तिब्बत में त्यौहार मनाना भी मुश्किल! गांदेन नगामचोए पर जोखांग मंदिर के पास तनाव का माहौल, भारी पुलिस तैनात

China heavy security Tibet Lhasa Ganden Ngamchoe Festival: चीन ने रविवार को ल्हासा में तिब्बती बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व गांदेन नगामचोए के मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया. इस वर्ष के आयोजन के दौरान जोखांग मंदिर के आसपास भारी तनाव का माहौल देखा गया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूजर्स द्वारा साझा की गई तस्वीरों और वीडियो में सुरक्षा के कड़े इंतजाम नजर आए.

By Anant Narayan Shukla | December 18, 2025 8:20 AM

China heavy security Tibet Lhasa Ganden Ngamchoe Festival: चीन अपनी कठोर नीतियों के तहत तिब्बत पर शिकंजा कसता जा रहा है. फयूल (Phayul) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी अधिकारियों ने रविवार को ल्हासा में तिब्बती बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व गांदेन नगामचोए के मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है. यह त्यौहार तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग परंपरा के संस्थापक जे सोंगखापा के परिनिर्वाण को समर्पित है. 

तिब्बती चंद्र कैलेंडर के अनुसार दसवें महीने के 25वें दिन मनाया जाने वाला गांदेन नगामचोए आमतौर पर घी के दीप जलाने, मठों की परिक्रमा करने और प्रमुख धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना करने के रूप में मनाया जाता है. फयूल के अनुसार, ल्हासा स्थित जोखांग मंदिर (Jokhang Temple in Lhasa) इस पर्व के दौरान श्रद्धालुओं का मुख्य केंद्र होता है.

इस वर्ष के आयोजन के दौरान जोखांग मंदिर के आसपास भारी तनाव का माहौल देखा गया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूजर्स द्वारा साझा की गई तस्वीरों और वीडियो में सुरक्षा के कड़े इंतजाम नजर आए. पोस्ट में कहा गया, “यह आस्था के लिए पवित्र और शांतिपूर्ण दिन होना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे तनाव और बेचैनी से भरे दिन में बदल दिया है.” इस यूजर के अनुसार, जोखांग मंदिर को सैन्य और पुलिस बलों ने “तीन स्तरों” में घेर रखा था, जो अधिकारियों द्वारा ‘स्थिरता’ के नाम पर धार्मिक अभिव्यक्ति को दबाने के लिए बल प्रयोग पर बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है.

इस घटना के कई वीडियोज भी सामने आए हैं. इनमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि चीनी पुलिस अधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. आप भी देखें-

रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर और आसपास के इलाकों में एंट्री पॉइंट्स पर कड़ी निगरानी रखी गई. मुख्य सड़कों और संकरी गलियों में कई स्तरों पर चेकपोस्ट बनाए गए थे, जहां पुलिस लगातार पहचान पत्रों की जांच कर रही थी. लोगों से आने का उद्देश्य पूछ रही थी और तय संख्या पूरी होने पर आगे प्रवेश रोक दिया जा रहा था. कुछ इलाकों में अस्थायी जांच बूथ लगाए गए थे, जबकि सुरक्षा बल आसपास के मोहल्लों में लगातार गश्त कर रहे थे.

त्यौहारों पर चीन को लंबे समय से संदेह

विश्लेषकों और मानवाधिकार पर्यवेक्षकों का कहना है कि इतनी बड़ी सुरक्षा तैनाती का एक प्रमुख उद्देश्य बड़े धार्मिक जमावड़ों को रोकना था. ऐतिहासिक रूप से तिब्बती त्योहार सामूहिक धार्मिक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक पहचान के अवसर रहे हैं, जिन्हें चीनी अधिकारी लंबे समय से संदेह की नजर से देखते रहे हैं.

तितर-बितर होने के निर्देश दिए गए

गांदेन नगामचोए के दौरान पुलिस ने कथित तौर पर तिब्बतियों को बड़े समूहों में इकट्ठा होने से सक्रिय रूप से हतोत्साहित किया. जो श्रद्धालु घी के दीप जलाने या सामूहिक प्रार्थना करना चाहते थे, उन्हें जल्दी आगे बढ़ने या तितर-बितर होने के निर्देश दिए गए. कुछ मामलों में मठों में प्रवेश अस्थायी रूप से सीमित कर दिया गया और केवल कम संख्या में लोगों को या कड़े समयबद्ध नियंत्रण के तहत ही अंदर जाने की अनुमति दी गई.

अधिकारियों का दावा अलग

हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि ये कदम भीड़ प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जरूरी हैं, लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि ये पाबंदियां सामान्य सुरक्षा उपायों से कहीं आगे जाकर तिब्बती धार्मिक प्रथाओं की सार्वजनिक उपस्थिति को कम करने के उद्देश्य से लगाई गई हैं.

पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि गांदेन नगामचोए के दौरान बढ़ी हुई सुरक्षा कोई अलग घटना नहीं है, बल्कि तिब्बत की धार्मिक संस्थाओं और सांस्कृतिक पहचान पर सख्त नियंत्रण थोपने की चीन की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. फयूल की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे ही कड़े कदम अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों, तिब्बती इतिहास से जुड़े संवेदनशील स्मृति दिवसों और राजनीतिक रूप से संवेदनशील अवधियों के दौरान भी अक्सर देखने को मिलते हैं.

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