वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2026: भारत रैंकिंग में 13 पायदान फिसला, यह बना सबसे बड़ा कारण
Global Climate Change Performance Index 2026 India Rank: जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन पर जारी नवीनतम वैश्विक सूचकांक में भारत अपनी पिछली रैंकिंग से 13 स्थान नीचे खिसक कर 23वें स्थान पर आ गया है. जर्मनवाच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क संगठनों ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सीओपी30 जलवायु शिखर सम्मेलन में संयुक्त रूप से जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) 2026 रिपोर्ट जारी की.
Global Climate Change Performance Index 2026 India Rank: वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन की ताजा रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में भारी गिरावट दर्ज की गई है. रिपोर्ट के अनुसार कोयले के बढ़ते इस्तेमाल और इसे सीमित करने के लिए तय समय-सीमा की अनुपस्थिति ने भारत के प्रदर्शन को प्रभावित किया है. जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन पर जारी नवीनतम वैश्विक सूचकांक में भारत अपनी पिछली रैंकिंग से 13 स्थान नीचे खिसक कर 23वें स्थान पर आ गया है और इसका मुख्य कारण कोयले के इस्तेमाल के इस्तेमाल को सीमित करने के लिए कोई समय सीमा न होना है.
जर्मनवाच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क संगठनों ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सीओपी30 जलवायु शिखर सम्मेलन में संयुक्त रूप से जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) 2026 रिपोर्ट जारी की. यह सूचकांक 63 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु शमन प्रदर्शन के लिए एक वार्षिक स्वतंत्र निगरानी प्रणाली है.
भारत का प्रदर्शन ‘उच्च’ से गिरकर ‘मध्यम’ हुआ
सूचकांक के अनुसार, भारत 61.31 अंकों के साथ देशों की सूची में 23वें स्थान पर है, जो पिछले साल की सूची से 13 स्थान नीचे है. इसने भारत को दुनिया भर में तेल, गैस और कोयले के सबसे बड़े उत्पादकों में भी शामिल किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष के सीसीपीआई में भारत का प्रदर्शन ‘उच्च’ से गिरकर ‘मध्यम’ हो गया है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर ईंधन के रूप में कोयले के इस्तेमाल को सीमित करने की कोई समय-सीमा नहीं है तथा नए कोयला खदानों की नीलामी जारी है.
रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि जलवायु कार्रवाई के लिए मुख्य मांगे हैं- समयबद्ध तरीके से कोयले के इस्तेमाल को सीमित करना और अंततः चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना तथा जीवाश्म सब्सिडी को विकेन्द्रीकृत समुदाय-स्वामित्व वाले नवीकरणीय ऊर्जा खंड की ओर पुनर्निर्देशित करना.
टॉप तीन में नहीं है कोई देश
इसमें कहा गया है कि कोई भी देश शीर्ष तीन स्थानों पर नहीं पहुंच पाया, क्योंकि ‘‘कोई भी देश खतरनाक जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है.” सीसीपीआई के मुताबिक डेनमार्क 80.52 अंकों के साथ चौथे स्थान पर है, उसके बाद ब्रिटेन 70.8 अंकों के साथ पांचवे और मोरक्को 70.75 अंकों के साथ छठे स्थान पर है. सऊदी अरब 11.9 अंकों के साथ सबसे निचले पायदान पर है, जबकि ईरान और अमेरिका क्रमशः 14.33 और 21.84 अंकों के साथ 66वें और 65वें स्थान पर हैं.
भारत का प्रदर्शन नवीकरणीय ऊर्जा में रहा निम्न
वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत इस साल के सीसीपीआई में 23वें स्थान पर है और मध्यम प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है. देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जलवायु नीति और ऊर्जा उपयोग के मामले में मध्यम और नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में निम्न प्रदर्शन करता है.”
भारत की नीति भी सराही गई
हालांकि रिपोर्ट में विरोधाभासी बयान में कहा गया है कि भारत एक औपचारिक रणनीति और महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के साथ-साथ 2006 से ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) उपकरण लेबलिंग और 2012 से उद्योग के लिए प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) तंत्र जैसे स्थापित दक्षता कार्यक्रमों के साथ जलवायु कार्रवाई पर अपने दीर्घकालिक इरादे का संकेत दे रहा है. भारत ने 2025 में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्य-2030 से पहले गैर-जीवाश्म स्रोतों से स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत प्राप्त करने की सूचना दी है.’
ये भी पढ़ें:-
सऊदी अरब बस हादसे में केवल शोएब कैसे बचे? ‘अहमदाबाद प्लेन हादसे’ जैसा हुआ चमत्कार
ईरान ने भारतीयों के लिए सस्पेंड की वीजा फ्री एंट्री, अचानक क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?
