अमेरिका के पूर्व राजदूत ने भारत चीन विवाद पर किया भारत का समर्थन, चीन की कार्रवाई को बताया उकसाने वाला

अमेरिका के पूर्व शीर्ष राजनयिक ने भारत के साथ लगने वाली सीमा के पास और दक्षिणी चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य तथा हांगकांग में चीन की हालिया कार्रवाई को उकसाने वाला बताया है

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2020 1:02 PM

अमेरिका के पूर्व शीर्ष राजनयिक ने भारत के साथ लगने वाली सीमा के पास और दक्षिणी चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य तथा हांगकांग में चीन की हालिया कार्रवाई को “उकसाने एवं अस्थिर करने वाली” बताया है. पांच मई के बाद से आठ हफ्ते से ज्यादा वक्त तक पूर्वी लद्दाख के विभिन्न स्थानों पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध बना हुआ है.

गलवान घाटी में हिंसक झड़प होने के बाद दोनों देश के बीच तनाव कई गुना बढ़ गया था. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीनी पक्ष की तरफ भी सैनिक हताहत हुए थे लेकिन उसने अभी तक इसके ब्योरे उपलब्ध नहीं कराए हैं. दोनों पक्ष ने तनाव कम करने के लिए पिछले कुछ हफ्तों में कई चरण की कूटनीतिक एवं सैन्य वार्ताएं की हैं. पूर्वी लद्दाख में तनाव करीब दो महीने पहले बढ़ गया था जब करीब 250 चीनी एवं भारतीय सैनिकों के बीच पांच और छह मई को हिंसक आमना-सामना हुआ था.

पेगोंग सो में हुई घटना के बाद इसी तरह की घटना नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी हुई. भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया, “चीन की कार्रवाई, न सिर्फ भारत के साथ लगने वाली सीमा पर बल्कि दक्षिण चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य और हांगकांग में भी, उकसाने और अस्थिर करने वाली है. ” चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग समूचे हिस्से पर अपना दावा करता है जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ-कुछ हिस्सों पर अपना अधिकार जताते हैं.

बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य संस्थापनों को निर्माण किया हुआ है. वर्मा ने कहा, “हमारी साझेदारी का मुख्य स्तंभ अब मुक्त एवं स्वतंत्र हिंद-प्रशांत, विधि के शासन , अंतरराष्ट्रीय नियमों, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और एशिया में विधि आधारित क्रम के प्रति प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है. ” अमेरिका सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की व्यापक भूमिका पर जोर देता रहा है. भारत, अमेरिका और विश्व की कई अन्य शक्तियां क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य पैंतरेबाजी की पृष्ठभूमि में मुक्त, स्वतंत्र एवं संपन्न हिंद-प्रशांत चाहती हैं.

वर्मा ने कहा, “1959 में, सीनेटर केनेडी ने संसद में जोशपूर्ण भाषण दिया था कि, ‘एशिया का भाग्य’ भारत पर निर्भर करता है और भारत का ‘विशेष महत्व’ है. जो पूरे एशिया में लोकतंत्र के परीक्षण का प्रतीक है. ” उन्होंने कहा, “अमेरिका-भारत के रिश्ते को पिछले दो दशकों में वाशिंगटन में द्विपक्षीय समर्थन मिला है और खुशनसीबी से यह आज तक ऐसा ही है. ” वर्मा ने कहा कि इसका श्रेय विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और अन्य अमेरिकी सरकारी एजेंसियों के साथ ही कांग्रेस को जाता है कि भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी सही रास्ते पर है. वर्मा ने ऑनलाइन पढ़ाई पर छात्रों के अमेरिका छोड़ने संबंधी ट्रंप प्रशासन के निर्णय को ‘बेतुका और संकीर्ण मानसिकता’ वाला करार दिया.

posted by : sameer oraon

Next Article

Exit mobile version