Nepal Crisis : सुशीला कार्की संभालेंगी जलते नेपाल को? अंतरिम सरकार के गठन को लेकर हुई अहम बैठक
Nepal Crisis : नेपाल में राष्ट्रपति भवन में देर रात हुई बैठक में सेना प्रमुख, चीफ जस्टिस, स्पीकर और वरिष्ठ नेताओं ने संविधान विशेषज्ञों से परामर्श की इसके बाद सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति जताई. संसद भंग कर छह महीने के भीतर आम चुनाव कराने का निर्णय लिया गया.
Nepal Crisis : नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन को लेकर प्रयास तेज हैं. देर रात शीतल निवास (राष्ट्रपति भवन) में अहम बैठक हुई. इस बैठक में प्रधान सेनापति जनरल अशोक राज सिग्देल, पूर्व चीफ जस्टिस के अलावा संभावित प्रधानमंत्री सुशीला कार्की मौजूद रहीं. राष्ट्रपति ने परामर्श के लिए संसद के स्पीकर देवराज घिमिरे और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल को भी बुलाया गया था.
संविधान विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिवक्ता भी बैठक में पहुंचे
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश सिंह राउत भी बैठक में नजर आए. अंतरिम सरकार गठन की प्रक्रिया को कानूनी रूप से सही दिशा देने के लिए राष्ट्रपति ने संविधान विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से भी बैठक में राय ली गई. सभी नेताओं और अधिकारियों के साथ गहन चर्चा हुई. जल्द से जल्द अंतरिम सरकार का गठन की कोशिश की जा रही है, ताकि राजनीतिक स्थिरता बहाल की जा सके.
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सूत्रों के अनुसार, अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो एक या दो दिन में ही शपथग्रहण हो सकता है. जानकारी के मुताबिक, नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने नेपाली कांग्रेस और माओवादी नेताओं से परामर्श किया है और सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने के मुद्दे पर इनसे चर्चा की है.
बालेन शाह ने भी सुशीला कार्की की उम्मीदवारी का समर्थन किया
गुरुवार को thehimalayantimes.com ने अपने सूत्रों के हवाले से खबर दी कि जेन-जेड आंदोलन के नेताओं ने अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अपना एकमात्र उम्मीदवार चुना है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, इस फैसले को औपचारिक मान्यता जल्द मिल जाएगी. पहले बातचीत सुशीला कार्की के सहयोगियों और सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल समेत सेना नेतृत्व के बीच होगी. इसके बाद हालात के अनुसार बातचीत राष्ट्रपति कार्यालय, शीतल निवास में आगे बढ़ेगी. काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बालेन शाह ने भी सुशीला कार्की की उम्मीदवारी का समर्थन किया है, जिससे जेन-जेड आंदोलन के एकमात्र साझा उम्मीदवार के रूप में उनकी स्थिति और मजबूत हो गई है.
