आसमान में होगी टूटते तारों की बरसात, घर की छत से देख सकेंगे भव्य नजारा, जानिए क्यों खास है जेमिनिड्स उल्का वर्षा
Geminids Meteor Shower: साल के अंत यानी की दिसंबर के महीने में हर साल आसमान में एक अद्भुत खगोलिय नजारा देखने को मिलता है जिसे जेमिनिड्स उल्का वर्षा (Geminids Meteor Showers) कहा जाता है. यह दृश्य देखने में इतना शानदार होता है मानों जैसे खुले आसमान में एक साथ हजारों तारे टिमटमिा रहे हो. हर साल 12 से 14 तारीख के बीच ये नजारा देखने को मिलता हैं जिसे आप बिना किसी उपकरण खुली आंखों से देख सकते हैं.
Geminids Meteor Shower: रविवार रात को आसमान में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा. आज की रात आसमान में जेमिनिड्स उल्का पात (Geminids Meteor Shower) अपनी पूरी चमक के साथ नजर आने वाला है जहां आसमान में एक साथ हजारों तारे टूटते नजर आएंगे. इस घटना को साल का सबसे शानदार उल्कापात माना जाता है जहां आप प्रति घंटे 100 से ज्यादा टूटते तारों को देख सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत है आप बिना किसी टेलीस्कोप और उपकरण के भी खुली आंखों से देख सकते हैं.इस अद्भुत नजारे को आप देश के किसी भी हिस्से और अपने घर की छत या बालकनी से देख सकते हैं.
क्यों है यह सबसे शानदार उल्का वर्षा (Geminid Meteor Shower)
हर साल 12,13 से 14 दिसंबर के बीच यह घटना देखने को मिलती है जहां लाखों उल्काएं एक साथ आसमान में दिखाई पड़ते हैं. इस दिन प्रति घंटे 100 से भी ज्यादा उल्काएं एक साथ नजर आती है जिस वजह से इसे साल का सबसे शानदार उल्का वर्षा भी कहा जाता है. 14 की रात को उल्काओं की चमक अपने चरम पर होती है. अगली सुबह तक यानी 15 दिसंबर तक भी आसमन में जेमिनिडि्स का प्रभाव बना रहता है जिस वजह से सुबह के समय भी उल्काओं की चमक आसमान में बनी रहती है.
जेमिनिड्स क्यों है खास (Geminids Meteor Shower tonight)
दरअसल आसमान में दिखने वाली उल्का अक्सर धूमकेतुओं (Comets) से होती है लेकिन जेमिनिड्स कि उत्पत्ति चट्टानी क्षुद्रग्रह 3200 फेथॉन से होती है. यही वजह है कि जेमिनिड्स कि चमकीली और मोटे पैटर्न देखने में बेहद ही आकर्षक लगते हैं. इनमें से कुछ उल्कापींड तो देखने में इतने सुंदर होते है जिसे देख यकीन कर पाना मुश्किल होता है कि यह असली दृश्य है.
उल्का वर्षा देखने का सही समय
भारत में उल्कापींड देखने के लिए आधी रात के बाद से सूरज निकलने का समय सबसे सही है. अगर आप भारत में रहते हुए यह जेमिनिड्स उल्का वर्षा देखना चाहते हैं तो इस समय देख सकते हैं. सबसे बेहतरीन तरीका है कि आप किसी अंधेरे वाली जगह से देखे क्योंकि लाइट और प्रदूषण तारामंडल देखने के एक्सीपिरिएंस को खराब कर सकते हैं . इसके लिए बेहतर होगा की आप खुले मैदान, घर की छत या फिर खुले आसमान के नीचे से यह दृश्य देखें जिससे की पेड़ या दूसरी बिल्डिंग्स बाधा न डाल सके.
जेमिनिड्स कैसे बनता है?
जेमिनिड्स की खासियत ही यही होती है कि यह बाकी उल्कापींड की तरह धूमकेतु (Comet) से नहीं आती है बल्कि एक क्षुद्रग्रह 3200 फाएथॉन (Asteriod 3200 Phaethon) से आती है. यद दुनिया के उन चुनिंदा उल्का वर्षा की घटनाओं में से है जिसका श्रोत कोई क्षुद्रग्रह यानी एस्टेरॉयड है.
उल्का बौछार और जेमिनिड्स में क्या अंतर है?
उल्का बौछार (Meteor Shower) एक सामान्य खगोलीय घटना है जिसमें पृथ्वी किसी कॉमेट या एस्टेरॉयड के मलबे से गुजरती है और सारे कण वायुमंडर में जलकर टूटते तारों की तरह दिखाई देते हैं. वहीं जेमिनिड्स उल्का बौछार एक खास तरीके का उल्का बौछार है जो हर साल बीच दिसंबर के महीने में होती है. सामान्य तौर पर उल्का बौछार कॉमेट की वजह से होता है लेकिन जेमिनिड्स में 3200 फाएथॉन नाम के एक एस्टेरॉयड की वजह से होता है. इससे बनने वाली उल्काएं ज्यादा चमकदार होती हैं जो कि पीले या हरे रंग की दिखाई पड़ती है जबकि सामान्य उल्काएं सफेद होती हैं.
यह भी पढ़ें: African Penguins: अफ्रीका में भूख से तड़पकर मरे 60000 से ज्यादा पेंग्विन, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता
यह भी पढ़ें: 11 साल पहले उड़ान भरते हुए गायब हुआ विमान, कोर्ट ने परिवारों को मुआवजा देने का दिया आदेश, खोज अभियान फिर से शुरू
