रूस के नजदीक ब्रिटेन-अमेरिका का ‘आसमानी गदर’, 12 घंटे तक गूंजते रहे फाइटर जेट, नाटो ने दिखाया पावर शो!

NATO UK US Fighter Jets 12 Hour Patrol Russia Border: रूस की सीमा के पास ब्रिटिश और अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने नाटो के साथ 12 घंटे तक गश्त की. यह कार्रवाई नाटो देशों के हवाई क्षेत्र में बढ़ी रूसी ड्रोन गतिविधियों के जवाब में की गई.

By Govind Jee | October 11, 2025 7:29 PM

NATO UK US Fighter Jets 12 Hour Patrol Russia Border: यूरोप के आसमान में इन दिनों हलचल ज़्यादा है. एक तरफ रूस अपने ड्रोन और सैन्य विमानों के जरिए नाटो देशों के हवाई क्षेत्र के पास झांकने की कोशिशें तेज कर रहा है, तो दूसरी तरफ पश्चिमी ताकतें अब खुलकर जवाब देने के मूड में हैं. इसी सतर्कता के बीच ब्रिटेन, अमेरिका और नाटो के जेट विमानों ने रूस की सीमा के पास 12 घंटे की लंबी गश्त की. यह उड़ान सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं थी, बल्कि रूस को भेजा गया एक साफ संदेश भी था कि आसमान भी हमारा है, निगरानी भी हमारी.

NATO UK US Fighter Jets 12 Hour Patrol Russia Border: रूस की सीमा के पास 12 घंटे की चौकसी

यूनाइटेड किंगडम ने पुष्टि की है कि रॉयल एयर फ़ोर्स (RAF) के दो विमानों ने अमेरिकी और नाटो बलों के साथ मिलकर रूस के नजदीक 12 घंटे की संयुक्त गश्त की. यह कदम नाटो के हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन और विमानों की लगातार बढ़ती घुसपैठ के जवाब में उठाया गया. ब्रिटेन के रक्षा सचिव जॉन हीली ने इस मिशन को “हमारे अमेरिकी और नाटो सहयोगियों के साथ एक महत्वपूर्ण संयुक्त अभियान” बताया. उन्होंने कहा कि यह गश्त न केवल संभावित आक्रमण को रोकने के लिए थी, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा की रक्षा के प्रति पश्चिमी एकजुटता का प्रदर्शन भी थी.

NATO UK US Fighter Jets 12 Hour Patrol Russia Border: बाल्टिक और नॉर्डिक क्षेत्र में बढ़ा तनाव

यह लंबी दूरी की उड़ान बाल्टिक और नॉर्डिक क्षेत्र के बेहद संवेदनशील हवाई क्षेत्र में हुई, जहां पिछले कुछ महीनों में रूसी सैन्य ड्रोन और टोही विमानों की गतिविधियां बढ़ी हैं.

रॉयटर्स के मुताबिक, पिछले एक महीने में खासकर एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया जैसे सदस्य देशों के आसमान के पास रूसी घुसपैठ के मामलों में तेजी आई है. ये उड़ानें अक्सर बिना ट्रांसपोंडर के और बहुत कम ऊंचाई पर होती हैं, जिससे नाटो के रडार सिस्टम को चुनौती मिलती है और गलती से टकराव का खतरा बढ़ता है.

RAF के टाइफून जेट और अमेरिकी कॉर्डिनेशन

ब्रिटेन ने इस मिशन में अपने उन्नत Typhoon फाइटर जेट तैनात किए, जो तेजी से इंटरसेप्शन और लंबी निगरानी में सक्षम हैं. ये जेट अमेरिकी वायुसेना और नाटो की Integrated Air Policing System के तहत समन्वय में उड़ रहे थे. इस संयुक्त ऑपरेशन का मकसद था कि मित्र देशों के वायु क्षेत्र की सुरक्षा और निरंतर निगरानी सुनिश्चित करना.

नाटो का परमाणु निरोध अभ्यास

इस गश्त का समय नाटो के वार्षिक परमाणु निरोध अभ्यास “Steadfast Noon” के साथ मेल खाता है, जो 13 अक्टूबर 2025 से शुरू हुआ. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस अभ्यास में रणनीतिक बमवर्षक, कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम और परमाणु-सक्षम बलों के बीच तालमेल का अभ्यास किया जा रहा है. हालांकि इस अभ्यास में किसी सक्रिय परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं होता. भले ही यह एक नियमित अभ्यास है, लेकिन बढ़ती रूसी गतिविधियों के बीच इसका आयोजन नाटो की एकजुटता और तत्परता का प्रतीक बन गया है.

रूस की मंशा- टेस्ट या उकसावे की रणनीति?

विश्लेषकों का मानना है कि रूस के हालिया ड्रोन अभियान महज तकनीकी उड़ानें नहीं हैं, बल्कि नाटो की प्रतिक्रिया प्रणाली की जाँच करने की रणनीति है. ‘डेली सबा’ के अनुसार, ये घुसपैठ एक “लगातार चुनौती” बन चुकी हैं, जहां मास्को नाटो के रडार कवरेज और एयर डिफेंस सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठा रहा है. वहीं ‘द कन्वर्सेशन’ की चेतावनी है कि यूरोप अभी भी मानवरहित हवाई प्रणालियों से उत्पन्न खतरे के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. ड्रोन की तेजी से बदलती तकनीक के चलते उन्हें ट्रैक और निष्क्रिय करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है.

जवाब में ‘ड्रोन वॉल’ का विचार

इस खतरे से निपटने के लिए नाटो और उसके सदस्य देश अब ड्रोन वॉल यानी सेंसर, जैमर और इंटरसेप्टर के नेटवर्क पर काम कर रहे हैं. यह बहु-स्तरीय वायु सुरक्षा प्रणाली यूरोप की रक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है. हालांकि विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अभी इसका क्रियान्वयन खंडित है और इसे पर्याप्त फंडिंग नहीं मिल रही.

ब्रिटेन का संदेश- ‘हर इंच की रक्षा करेंगे

इन अभियानों में ब्रिटेन की सक्रिय भागीदारी यह बताती है कि वह यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था में अपनी भूमिका को लेकर बेहद गंभीर है. रक्षा सचिव हीली ने कहा है कि सरकार नाटो क्षेत्र के हर इंच की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसे संयुक्त मिशन निवारक क्षमता बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी हैं. यह बयान ब्रिटेन की उस रणनीतिक नीति को दोहराता है जिसके तहत वह उत्तरी यूरोप की सामूहिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में निवेश कर रहा है.

बाल्टिक सागर बना ‘नया टकराव बिंदु’

बाल्टिक सागर अब यूरोप का नया ‘हॉटस्पॉट’ बनता जा रहा है. रूस की सीमाओं के पास बढ़ते ड्रोन अभियान और नाटो की बढ़ती गश्तें यह संकेत दे रही हैं कि यह क्षेत्र भविष्य के तनावों का केंद्र बन सकता है. 12 घंटे की यह गश्त सिर्फ ताकत का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि नाटो के पूर्वी हिस्से की अखंडता बनाए रखने और तनाव को बढ़ने से रोकने का स्ट्रैटेजिक कदम थी.

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