भारत में माइक्रोसॉफ्ट में काम करने वाला अब पुतिन के देश में मार रहा झाड़ू, रूस में 15 से ज्यादा भारतीय बने सफाईकर्मी

Indian Migrants Russia: रूस से आई एक अनोखी कहानी, जहां 17 भारतीय युवक सेंट पीटर्सबर्ग की सड़कों की सफाई कर रहे हैं और हर महीने करीब 1.1 लाख रुपये कमा रहे हैं. रूसी मीडिया फॉनटांका की रिपोर्ट बताती है कि कंपनी रहने, खाने और आने-जाने की पूरी सुविधा देती है.

By Govind Jee | December 22, 2025 4:57 PM

Indian Migrants Russia: भारत में अक्सर सपना देखा जाता है कि विदेश जाएंगे, बड़ी कंपनी में काम करेंगे और जिंदगी सेट हो जाएगी. लेकिन रूस से आई एक खबर इस सोच को थोड़ा झकझोर देती है. यहां 17 भारतीय युवक सेंट पीटर्सबर्ग की सड़कों पर झाड़ू लगा रहे हैं और बदले में हर महीने करीब 1 लाख 10 हजार रुपये कमा रहे हैं. इनमें एक युवक ऐसा भी है, जो खुद को भारत में सॉफ्टवेयर डेवलपर बता रहा है. यह पूरी कहानी सामने आई है रूसी मीडिया आउटलेट फॉनटांका (Fontanka) की रिपोर्ट से.

चार महीने पहले रूस पहुंचे थे 17 भारतीय

फॉनटांका के अनुसार, ये 17 भारतीय कामगार करीब चार महीने पहले रूस पहुंचे थे. इनकी उम्र 19 से 43 साल के बीच है. रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में ये सभी सड़क सफाई का काम कर रहे हैं. इनका काम है सड़कों की सफाई, कचरा हटाना और शहर को साफ रखना. ये सभी एक ही कंपनी के लिए काम करते हैं, जिसका नाम है Kolomyazhskoye.

Indian Migrants Russia in Hindi: कौन हैं ये लोग, क्या करते थे भारत में

इन भारतीयों का भारत में काम अलग-अलग तरह का रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोई किसान था, कोई छोटा कारोबार करता था, तो कोई ड्राइवर या वेडिंग प्लानर रहा है. किसी का चमड़े का काम था तो कोई निजी नौकरी करता था. यानी भारत में सबकी अलग पहचान थी, लेकिन रूस पहुंचकर सब एक जैसे काम में जुटे हुए हैं.

Microsoft Developer Now Street Cleaner in Hindi: सॉफ्टवेयर डेवलपर मुकेश मंडल की कहानी

इन 17 लोगों में सबसे ज्यादा चर्चा 26 साल के मुकेश मंडल की हो रही है. मुकेश ने फॉनटांका से बातचीत में कहा कि वह भारत में पहले सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर काम कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि मैंने माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में काम किया है. AI, चैटबॉट और GPT जैसे टूल्स के साथ काम किया है. असल में मैं एक डेवलपर हूं. हालांकि रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि मुकेश माइक्रोसॉफ्ट में सीधे काम करते थे या उन कंपनियों में, जो माइक्रोसॉफ्ट के टूल्स का इस्तेमाल करती हैं. (Indian Migrants Russia Microsoft Developer Now Street Cleaner in Hindi)

कंपनी देती है रहने, खाने और आने-जाने की पूरी सुविधा

इन सभी भारतीयों को काम पर रखा है रूस की रोड मेंटेनेंस कंपनी Kolomyazhskoye ने. कंपनी की अधिकारी मारिया त्याबीना, जो क्लीनिंग डिपार्टमेंट की कार्यवाहक प्रमुख हैं, बताती हैं कि कंपनी इन कामगारों की पूरी जिम्मेदारी उठाती है. उनके अनुसार, कंपनी वीजा और कागजी काम से लेकर रहने की जगह, खाना, सुरक्षा कपड़े और यूनिफॉर्म तक सब देती है. काम पर आने-जाने और लंच के लिए भी गाड़ी की सुविधा दी जाती है.

कितनी है सैलरी

फॉनटांका की रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी भारतीयों को हर महीने करीब 100,000 रूबल सैलरी मिलती है. भारतीय रुपये में यह रकम लगभग 1 लाख 10 हजार रुपये के आसपास बैठती है. इस पैसे को ये लोग बचत के तौर पर भारत भेजना चाहते हैं. मुकेश मंडल का कहना है कि वह रूस हमेशा के लिए नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि वह यहां सिर्फ एक साल काम करेंगे, पैसे कमाएंगे और फिर भारत लौट जाएंगे. जब उनसे पूछा गया कि सॉफ्टवेयर की नौकरी छोड़कर सड़क की सफाई क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि मैं भारतीय हूं. हमारे लिए काम छोटा या बड़ा नहीं होता. काम भगवान के बराबर होता है. टॉयलेट साफ करना हो या सड़क, कोई फर्क नहीं पड़ता. यह मेरा काम है और मेरी जिम्मेदारी है.

रूस में मजदूरों की भारी कमी

फॉनटांका के मुताबिक, रूस इस वक्त मजदूरों की भारी कमी से जूझ रहा है. इसकी वजह देश की घटती आबादी और यूक्रेन युद्ध को माना जा रहा है. बड़ी संख्या में लोग सेना और दूसरे कामों में चले गए हैं, जिससे सफाई और सड़क जैसे कामों के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. इसी कमी को पूरा करने के लिए रूस भारत जैसे देशों से कामगार बुला रहा है.

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