यूरोपीय वैज्ञानिकों ने कैद की मरते तारे की झलक! सुपरनोवा SN 2024ggi ने ब्रह्मांड में मचाई हलचल
First Moments Of Dying Star: यूरोपीय वैज्ञानिकों ने पहली बार मरते हुए तारे के विस्फोट के शुरुआती पलों को कैमरे में कैद किया. चिली के VLT टेलीस्कोप से दिखा सुपरनोवा SN 2024ggi का जैतून जैसा आकार, जिसने ब्रह्मांड के रहस्यमय ‘बाउंस शॉक’ को समझने की नई दिशा दी.
First Moments Of Dying Star: कहते हैं तारे भी जन्म लेते हैं, जीते हैं और एक दिन मर जाते हैं. लेकिन किसी तारे की मौत कैसी दिखती है, यह अब तक किसी ने सीधे नहीं देखा था. अब European Southern Observatory (ESO) के वैज्ञानिकों ने ऐसा कर दिखाया है. उन्होंने पहली बार किसी मरते हुए तारे (Dying Star) के आखिरी पलों को कैमरे में कैद किया है. अप्रैल 2024 में ESO ने चिली स्थित वेरी लार्ज टेलीस्कोप (VLT) को सुपरनोवा SN 2024ggi की ओर मोड़ा और इतिहास बना दिया. यह अब तक का सबसे शुरुआती और सटीक सुपरनोवा अवलोकन था. यह खोज 12 नवंबर 2025 को साइंस एडवांस नामक जर्नल में प्रकाशित हुई.
First Moments Of Dying Star: सुपरनोवा क्या होता है?
सुपरनोवा ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली घटना होती है. जब कोई विशाल तारा अपनी उम्र पूरी कर खत्म हो जाता है. जब तारे का ईंधन (Fuel) खत्म हो जाता है, तो उसका कोर (Core) भीतर की ओर ढह जाता है और बाहरी परतें अंदर गिरती हैं. फिर अचानक यह गिरावट रुकती है और ऊर्जा के जोरदार विस्फोट के साथ तारे की परतें बाहर की ओर उछल जाती हैं. यही विस्फोट हमें आकाश में सुपरनोवा के रूप में दिखता है. इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक दशकों से समझने की कोशिश कर रहे थे. सिंघुआ विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री और अध्ययन के सह-लेखक यी यांग के अनुसार, “सुपरनोवा विस्फोट की आकृति (Geometry) हमें यह समझने में मदद करती है कि तारे कैसे विकसित होते हैं और इन ब्रह्मांडीय आतिशबाजियों के पीछे कौन-से भौतिक सिद्धांत काम करते हैं.”
जैतून जैसी आकृति में फटा तारा
शोध के मुताबिक, सुपरनोवा SN 2024ggi के शुरुआती पल में उसका आकार जैतून (Olive) जैसा था. जैसे-जैसे विस्फोट से निकली सामग्री अंतरिक्ष में फैली और आसपास मौजूद गैस-पदार्थ से टकराई, उसका आकार थोड़ा चपटा हो गया. हालांकि उसका सममित अक्ष (Axis of Symmetry) वही बना रहा. वैज्ञानिकों ने कोई रंगीन धमाका नहीं देखा, बल्कि उन्होंने इस विस्फोट की प्रकाश की ध्रुवण (Polarisation of Light) से उसकी आकृति की कल्पना की. यानी उन्होंने प्रकाश की दिशा और झुकाव के जरिए इस विस्फोट की पूरी तस्वीर बनाई.
22 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर का लाल दानव
यह सुपरनोवा गैलेक्सी NGC 3621 में स्थित है, जो पृथ्वी से करीब 2.2 करोड़ प्रकाश वर्ष (22 million light-years) दूर है. इस विस्फोट से पहले यह एक लाल सुपरजायंट तारा (Red Supergiant Star) था, जिसका आकार सूरज से 500 गुना बड़ा और द्रव्यमान 12 से 15 गुना ज्यादा था. तारे का कोर जब ढह गया, तो उसकी बाहरी परतें भीतर की ओर गिरीं और फिर एक “बाउंस शॉक” के रूप में बाहर उछल गईं. यही वह रहस्यमय पल था जिसे वैज्ञानिक सालों से समझ नहीं पा रहे थे, और अब पहली बार उसकी झलक मिली है.
कैसी तकनीक से कैद हुआ यह पल?
इस दुर्लभ क्षण को पकड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने Spectropolarimetry नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया. यह तकनीक किसी तारे या विस्फोट से निकलने वाले प्रकाश के ध्रुवण (Polarisation) को पढ़कर उसकी आकृति और दिशा का पता लगाती है. टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री और अध्ययन के सह-लेखक आईफैनवांग ने बताया कि यह तकनीक उस विस्फोट की ज्योमेट्री से जुड़ी जानकारी देती है जो अन्य प्रकार के अवलोकनों से नहीं मिल सकती.
मरते तारे से मिला ब्रह्मांड का नया सबक
इस खोज ने वैज्ञानिकों को दिखाया कि तारा मरते वक्त भी एक निश्चित क्रम में अपना आखिरी विस्फोट करता है. यह ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे यह भी पता चलता है कि जब कोई तारा खत्म होता है, तो उसकी मौत केवल एक अंत नहीं होती बल्कि एक नए ब्रह्मांडीय अध्याय की शुरुआत होती है.
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