गोपालगंज-3 बना सियासी रणक्षेत्र, हसीना की सीट पर हिंदू उम्मीदवार ने ठोकी ताल, बांग्लादेश चुनाव में बढ़ी हलचल
Bangladesh Election 2026: 2026 के बांग्लादेश चुनावों से पहले, हिंदू नेता गोविंद चंद्र प्रमाणिक ने शेख हसीना के निर्वाचन क्षेत्र गोपालगंज-3 से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में एंट्री की है. अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा, अंतरिम सरकार की मांग, लिंचिंग की घटनाओं और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, यह चुनाव बांग्लादेश के लोकतंत्र और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गया है.
Bangladesh Election 2026: बांग्लादेश में लोगों के मन में डर बैठा हुआ है. वजह साफ है कि अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले, राजनीति में उथल-पुथल और सत्ता का बदला हुआ चेहरा. ऐसे समय में एक हिंदू नेता ने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है. खास बात यह है कि वह सीट कभी देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सबसे मजबूत सीट मानी जाती थी. इसी सीट से अब एडवोकेट गोविंद चंद्र प्रमाणिक जनता का भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं.
Bangladesh Election 2026 in Hindi: शेख हसीना की पुरानी सीट से निर्दलीय दावेदारी
बांग्लादेश में 12 फरवरी 2026 को राष्ट्रीय चुनाव होने हैं. इन्हीं चुनावों में गोपालगंज-3 (कोटालिपारा-तुंगीपारा) सीट से एडवोकेट गोविंद चंद्र प्रमाणिक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरने जा रहे हैं. यह वही इलाका है, जहां से लंबे समय तक शेख हसीना चुनाव जीतती रही हैं. द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू महाजोट के गोपालगंज जिला अध्यक्ष बिजन रॉय ने बताया कि गोविंद चंद्र प्रमाणिक 28 दिसंबर को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे.
Bangladesh Election 2026 Gopalganj 3 Hindu Candidate: कौन हैं गोविंद चंद्र प्रमाणिक
गोविंद चंद्र प्रमाणिक पेशे से वकील हैं. इसके साथ ही वह बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोट की केंद्रीय समिति में महासचिव हैं. यह संगठन बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के हक की बात करता है. प्रमाणिक खुद को किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं मानते. उन्होंने बांग्लादेशी अखबार से बातचीत में कहा कि न तो वह किसी पार्टी से जुड़े हैं और न ही कभी पार्टी की राजनीति का हिस्सा रहे हैं.
गोविंद चंद्र प्रमाणिक का कहना है कि राजनीतिक दलों से चुने गए सांसद कई बार खुलकर जनता की बात नहीं कर पाते. वजह होती है पार्टी की सख्त लाइन. उन्होंने कहा कि पार्टी से जुड़े सांसद आम लोगों की समस्याएं नहीं उठा पाते. मैं उस सीमा को तोड़ना चाहता हूं और सीधे जनता की आवाज बनना चाहता हूं. इसी सोच के साथ उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. (Bangladesh Election 2026 Gopalganj 3 Hindu Candidate Hasina seat in Hindi)
इस सीट पर कौन-कौन है चुनावी मैदान में
गोपालगंज-3 सीट पर मुकाबला सीधा नहीं है. यहां कई दलों और विचारधाराओं के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से मैदान में हैं: BNP से एसएम जिलानी, नेशनल सिटिजन पार्टी से आरिफुल दरिया, जमात-ए-इस्लामी से एमएम रेजाउल करीम, गण अधिकार परिषद से अबुल बशर, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश से मारुफ शेख, नेशनल पीपुल्स पार्टी से शेख सलाउद्दीन, खिलाफत मजलिस से ओली अहमद, और दो निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हबीबुर रहमान और मोहम्मद अनवर हुसैन.
हसीना के हटने के बाद क्यों बिगड़े हालात
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में सत्ता का खालीपन बन गया. इसी दौरान कई कट्टरपंथी गुट सक्रिय हो गए. इन गुटों पर आरोप है कि उन्होंने इस हालात का फायदा उठाकर अल्पसंख्यकों पर हमले तेज कर दिए. इन हमलों में हिंदू, ईसाई, सूफी मुसलमान और अहमदिया समुदाय के लोग निशाने पर आए हैं. आरोप है कि भारत विरोधी माहौल बनाकर इन हमलों को सही ठहराने की कोशिश की गई.
यह सब कुछ उस वक्त हो रहा है, जब देश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार काम कर रही है. ढाका के जातीय प्रेस क्लब के बाहर माइनॉरिटी यूनिटी फ्रंट की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में अल्पसंख्यक नेताओं ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. नेताओं ने कहा कि हमलों की न तो ठीक से जांच हो रही है और न ही दोषियों को सजा मिल रही है. इसी वजह से देश में डर और अविश्वास का माहौल बन गया है.
लिंचिंग की घटनाओं से और भड़का माहौल
हाल ही में बांग्लादेश के राजबाड़ी जिले में एक और हिंदू युवक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. पुलिस के अनुसार मृतक की पहचान 29 वर्षीय अमृत मंडल उर्फ सम्राट के रूप में हुई है. यह हमला पांग्शा उपजिला के होसैनडांगा ओल्ड मार्केट में रात करीब 11 बजे हुआ. इससे पहले मयमनसिंह में दीपू चंद्र दास की हत्या भी देशभर में विरोध का कारण बनी थी. इन घटनाओं के बाद कई हिंदू संगठनों ने मानव श्रृंखला बनाकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. बांग्लादेश में चुनाव 12 फरवरी 2026 को होने हैं. ये चुनाव मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत कराए जा रहे हैं. सरकार ने शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव का भरोसा दिया है, लेकिन मीडिया पर हमले और जगह-जगह हिंसा ने चिंता बढ़ा दी है.
आवामी लीग पर बैन और बड़ा सियासी बदलाव
शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को संशोधित आतंकवाद विरोधी कानून के तहत चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है. यह फैसला एक रात में लिया गया. यह सब ‘जुलाई विद्रोह’ के बाद हुआ, जब छात्र आंदोलन के चलते 5 अगस्त 2024 को हसीना सरकार गिर गई थी. इसके बाद अंतरिम सरकार ने पार्टी को चुनाव से बाहर कर दिया. शेख हसीना की पुरानी सीट से एक हिंदू नेता का निर्दलीय चुनाव लड़ना सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं है. यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, उनकी भागीदारी और लोकतंत्र की असली परीक्षा है.
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