्राम भी लॉन्च किया. कॉमर्स सेक्रेटरी लुटनिक ने कंपनियों को चुनौती दी कि कौन सा इंजीनियर इतना जरूरी है कि $100,000 चुकाएं, या फिर अमेरिकी को नौकरी दें. हालांकि बाद में वाइट हाउस ने कहा कि फीस सिर्फ वन-टाइम है.

H-1B वीजा अमेरिका के टेक और साइंस सेक्टर का अहम हिस्सा रहा है. चाहे ट्रंप की नई फीस हो या काकू का ‘जादुई हथियार’ वाला बयान, ये साफ है कि H-1B के बिना Silicon Valley और अमेरिकी तकनीकी शक्ति की कहानी अधूरी है.

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